Wednesday 27 June 2018

माँ बगलामुखी की जय-जयकार

जोधपुर राजस्थान से एक बालिका कु0 आयुषी का फोन मेने पास आता है, उसका स्वास्थ्य अत्यन्त चिन्ता जनक था, वह माँ के चरणों में आना चाहती थी, अपने स्वाभाववश मैने उसे माँ के बगला शतनाम का एक हजार पाठ करने का निर्देश दिया, बिना इस बात की चिन्ता किए कि बीमारी असाध्य है (उस बालिका ने माँ के भजन गा कर हमें भेजे, उन भजनों को सुन कर मेरा मन गद्गद् हो गया। मैं काफी दिनों से इसी उधेड़-बुन में रहा कि माँ के भजन कहाँ से लाऊँ, चूंकि हवन के समय ‘‘टी सीरीज’’ के भजनों की रिकार्डिंग में लगा देता था, परन्तु ‘‘टी सीरीज’’ वालोें ने हमें मना कर दिया, कि उनके भजनों का प्रयोग मत करें। इस बालिका कु0 आयुषी के माध्यम से माँ ने हमें भजनों का भंडार ही दे दिया, परन्तु समस्या का पूर्ण समाधान नहीं हुआ, यों कि इस बालिका की दोनों किडनियाँ खराब हो चुकी हैं। ऐसे बड़े हॉस्पिटल की रिर्पोट में आया, किडनी ट्रान्सप्लांट के अतिरिक्त कोई उपाए नहीं है, ऐसा वहाँ के डाक्टरों ने बतलाया, चूंकि इस बालिका ने माँ के भजन इतने अच्छे भाव से गाये कि सीधे मेरे हृदय में उतरते चले गये, यह रिपोर्ट पढ़कर एकाएक ही मेरे हृदय से प्रार्थना निकलती है माँ ऐसा नहीं हो सकता, इसको जीवन दान देने की कृपा करें, मेने तुम पर अटूट भरोसा किया उसे टूटने मत देना, तुम्हारे भरोसे ही मेने उसे दीक्षा दी, अब मेरी लाज तुम्हारे ही हाथों में है, इस बालिका को जीवन दान दे ही दो और तुरन्त ही माँ ने योग्य साधकों को निर्देश दिया कि आयुषी के स्वास्थ्य लाभ हेतु बीज  मन्त्र के 100 माले का जप कर हमारे ऊपर उपकार करें। प्रमुख साधक जिनकों माँ का सानिध्य प्राप्त है, उन सभी का सहयोग हमें प्राप्त हुआ- नई दिल्ली से सुनील कुमार व मीना, बाम्बे से पुरूषोत्तम व सुदर्शना, लखनऊ से रामचन्द्र यादव, मनमोहन चैधरी, चन्द्रशेखर यादव, रंजना सिंह, सुरेश चन्द्र श्रीवास्तव, मनीष कुमार त्रिपाठी व राजेन्द्र सोनी, झारखण्ड से देवेष सरकार व सर्वेश सरकार, बुलन्दशहर से सत्यवीर सिंह, बंगाल से उमा सरकार, जयपुर से गिरीराज सोनी, पीलीभीत से कुलभूषण मौर्या, रांची से अजय शुक्ला व सीमा उपाध्याय, सोनभद्र से कुमारी मोनिका, हरिद्वार से कपिल घीमान, संजय व अतुल कुमार कश्यप, देहरादून से प्रदीप कुमार शर्मा, चंडीगढ़ से गगन दीप शर्मा, कांगड़ा से सुजाता, पानीपत से रिंकी अग्रवाल व बागपत से मयंक चैधरी।

इस सामुहिक जप से हमें कार्य करने में अत्यन्त स्फूर्ति का अनुभव हुआ। जब में इस बालिका के लिए मूल मंत्र का जप कर रहा था कुछ पिक्चर सामने आयी, एक बड़ा सा हाॅल है जहाँ 10-12 सफेद वस्त्र धारी बैठकर आपस में कुछ वार्तालाप कर रहे हैं। तभी एक पक्षी आता है और उन सभी लोगों के ऊपर चक्कर लगाने लगता है, मुझे समझते देर नहीं लगी अर्थात् जिन्न या जिन्नात जो आपस में वार्तालाप कर रहे थे, पक्षी अर्थात् माँ की शक्ति ने उन सभी को अपने कब्जे में कर लिया, सभी भौच्चके होकर उस पक्षी को देखते ही रह गये।

दूसरे दिन साधना समय बालिका के घर के आगे एक कुरूप भुजंग काला व्यक्ति बैठा दिखा, हमें समझते देर नहीं लगी, यह काला जिन्न था, जो घर में प्रवेश नहीं कर पा रहा था, क्योंकि मैने माँ का सुरक्षा कवच उस मकान में लगा रखा था, क्योंकि मुझे काले जिन की उपस्थिति का ज्ञान हो गया था। अतः उसको निपटाना अनिवार्य हो गया, कोई था अवश्य जो लगातार इस बालिका के प्राण हरना चाहता था, तांत्रिक प्रयोग पर प्रयोग किये जा रहा था। अतः उस गुप्त शत्रु को निपटाना अनिवार्य हो गया। अतः संकल्प कर बगलाकल्प विधान का पाठ आरम्भ कर दिया। इधर उस बालिका को किडनी टेस्ट कराने का कह दिया, परीक्षण में यथा स्थिति रही, न घटा न बड़ा।

कल्प विधान समाप्त कर पाताल क्रिया की अर्थात् उसके पुराने सारे दोषों को पृथ्वी में समाहित कर दिया परिणाम भी सामने आया, उसकी दोनों किडनियाँ सामान्य दशा में पुनः कार्य करना प्रारम्भ कर दिया, चुकि पुरातन दोषों को पृथ्वी से समाहित कर दिया गया था, बालिका को जीवनदान मिलने के बाद अब इन दोषों के निस्तारण हेतु कुछ क्रियाएं और कर दी जाएगी। किडनी मिलने ट्रान्सप्लांट करने वाले डाक्टरों की कुछ समझ में नहीं आ रहा है, यह कैसे हो गया वे भौच्चके होकर किडनी की रिपोर्ट पढ़ रहे हैं। अपने साधकों पर माँ बहुत दयालु है, एक बार पुनः उन्होंने साधक को जीवन दान देकर सिद्ध कर दिया कि माँ अपने साधकों पर कृपा दृष्टि अवश्य करती है।

अतः पुनः-पुनः मैं अपने सच्चे हृदय से माँ बगलामुखि की जय जयकार करता हूँ।

नोट:- हवन में आयुषी ने भजन गाया है ‘‘माँ मेरे नौकरी अब पक्की करो। के तेरे चरणों में मेरी चाकरी अब पक्की करो।’’




डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

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Wednesday 30 May 2018

सफलता कैसे प्राप्त करें

जहाँ भौतिक विज्ञान समाप्त होता है, वहीं से आध्यात्म विज्ञान का क्षेत्र प्रारम्भ होता है। हम देखते हैं तमामों मंत्र जप के बाद भी सफलता नहीं मिलती, साधक का मन टूट जाता है व तंत्र विज्ञान से उसका मन विचलित होने लगता है, उसका धैर्य भी डगमगाने लगता है, तब केवल एक ही बात मस्तिष्क में आती है, कहीं कुछ न कुछ तो गड़बड़ है या तो हमने एकाग्रचित होकर जप नहीं किया केवल माला ही फेरते रहे और ध्यान कहीं अन्यत्र ही विचरण करता रहा। प्रारम्भ में मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था, जप चल रहा है और मन दुनिया की गणित में विचरण करता रहा, कैसे सफलता मिले। मन को एकाग्र कर मात्र ध्यान पर ही चिन्तन करते हुए मंत्र जप करते हैं। दूसरी सफलता प्राप्त करने की विधि यह है कि अपने प्रारब्ध को ठीक करें, श्रीमद् गीता में  श्री कृष्ण जी ने स्पष्ट कहा है, अनेकों जन्मों के कार्यों से प्रारब्ध का निर्माण होता है, जिसे भोगना ही पड़ता है, यदि पिछले जन्मों में हमसे कुछ बुरे कार्य हो गये हैं तो उसे ठीक करने में माँ भगवती पीताम्बरा के गायत्री मंत्र का जप पूर्णरूपेण सक्षम है। कहा भी गया है बिना गायत्री संध्या के शिवा स्वरूपा भगवती पीताम्बरा बगला श्रेष्ठ फल प्रदान नहीं करती, कारण चाहे कुछ भी हो।

अब आते हैं उस कारण को जानने हेतु मंथन करते हैं - वह है प्रारब्ध जो सफलता प्राप्त होने में रूकावट बनता है, यदि इसको ठीक कर दिया जाये तो इनके मंत्रों के उपयोग से सफलता मिलने में देर नहीं लगती हैजैसा पूर्व में मैंने अपने लेख अक्टूबर, 2016 में ‘‘संतान प्राप्त हेतु’’ में बगला गायत्री के जप का पूर्ण विधान दे दिया है।

अब एक दृष्टान्त देखें किसी कार्यवश में एक सज्जन के साथ उनकी मोटर साइकिल पर पीछे बैठे जा रहा था, सामने एक कार चल रही थी। एकाएक कार वाले ने ब्रेक लगा दिया मोटर साइकिल चालक ब्रेक न लगाकर कार को काटकर आगे बढ़ाना चाहा, परन्तु मोटर साइकिल कार की पिछली लाइट तोड़कर उसी में उसका हैण्डल इतनी जोर से टकराया कि कार का पिछला हिस्सा ही टूट गया, हम दोनो सकुशल रहे। कार शोरूम गयी वहाँ पता चला रू 15,000.00 में यह सब ठीक होगा। मैंने 10 हजार देने की पेशकस की जिसे कार वाले ने स्वीकार कर लिया, अब इस प्रकरण का ध्यान से चिन्तन करें तो हम पाते हैं आज मेरे प्रारब्ध में ऐक्सीडेंट था सो हुआ। भगवती ने इसे इतना सूक्ष्म कर दिया कि शरीर पर कोई खरोंच तक नहीं आयी यदि मोटर साइकिल थोड़ा और कटकर निकलती तो हम दोनों के घुटने कार से टकराते तब सोचिये घुटने की क्या दशा होती और उसके इलाज में लाखों का खर्च आता व शारीरिक कष्ट अलग से भुगतना पड़ता। यह हालत तो तब है जब कि मैं प्रतिदिन भगवती के गायत्री मंत्र का 10 माला जप कर रहा हूं। अतः मेरा भगवती के सभी साधकों से बारम्बार अनुरोध है कि नित्य बगला गायत्री का जप अवश्य करते रहें और बुरे प्रारब्ध से सुरक्षित रहें।

बगला गायत्री हवन सामग्री:-

1. पिसी हल्दी 1 किलो.
2. मालकागंनी 500 ग्राम
3. पीली सरसों 500 ग्राम
4. गुगल 200 ग्राम
5. सुनहरी हड़ताल 100 ग्राम
6. लौंग 20 ग्राम
7. छोटी इलाइची 10 ग्राम
8. सेंधा नमक 10 ग्राम
9. हवन सामग्री 1 किलो पैकेट
10. देशी घी 500 ग्राम





नोट:-  जप रूद्राक्ष की माला से करें।

डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

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Sunday 29 April 2018

माँ बगलामुखी व बहुत बड़ी डॉक्टर

मैं हमेशा से कहता रहा, माँ बहुत बड़ी डॉक्टर भी है, कैसा भी असहाय रोग क्यों न हो यदि माँ की कृपा हो गयी तो रोगी को निरोग होते देर नहीं लगती। ऐसा मेरा बारम्बार का अनुभव रहा है। कई ब्रेन हैम्रेज के केस जिसमें डाक्टरों ने अपनी सामथ्र्य के बाहर का केस घोषित कर दिया था। अर्थात् रोगी की मौत सुनिश्चित हो गयी थी, माँ को पुकारा गया, माँ ने पुकार सुनी और रोगी रोग मुक्त हो गया, उसे माँ ने जीवन दान दे दिया। इन सब अनेकों घटना चक्र को देखते हुए मैं इन्हें बहुत बड़ी डॉक्टर भी कहता हूँ।
एक ऐसा रोगी जो पिछले सात माह से अपने हाथ के तीव्र दर्द से परेशान था, काफी बड़े-बड़े अस्पतालों में चिकित्सा करायी, मंहगी-मंहगी जाँचें हुई, काफी पैसा खर्च हुआ परिणाम शून्य ही रहा। यह केस मेरे पास आया, मैंने यह केस सबसे बड़ी डॉक्टर के हाथों में सौंप दिया, परिणाम तो मैं जानता ही था और मरीज को आराम हो गया।
इसमें पाताल क्रिया की गई, जो आज तक अपनी कसौटी पर हमेशा से खरी उतरी है।
क्रिया इस प्रकार की गई - शनिवार शाम पाँच बजे ‘‘ऊँ गुरवे नमः’’ का दस माला जाप कर गुरूदेव से रोग बाधा मुक्ति हेतु प्रार्थना कर, एक मिट्टी के कुल्हड़ में सरसों का तेल भर, उसमें आठ काले तिल डाल कर, उसका मुख काले कपड़े से बन्द कर भगवती बगला के मूलमंत्र का दस माले का ज पके बाद थोड़ा सा सिन्दूर कुल्हड़ के ऊपर डाल कर माँ पीताम्बरा से रोगी को रोग मुक्ति हेतु प्रार्थना की गई साथ ही पाँच माला बगला मुखी रोग बाधा मुक्ति मंत्र का जाप कर कुल्हड़ को जमीन में गाढ़ दिया गया। दूसरे ही दिन से मरीज को राहत मिलने लगी तथा कुछ ही दिनों बाद मरीज पूर्णतः निरोग हो गया।




रोग बाधा मुक्त मंत्र - ऊँ ह्रीं श्रीं ह्रीं रोग बाधा नाशय -नाशय फट्। 

नोट - ऐसा कहा गया है कि सात घंटे बाद ही मरीज को राहत मिलने लगती है, यदि इस प्रयोग से कोई अनुभुती न हो तो पुनः शनिवार को यह प्रयोग दोहरा दें।

डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

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Friday 30 March 2018

माँ की कृपा विचित्र होती है

अभी तक सुना था, अब मैं प्रत्यक्ष इस बात का साक्षी हूँ कि माँ की कृपा वास्तव में बड़ी विचित्र होती है, हुआ यह कि मैं पिछले चार वर्षों से अपनी दिमागी परेशानी से रात में ठीक से सो भी नहीं पाता था, मैं अपनी इस उल्झन को किसी से कह भी नहीं सकता था। क्या कंरू, क्या न करूं, कुछ समझ में नहीं आ रहा था, समय व्यतीत करने के लिए मैं नेट चला रहा था, उसमें baglatd.com के एक पोस्ट में हवन देखने से मुझे कुछ शान्ती का अनुभव होने लगा और उसको पढ़ना शुरू किया और फिर मानो मेरा मन उसी में खो गया, लगातार एक घंटे तक मैं उसी को पढ़ता रहा दूसरे दिन मैंने डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह से सम्पर्क किया, उन्होंने रूद्रयामल के बगला अष्टोतर शतनाम का एक हजार पाठ संकल्प कर करने का मुझे दिशा-निर्देश दिया जिसे पूर्ण कर शीघ्र ही उनके सामने उपस्थित हुआ।

दूसरे दिन उन्होंने मेरे साथ इसका हवन सम्पन्न कराया व मुझे आस्वस्त किया कि माँ की कुपा तुम पर हो गई है। अब सब अच्छा ही होगा धैर्य रखे। मन में बड़ी शान्ती का मैं अनुभव कर रहा था, दूसरे दिन मैंने अपने मन की सारी पीड़ा से डाक्टर साहब को अवगत करा दिया। उन्होंने बहुत अच्छे तरीके से उसका समाधान कर दिया। आज मैं चिन्तामुक्त होकर माँ पीताम्बरा के चरणों मे पूरा जीवन समर्पित कर रहा हूँ।

यह उपरोक्त बाते एक साधक के कष्टमयी जीवन से मुक्तिकर माँ के द्वारा उसे उचित मार्ग प्रदान किया गया। इनकी आप बीती इस प्रकार है - साधक की पुत्री का अपने एक सहपाठी से दिल लग गया, जो दूसरी बिरादरी का था, पुत्री सर्विस में थी व प्रतिमाह साठ हजार वेतन पा रही थी, वह उसका सहपाठी स्टेट बैंक में उच्चपद पर कार्यरत था, जब मैं इनकी समस्या सुन रहा था, उसी समय मेरा एक शिष्य राम चन्द्र यादव मुझसे मिलने दवाखाने पर आ गए, इनकी सारी समस्या सुनने के बाद राम चन्द्र यादव पुत्री के तयागमयी जीवन के कष्टों की अनुभूति कर भाव विभोर होकर रो पड़े और कहने लगे, आप की पुत्री का त्याग महान है वह साठ हजार पा रही है व लड़का भी बैंक में उच्चपद पर है, यदि वे दोनों कोर्ट मैरिज कर लें तो आप कुछ नहीं कर सकते, परन्तु पुत्री ने अपने प्रेम का गला घोंट कर आपकी मर्यादा पर कोई आंच न आए इसलिए उसने कहीं विवाह न करने का फैसला लिया। आप को ज्ञात होगा पुराने जमाने में स्वयंवर द्वारा विवाह होते थे, वर की योग्यता देखी जाती थी, उसकी जाति नहीं, मैं तो आप की पुत्री के त्याग को सुन कर नतमस्तक हूँ, मैं आप को सुझाव देता हूँ, यदि दोनों के मस्तिष्क-विचारों का संतुलन व सामंजस्य बना हुआ है, तब आप झूठी शान हेतु अपनी पुत्री के अरमानों का गला न घोंटे वही उचित होगा, यह मैं आप के विवेक पर छोड़ता हूँ कि आप क्या निर्णय लें। यह बात साधक के मन में बैठ गई कि माँ की शरण में आने के बाद ही उचित मार्ग दिखा है एक लम्बे समय के बाद मन की बातें निकली और उसका समाधान माँ की ही कृपा से हुआ अतः मैं कौन होता हूँ अपनी पुत्री के अरमानों का गला घोंटने वाला इसका विवाह वही होगा जहाँ पुत्री चाहती है। पुत्री के विवाह में मैने भी वर-वधू को माँ की ओर से शुभ आशीर्वाद प्रदान किया। यह होता है माँ पर भरोसा करने का परिणाम।

क्रिया इस प्रकार की गई -


रूद्रयामल का बगला अष्टोत्तर शतनाम स्त्रोत

नोट- माँ की कृपा विचित्र होती है - स्त्रोत पाठ हृदय की कातर पुकार के रूप में अभिव्यक्त हो तो आध्यात्मिक शक्तियाँ अपनी कृपा प्रदान करती ही है और पराम्बा शीघ्रतिशीघ्र द्रवित होती है। दुःखी व्यक्ति के हृदय से कातर पुकार निकलती ही है। शीघ्रता से गा कर, पाठ न करें कहा गया है - रटंत विद्या फलन्त ना ही। यहा हमारा बारम्बार का अनुभव रहा है, बगला शतनाम स्त्रोत में आश्चर्यजनक शक्ति समाई हुई है।

1. ब्रम्ह्मास्त्र रूपिणी देवी 
2. माता बगलामुखी।
3. चिच्छक्तिर्ज्ञानरूपा 
4 ब्रम्ह्मानन्द प्रदायिनी।। 1 ।।
5. महाविद्या  
6. महालक्ष्मी 
7. श्री मत्त्रिपुर सुन्दरी।
8. भुवनेशी 
9. जगन्माता 
10. पार्वती
11. सर्वमंगला।। 2 ।।
12. ललिता 
13. भैरवी 
14. शान्ता 
15. अन्नपूर्णा 
16. कुलेश्वरी।
17. वाराही 
18. छिन्नमस्ता 
19. तारा 
20. काली 
21. सरस्वती।। 3 ।।
22. जगत्पूज्या 
23. महामाया 
24. कामेशी 
25. भगमालनी।
26. दक्षपुत्री 
27. शिवांकस्था 
28. शिवरूपा 
29. शिव प्रिया।। 4 ।।
30. सर्व सम्पत्करी देवी 
31. सर्वलेाक वंशकरी।
32. वेद विद्या 
33. महापूज्या 
34. भक्ताद्वेषी 
35. भयंकरी।। 5 ।।
36. स्तम्भरूपा 
37. स्तम्भिनी 
38. दुष्ट स्तम्भन कारिणी।
39. भक्त प्रिया 
40. महाभोगा 
41. श्री विद्या 
42. ललिताम्बिका।। 6 ।।
43. मैनापुत्री 
44. शिवानन्दा 
45. मातंगी
46. भुवनेश्वरी।
47. नारसिहीं 
48. नरेन्द्रा 
49. नृपाराध्या 
50.नरोत्तमा।। 7 ।।
51. नागनी 
52. नागपुत्री 
53. नगराज सुता 
54. उमा।
55. पीताम्बरा 
56. पीतपुष्पा 
57. पीत वस्त्र प्रिया 
58. शुभा।। 8 ।।
59. पीत गंध प्रिया 
60. रामा 
61. पीतरत्नार्चिता 
62. शिवा।
63. अर्द्धचन्द्रधरी देवी 
64. गुदा मुद्गर धारिणी।। 9।।
65. सावित्री 
66. त्रिपदा 
67. शुद्धा 
68. सद्यो राग विवर्धिनी।
69. विष्णुरूपा 
70. जगन्मोहा 
71. ब्रह्मरूपा 
72. हरिप्रिया।। 10 ।।
73. रूद्ररूपा 
74. रूद्रशक्तिश्चिन्मयी 
75. भक्ता वत्सला।
76. लोकमाता 
77. शिवा 
78. सन्ध्या 
79. शिव पूजन तत्परा।। 11 ।।
80. धनाध्यक्षा 
81. धनेशी 
82. धर्मदा 
83. धनदा 
84. धना।
85. चण्डदर्पहरी देवी 
86. शुम्भासुर निवर्हिणी ।। 12 ।।
87. राज राजेश्वरी देवी 
88. महिषा सुर मर्दिनी।
89. मधु कैटभ हन्त्री 
90. रक्त बीज विनाशिनी।। 13 ।।
91. धूम्राक्ष दैत्य हन्त्री 
92. भण्डासुर विनाशिनी।
93. रेणु पुत्री  
94. महामाया 
95. भ्रामरी 
96. भ्रमराम्बिका।। 14 ।।
97. ज्वालामुखी 
98. भद्रकाली 
99. बगला 
100. शत्रु नाशिनी।
101. इन्द्राणी 
102. इन्द्र पूज्या 
103. गुहमाता 
104. गुणेश्वरी।। 15।।
105. ब्रजपाशधरा देवी 
106. जिह्वा मुद्गर धारिणी।
107. भक्ता नन्द करी देवी 
108 बगला परमेश्वरी।। 16।।



24 March Havan


23 March Havan


डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

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Wednesday 28 February 2018

जिन्न व ब्रह्म राक्षस को नष्ट करना

भुवनेश्वर से मेरे शिष्य ने बताया उसका सारा परिवार जिन्नो व ब्रह्म राक्षस द्वारा पूर्णतः तवाह किया जा चुका है। उनकी दो बेटियों व पत्नी के साथ ये अनैतिक सम्बन्ध बनाते हैं, बेटे के कारोबार में भी घाटा बना रहता है, कुल मिला कर मेरे परिवार की दुर्दशा बढ़ती ही जा रही है। बहुत उपाय किए, तांत्रिकों के भी अनेकों चक्कर लगाए, परन्तु कहीं भी सफलता नहीं मिल सकी। मैं क्या करुं, किससे कहूं, कुछ समझ में नही आ रहा , मैं जीवन से हताश हो चुका हूँ, चारों ओर अन्धकार ही अन्धकार है, कहीं से प्रकाश की कोई किरण नहीं दिख रही हे, कुल मिलाकर आत्म हत्या करने का विचार बार-बार मेरे मन में कौंध रहा हैं क्या करुं, इसी उधेड़ बुल में बैठा मैं नेट चला रहा था, वहाँ एक अनुभव दिखा, उसे मैं पढ़ता रहा और पड़ता ही रहा, तभी मुझे महसूस होने लगा कि यहीं से मेरी समस्याओं का निदान हो जाएगा, अतः बिना समय व्यर्थ किए मैंने रात्रि दो बज कर तीस मिनट पर ही डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह को फोन लगा दिया, यह मेरा सौभाग्य था कि फोन डाक्टर साहब ने तुरन्त उठा लिया। मैने शीघ्रता पूर्वक अपनी सारी समस्याओं से उन्हें अवगत कराया। डाक्टर साहब ने हमें आवश्वासन दिया, सब ठीक हो जाएगा, माँ पीताम्बरी पर भरोसा रखों, अभी मैं जप से उठा हूँ, थोड़ा खा पीकर आराम कर लूं, कल सुबह बात होगी, पुनः आश्वासन देता हूँ तुम्हारे इस कष्टकारी जीवन में माँ की कृपा अवश्य होगी

वह रात मेरे जीवन की बहुत लम्बी रात थी, रातभर मैं सो ना सका, घड़ी ही देखता रहा, कब सुबह हो। एक लम्बे समय के बाद, एक आशा की किरण मुझे दिखी थी, मुझे आभास हो रहा था, अब मेरे कष्टों का अन्त निकट ही है, क्यों कि जब डाक्टर साहब ने हमें आश्वासन दिया, उसी क्षण मेरे शरीर में एक सिहरन सी उठी थी, मानो एक क्षण के लिए शरीर में तेज ठंडक का अनुभव हुआ, ऐसा अनुभव किसी भी तांत्रिक से मिलने के पश्चात् हमें नहीं हुआ।

दूसरे दिन डाक्टर साहब को फोन लगाया, मानों वो हमारी ही प्रतीक्षा कर रहे थे, तुरन्त फोन उठा, व हमें बगला अष्टोत्तर के दस हजार पाठों का संकल्प कर पाठ करने का निर्देश दिया व बाकी मैं देख लेता हूँ, कह कर उन्होंने फोन रख दिया। मैंने यह संकल्प पूर्ण किया। हमें अब यह सब स्वप्न जैसा लग रहा है इन सारी कष्टकारी समस्याओं का अन्त हो गया है। यह आप बीती एक साधक की है अब वह हमारा शिष्य है और लोगों के कष्टा को दूर करने में सदैव तत्पर रहता है।

इस प्रकरण में शतनामों के पाठों की संख्या अत्यधिक दो कारणवश बताई गई - पहला यजमान का ध्यान कष्ट से हटा रहे व माँ के पाठों में ही लगा रहे, क्योंकि प्रचंड तीव्र शक्तियों से निपटना कोइ सुगम कार्य नहीं था, इसमें समय लगेगा और दुःखी व्यक्ति चाहता है, कार्य तुरन्त हो जाए। दूसरा जब वह माँ का पाठ करेगा तो माँ की कृपा प्राप्त होनी ही होनी है, जिससे मैं इसके लिए जो प्रयोग करूंगा उससे हमें शीघ्र सफलता प्राप्त होगी और ऐसा ही माँ ने किया हमें सफलता दे दी और वह परिवार आज सुखमय जीवन की ओर अग्रसर हो रहा है।

क्रिया इस प्रकार की गई:-

बगला तंत्र के अन्तर्गत ब्रह्मास्त्र माला मंत्र का नित्य 108 पाठ व हवन, ऐसा 30 दिनों तक निरंतर किया गय। मेरा यंत्र चटक गया भगवती ने उसकी सारी दुष्ट शक्तियों को यंत्र में चपका कर नष्ट कर दिया, प्रमाण यंत्र में दे दिया। अब वह परिवार सुखी है, माँ कभी भी अपने साधकों को निराश नहीं होने देती ऐसा मेरा बारम्बार का अनुभव रहा है।

ब्रह्मास्त्र माला मंत्र:-

ॐ नमो भगवति चामुण्डे नरकंकगृधोलूक परिवार सहिते श्मशानप्रिये नररूधिर मांस चरू भोजन प्रिये सिद्ध विद्याधर वृन्द वन्दित चरणे ब्रह्मेश विष्णु वरूण कुबेर भैरवी भैरवप्रिये इन्द्रक्रोध विनिर्गत शरीरे द्वादशादित्य चण्डप्रभे अस्थि मुण्ड कपाल मालाभरणे शीघ्रं दक्षिण दिशि आगच्छागच्छ मानय-मानय नुद-नुद अमुकं (अपने शत्रु का नाम लें).......... मारय-मारय, चूर्णय-चूर्णय, आवेशयावेशय त्रुट-त्रुट, त्रोटय-त्रोटय स्फुट-स्फुट स्फोटय-स्फोटय महाभूतान जृम्भय-जृम्भय ब्रह्मराक्षसान-उच्चाटयोच्चाटय भूत प्रेत पिशाचान् मूर्च्छय-मूर्च्छय मम शत्रून् उच्चाटयोच्चाटय शत्रून् चूर्णय-चूर्णय सत्यं कथय-कथय वृक्षेभ्यः सन्नाशय-सन्नाशय अर्कं स्तम्भय-स्तम्भय गरूड़ पक्षपातेन विषं निर्विषं कुरू-कुरू लीलांगालय वृक्षेभ्यः परिपातय-परिपातय शैलकाननमहीं मर्दय-मर्दय मुखं उत्पाटयोत्पाटय पात्रं पूरय-पूरय भूत भविष्यं तय्सर्वं कथय-कथय कृन्त-कृन्त दह-दह पच-पच मथ-मथ प्रमथ-प्रमथ घर्घर-घर्घर ग्रासय-ग्रासय विद्रावय – विद्रावय उच्चाटयोच्चाटय विष्णु चक्रेण वरूण पाशेन इन्द्रवज्रेण ज्वरं नाशय – नाशय प्रविदं स्फोटय-स्फोटय सर्व शत्रुन् मम वशं कुरू-कुरू पातालं पृत्यंतरिक्षं आकाशग्रहं आनयानय करालि विकरालि महाकालि रूद्रशक्ते पूर्व दिशं निरोधय-निरोधय पश्चिम दिशं स्तम्भय-स्तम्भय दक्षिण दिशं निधय-निधय उत्तर दिशं बन्धय-बन्धय ह्रां ह्रीं ॐ बंधय-बंधय ज्वालामालिनी स्तम्भिनी मोहिनी मुकुट विचित्र कुण्डल नागादि वासुकी कृतहार भूषणे मेखला चन्द्रार्कहास प्रभंजने विद्युत्स्फुरित सकाश साट्टहासे निलय-निलय हुं फट्-फट् विजृम्भित शरीरे सप्तद्वीपकृते ब्रह्माण्ड विस्तारित स्तनयुगले असिमुसल परशुतोमरक्षुरिपाशहलेषु वीरान शमय-शमय सहस्रबाहु परापरादि शक्ति विष्णु शरीरे शंकर हृदयेश्वरी बगलामुखी सर्व दुष्टान् विनाशय-विनाशय हुं फट् स्वाहा। ॐ ह्ल्रीं बगलामुखि ये केचनापकारिणः सन्ति तेषां वाचं मुखं पदं स्तम्भय-स्तम्भय जिह्वां कीलय – कीलय बुद्धिं विनाशय-विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा । ॐ ह्रीं ह्रीं हिली-हिली अमुकस्य (शत्रु का नाम लें) वाचं मुखं पदं स्तम्भय शत्रुं जिह्वां कीलय शत्रुणां दृष्टि मुष्टि गति मति दंत तालु जिह्वां बंधय-बंधय मारय-मारय शोषय-शोषय हुं फट् स्वाहा।।




नोट - शत्रु के स्थान पर ‘‘गुप्त अलौकिक शत्रु’’ दिया गया।

डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

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Tuesday 30 January 2018

तांत्रिक विधान और माँ बगलामुखी


नेट के माध्यम से एक महिला ने हमें फोन किया, लगभग आधे घंटे बात हुई, उसके सारे कष्ट सुनने के बाद मैंने उसे प्रेरित किया कि वह माँ की शरण में आ जाए, सारे कष्टों का निदान हो जाएगा, परन्तु जटिल समस्याओं के चक्र व्यूह में वह बुरी तरह उलझ गई व कोई भी साधना करने का साहस उसमें शेष नहीं रह गया था। दो पुत्रियाँ भी कष्टों से घिरी रहती। तरह-तरह के स्वप्न आना, शरीर दुखना, कमर में दर्द, जाँघों में फटन, दिन भर आलस में पड़े रहना, किसी कार्य में मन न लगना। किसी जानकार को दिखलाया उसके मतानुसार किया धरा है। मैंने इनके परिवार के पृष्ठिभूमि के बारे में जानकारी ली तो ज्ञात हुआ, इन्हीं के परिवार के लोग ही इनके पीछे पड़े हैं कि लड़का न होने पाए। मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि कृत्या का प्रयोग किया गया है, अतः तांत्रिक विधान काटने व कृत्या विनाश हेतु बगला प्रत्यंगिरा से संम्पुटित बगला सूक्त के ग्यारह हजार पाठों का चयन किया। भगवती का स्वभाव है अपने साधकों को अचंम्भित कर देना, इनके भक्त परिणाम देख कर अंचम्भित होकर गद्गद् हो जाते हैं, वही मेरे साथ भी हुआ, हवन का धूंवा ध्रूम रंग का न होकर, काले रंग का उठता रहा मानो डीजल जल रहा हो और अन्त में ध्रूम रंग का धूंवा काफी मात्रा में उठा। इसके ऊपर की गई सारी कृत्या को भगवती ने एक ही झटके में समाप्त कर दिया। सारा दर्द समाप्त हो गया, स्वपनों का अन्त हो गया, परिवार में खुशहाली है, कोई रोग नहीं, कोई बाधा नहीं। एक वर्ष पश्चात् इनके घर एक बालक ने जन्म लिया अर्थात् घर का चिराग माँ ने बुझने नहीं दिया।





क्रिया इस प्रकार की गई -

संकल्प - पर कृत्या, पर मंत्र, पर यंत्र, पर तंत्र निवार्णनार्थे बगला प्रत्यंगिरा, सम्पुटे बगला सूक्त एको परी एका सहस्त्र (ग्यारह हजार) पाठे अंह कुर्वे।

नोट - बगला प्रत्यंगिरा व बगला-सुक्त हम लिख चुके हैं।

डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

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Saturday 30 December 2017

माँ बगलामुखी की कृपा का आंकलन कैसे करें

भगवती पीताम्बरा अपने सभी साधकों पर कृपा अवश्य करती है, ऐसा मेरा बारम्बार का अनुभव रहा है कुछ साधकों को प्रत्यक्ष कृपा मिलती है तो कुछ को घटना चक्र के अनुसार माँ की कृपा का अनुभव होता है दृष्टांत देखें -
1. लखनऊ में राधिका सिंह जो मेरी शिष्या हैं ने हमें बतलाया इनकी बेटी सेवारत है जो दूसरी बिरादरी के लड़के को चाहने लगी व उसी से विवाह करने की ज़िद ठान ली। मैंने भी मन बना लिया कि इसकी कोर्ट मेरिज कर दूंगी, परन्तु लड़का कुछ करता नहीं था। अतः मेरा मन पता नहीं क्यों इस विवाह के लिए इच्छुक नहीं हो रहा था, तभी नेट के माध्यम से मैं तपेश्वरी दयाल सिंह के सम्पर्क के आकर उनसे दीक्षा ली। गुरू जी द्वारा बताये जप व सतनाम का एक हजार पाठ कर गुरू जी से हवन करवाया, हवन होने के दो दिन पश्चात् घटना चक्र बहुत तेजी से बदलने लगे, मैं भी अचम्भित थी कि यह हो क्या रहा है। हमें विश्वास ही नहीं हो रहा था, चूंकि मैंने अपनी बेटी को बहुत समझाया, ऊँच-नींच की खाई की दुहाई दी, परन्तु वह उस लड़के से ही विवाह करने की ज़िद पर दृढ़ता से खड़ी थी। परन्तु ऐसा क्या हो गया मैरी बेटी ने उस लड़के से विवाह करने से ही मना कर दिया। हुआ यह कि लड़के के दो अन्य लड़कियों से अनैतिक सम्बन्ध चल रहे थे, उन दो लड़कियों में से एक कन्या ने सप्रमाण उस लड़के की पोल मेरी बेटी को दिखा दिया। सही समय पर माँ ने हम पर कृपा की और मेरी बेटी को अन्धकार में जाने से बचा दिया।
मैंने बेटी के लिए रिश्ता ढूंढा विवाह की दो रश्में भी पूर्ण हो गयी, फिर लड़के वालों ने विवाह से मना कर दिया, मेरे तो होश ही उड़ गये, गुरू जी ने समझाया परेशान न हो माँ सब ठीक करेगी, गुरू जी ने एक संकल्पित हवन का आयोजन किया, कुछ ही दिन बाद लड़के वालों ने कहला भेजा कि आप लोग तिलक लेकर कब आ रहें हैं, इस प्रकार पुनः माँ ने हम पर अपनी कृपा दृष्टि की जिससे मेरी बेटी का विवाह निर्विघ्न पूर्ण हुआ। मैं देखती हूं जब से हम गुरू जी के सम्पर्क में आयें हैं। गुरू जी फोन द्वारा ही मेरी समस्याओं का समाधान तुरन्त बता देते हैं व माँ की कृपा का अनुभव भी करा देते हैं। मेरी हार्दिक कामना है ऐसे गुरू जी सभी सच्चे हृदय वाले साधकों को मिलें।

2. मेरठ से मेरी शिष्या उमा जोशी जिसकी हाथों व पैरों में रात में काफी भयानक खुजली होती थी। पिछले चार वर्षों से परेशानी थी अनेकों दवा की तांत्रिकों के अभिमन्त्रित तेलों का प्रयोग किया कुछ लाभ न हुआ। जब से मैं भगवती बगलामुखी की शरण में आयी यह सारी समस्याओं का स्वतः ही समाधान हो गया। जब कभी खुजली होती है अपनी गदेलियों को मूल मंत्र से अभिमंत्रित कर वहां हाथ फैर देती हूँ खुजली तुरन्त समाप्त हो जाती है, है न यह माँ की कृपा ।

3. अलीगढ़ से मेरे शिष्य सुरेश चन्द्र ने भी माँ की कृपा का अनुभव इस प्रकार प्राप्त किया - मेरे बेटे का विवाह तय होकर विवाह की दो रश्में भी पूर्ण हो गयी परन्तु कहीं से पैसों का प्रबन्ध नहीं हो पा रहा था, मैंने उन्हें आश्वासन दिया, यदि माँ पर भरोसा किया है तो वह कुछ न कुछ प्रबन्ध अवश्य करेगी और हुआ भी ऐसा ही, विवाह से एक सप्ताह पूर्व ही इन्हें विवाह सम्पन्न कराने से अधिक पैसों का प्रबन्ध हो गया, इन्होंने माना माँ कृपा अवश्य करती है। हुआ यों कि इन्होंने ने दो वर्ष पूर्व ब्रेड कारखाना लगाया था। कुछ मशीनें व बड़ा ओवन भी लिया था, परन्तु कुछ कारणोंवश कारखाना नहीं चल सका। अब इन्होंने जिससे मशीनें वगैरह खरीदे थे अपनी समस्या बताते हुए उसे अनुरोध किया जो भी उचित पैसा बनता हो हमें देकर मशीनें ले लीजिये, मशीन बनाने वाली पार्टी ने आकर देखा वह उतने ही पैसे इनको दे दिये जितने में इन्होंने मशीनें खरीदें थी, लाखों रूपये इनके हाथों में थे, पुत्र का विवाह निर्विघ्न सम्पन्न हुआ।

4. लखनऊ से मेरे शिष्य मयंक सिंह को माँ की कृपा का चमत्कारी अनुभव प्राप्त हुआ, शतनाम एक हजार पाठ कर इसका हवन सम्पन्न किया। अमेरिका जाने का बीजा माँ ने इतनी सरलता से दे दिया कि इन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था। अमेरिका का बीजा इस समय बड़ी ही कठिनाई से मिल रहा है। इन्टरव्यु में उत्तीर्ण होने के कम ही अवसर होते हैं। इन्टरव्यु में जब इसका नम्बर आया तो इन्होंने माँ का स्मरण कर उनसे प्रार्थना की, माँ आप ही सम्भालें, इन्टरव्यु भी चमत्कारी ही हुआ, दो प्रश्न पूछे और ओ0के0 कर दिया। मेरे शिष्य मयंक सिंह अब अमेरिका रिटर्न होकर माँ के चरणों की सेवा में अपने आप को पूर्ण समर्पित कर दिया है। यह एक विद्ववान वैज्ञानिक हैं व समय निकाल कर माँ बगलामुखी की स्त्रुति परक एक गीत लिखकर हमें दिया है जो शीघ्र ही आप को हवन में सुनने को मिलेगा।




गुप्त संकेत - 

नित जाप करे जो पाँच हजार,
विजय पावें बहु बारम्बार,
बगलामुखी की जय जय कार।

नोट:- मेरे सारे शिष्य इस गुप्त संकेत से लाभ प्राप्त कर रहें है, आप भी प्राप्त करें।
डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

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