Sunday 29 April 2018

माँ बगलामुखी व बहुत बड़ी डॉक्टर

मैं हमेशा से कहता रहा, माँ बहुत बड़ी डॉक्टर भी है, कैसा भी असहाय रोग क्यों न हो यदि माँ की कृपा हो गयी तो रोगी को निरोग होते देर नहीं लगती। ऐसा मेरा बारम्बार का अनुभव रहा है। कई ब्रेन हैम्रेज के केस जिसमें डाक्टरों ने अपनी सामथ्र्य के बाहर का केस घोषित कर दिया था। अर्थात् रोगी की मौत सुनिश्चित हो गयी थी, माँ को पुकारा गया, माँ ने पुकार सुनी और रोगी रोग मुक्त हो गया, उसे माँ ने जीवन दान दे दिया। इन सब अनेकों घटना चक्र को देखते हुए मैं इन्हें बहुत बड़ी डॉक्टर भी कहता हूँ।
एक ऐसा रोगी जो पिछले सात माह से अपने हाथ के तीव्र दर्द से परेशान था, काफी बड़े-बड़े अस्पतालों में चिकित्सा करायी, मंहगी-मंहगी जाँचें हुई, काफी पैसा खर्च हुआ परिणाम शून्य ही रहा। यह केस मेरे पास आया, मैंने यह केस सबसे बड़ी डॉक्टर के हाथों में सौंप दिया, परिणाम तो मैं जानता ही था और मरीज को आराम हो गया।
इसमें पाताल क्रिया की गई, जो आज तक अपनी कसौटी पर हमेशा से खरी उतरी है।
क्रिया इस प्रकार की गई - शनिवार शाम पाँच बजे ‘‘ऊँ गुरवे नमः’’ का दस माला जाप कर गुरूदेव से रोग बाधा मुक्ति हेतु प्रार्थना कर, एक मिट्टी के कुल्हड़ में सरसों का तेल भर, उसमें आठ काले तिल डाल कर, उसका मुख काले कपड़े से बन्द कर भगवती बगला के मूलमंत्र का दस माले का ज पके बाद थोड़ा सा सिन्दूर कुल्हड़ के ऊपर डाल कर माँ पीताम्बरा से रोगी को रोग मुक्ति हेतु प्रार्थना की गई साथ ही पाँच माला बगला मुखी रोग बाधा मुक्ति मंत्र का जाप कर कुल्हड़ को जमीन में गाढ़ दिया गया। दूसरे ही दिन से मरीज को राहत मिलने लगी तथा कुछ ही दिनों बाद मरीज पूर्णतः निरोग हो गया।




रोग बाधा मुक्त मंत्र - ऊँ ह्रीं श्रीं ह्रीं रोग बाधा नाशय -नाशय फट्। 

नोट - ऐसा कहा गया है कि सात घंटे बाद ही मरीज को राहत मिलने लगती है, यदि इस प्रयोग से कोई अनुभुती न हो तो पुनः शनिवार को यह प्रयोग दोहरा दें।

डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

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