Monday 17 October 2016

संतान प्राप्त हेतु - माँ बगलामुखी कृपा


एक महिला जिसकी उम्र 43 वर्ष, लंदन में रहती हैं, कोई संतान नहीं हुई, वह महिला डाक्टर है, परन्तु चिकित्सकों के अनुसार वह माँ नहीं बन सकती। जहाँ विज्ञान समाप्त हो जाता है, वहाँ से अध्यात्म का प्रारम्भ हो जाता है, ऐसा मैने सुना था, अब समय आ गया कि इसका परीक्षण भी कर लिया जाय। यह केस मेरे पास आया। सर्व प्रथम उस महिला के प्रारब्ध को ठीक करना था, तभी सफलता मिल सकती है, बुरे प्रारब्ध को ठीक करने की क्षमता भगवती पीताम्बरा के पास है यह मुझे भली-भांति ज्ञात है अतः बगला गायत्री का एक लाख जप का संकल्प लिया। बिना गायत्री संध्या के शिवा स्वरूपा भगवती पीताम्बरा बगला श्रेष्ठफल प्रदान नहीं करती। एक लाख जप पूर्ण करने के बाद ‘बगला हृदय मंत्र’ द्वारा यजमानस्या को संतान प्रप्ति हेतु प्रार्थना की गई। संख्यान तंत्र में स्पष्ट दिया है बन्ध्या पुत्रवती चैव, षण्मानसादि भवित घ्रुवम

परिणाम:- अति सुन्दर आया, मेरी यजमानस्या गर्भवती हुई, कुछ समयोपरान्त उसने जुड़ुवा पुत्रों को जन्म दिया। है न माँ की महिमा, मैं माँ का आभार मानते हुए उन्हें कोटिश-कोटि प्रणाम करता हूँ।
क्रिया जिस प्रकार की गई आप के समक्ष
श्री बगला गायत्री मंत्र विधि विधान के साथ प्रस्तुत है:-

मंत्र:- ‘‘ऊँ ह्लीं ब्रह्महस्त्राय विद्यहे स्तम्भन-वाणाय धीमहि तन्नः बगला प्रचोदयात्। (27 अक्षरी)

संकल्प:- ऊँ तत्सद्य परमात्मन ..... मम यजमानस्या पुरातन अनिष्ट प्रारब्ध नष्टार्थे च नव मंगलमय प्रारब्ध निर्माणार्थे श्री बगला गायत्री मंत्र एक लक्ष जपे अहं कुर्वे।

विनियोगः - ऊँ अस्य श्री बगला गायत्री मन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषि, गायत्री छन्दः ब्रह्मास्त्र- बगला देवता, ऊँ बीजं, ह्लीं शक्तिः, विद्यहे कीलकं, श्री ब्रह्मास्त्र बगलाम्बा प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।

ऋष्यादि न्यास:- 
श्री ब्रह्मार्षये नमः शिरसि, 
गायत्री छन्दसे नमः मुखे, 
श्री ब्रह्मास्त्र बगलाम्बा-प्रीत्यर्थे जपे विनियोगाय नमःअंजलौ । 

कर न्यास:- 
ऊँ ह्लीं ब्रह्मास्त्राय विद्यहे अनुष्ठाभ्यां नमः, 
स्तम्भन वाणाय धीमहि तर्जनीभ्यां स्वाहा, 
तन्नो बगलाप्रचोदयात् मध्यमाभ्यां वषट्, 
ऊँ ह्लीं ब्रह्मास्त्राय विद्यहे अनामिकाभ्यां हुं, 
स्तम्भन वाणाय धीमहि कनिष्ठाभ्यां वौषट्, 
तन्नो बगला प्रचोदयात् कर तल-कर पृष्ठाभ्यां फट्।

अङग न्यास:- 
ऊँ ह्लीं ब्रह्मास्ताय विद्यहे हृदयाय नमः, 
स्तम्भन वाणाय धीमहि शिरसे स्वाहा, 
तन्नों बगला प्रचोदयात्, शिखायै वषट्, 
ऊँ ह्लीं ब्रह्मास्ताय विद्यहे कवचाय हुं, 
स्तम्भन-वाणाय धीमहि नेत्र-त्रयाय वौषट्, 
तन्नो बगला प्रचोदयात अस्त्राय फट्।

ध्यान:- 


(प्रातः)

गम्भीरां च मदोन्मत्तां, स्वर्ण-कान्ति-सम-प्रभाम्।
चतुर्थजां त्रि-नयनां, कम लासन-संस्थिताम्।।
मुद्गर दंक्षिणें पाशं, वामे जिह्वां च विभ्रतीम।
पीताम्बर-धरां सौम्यां, दृढ़-पीन-पयोधराम्।।
हेम-कुण्डल-भूषाङगी, पीत-चन्द्रार्द्ध-शेखराम्।
पीत-भूषण-भूषाङगी, स्वर्ण-सिहासने स्थिताम्।।

(दोपहर) 

दुष्ट-स्तम्भनमुग्र-विघ्न-शमनं दारिद्र्य-विद्रावणम्,
भूभृत्-सन्दमनं चलन्मृग-दृशां चेतः समाकर्षणम् ।
सौभाग्यैक-निकेतनं सम-दृश कारुण्य-पूर्वेक्षणम्,
मृत्योर्मारणमाविरस्तु पुरतो मातस्त्वदीयंमातस्त्वदीयं वपुः 

(सायं)

मातर्भञ्जय मद्-विपक्ष-वदनं जिह्वां च संकीलय,
ब्राह्मीं मुद्रय दैत्य-देव-धिषणामुग्रां गतिं स्तम्भय ।
शत्रूंश्चूर्णय देवि ! तीक्ष्ण-गदया गौरांगि, पीताम्बरे !
विघ्नौघं बगले ! हर प्रणमतां कारुण्य-पूर्णेक्षणे ! ।

अब उपरोक्त 27 अक्षरी मंत्र का एक लाख जप करने के उपरान्त बगला हृदय मंत्र का एक लाख जप संकल्प कर किया गया।

श्री बगला हृदय मंत्र (80 अक्षरी) - सांख्यायन तन्त्र से लिया गया है।

|| आं ह्लीं क्रों ग्लौं हूं ऐं क्लीं श्रीं ह्रीं वगलामुखि आवेशय आवेशय आं ह्लीं क्रों ब्रह्मास्त्ररुपिणि एहि एहि आं ह्लीं क्रों मम हृदये आवाहय आवाहय सान्निध्यं कुरु कुरु आं ह्लीं क्रों ममैव हृदये चिरं तिष्ठ तिष्ठ आं ह्लीं क्रों हुं फट् स्वाहा ||

नोट: यह मंत्र बड़ा ही चमत्कारिक है। इसे सिद्ध कर, मात्र 3 बार अभिमंत्रित जल को पिलाने से रोगी रोग मुक्त हो जाता है।



डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
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