Friday 5 July 2019

शत्रु को दण्ड देना

यदि आप निरपराधी हैं और शत्रु आप पर लगातार तंत्र का दुरूपयोग कर आप को परेशान कर रहा है, तब माँ के दंड विधान प्रयोग करने में विलम्ब न करें, जब तक दुष्ट  को उसकी दुष्टता का दंड नहीं मिल जाता, वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करता ही रहता है। अपने गुरु से आज्ञा लेकर दंड विधान को प्रारम्भ कर दें, शीघ्र ही दुष्ट के किए हुए कर्मों की सजा माँ स्वयं दे देती है। मै एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूँ, जिसका पूरा जीवन ही संघर्ष में निकल गया फिर भी वह परेशान था जब किसी भी मंत्र के प्रयोग से सफलता न मिल पा रही हो, तब ग्रामीण आंचल में प्रचलित माँ पीताम्बरा के शाबर मंत्र का प्रयोग करें- सुखद परिणाम मिलता है। प्रयोग से पूर्व शावर पद्यति से इसे जाग्रत कर लेते हैं अर्थात होली, दीपावली व ग्रहण काल में एक हजार जप कर इसे जाग्रत कर लेते हैं।

प्रयोग विधि- मंत्र प्रयोग से पूर्व कन्या पूजन करते हैं किसी जमादार, भंगी की कन्या(जिसका मासिक न प्रारम्भ हुआ हो) का पूजन करते हैं, एक दिन पूर्व जाकर कन्या की माँ से उसे नहला कर लाने को कहे फिर नए वस्त्र (चड्ढी व फराक) पीले हो तो अति उत्तम, पहना कर, चुनरी ओढ़ा कर ऊँचे स्थान (पीढ़ा या कुर्सी) पर बैठा कर, खुद उसके नीचे बैठे व हृदय में भावना करे कि मैं माँ का श्रिंगार व पूजन कर रहा हूँ, इस क्रिया में भाव ही प्रधान होता है, अब उसके पैरों पर जल धीरे-धीरे डालते हुए मन में भावना करे मैं माँ के पैरों को अच्छे से साफ कर रहा हूँ फिर उसे तौलिए से पोछ कर, नई चप्पल पहनाए तथा पीला भोग (छेने की रसमलाई या बर्फी पीली) अपने हाथ से खिलाए व उसे ध्यान से देखे कभी-कभी कन्या का पैर या चेहरा पीले रंग में दिखने लगता है। भोग लगाने के बाद उसे कुछ देर बैठा रहने दें व स्वयं मन ही मन प्रार्थना करें

‘‘हे माँ हमें शत्रुओं ने बहुत पीड़ित कर रखा है, हम पर कृपाा करें उन शत्रुओं से हमारी रक्षा करे व उन्हें दंड दे‘‘

फिर कन्या के हाथ में यथा शक्ति दक्षिणा रख कर उससे आशीर्वाद लेकर रात्रि में इस मंत्र का एक सौ आठ बार जप कर पुनः शत्रु को दंड देने हेतु प्रार्थना कर दे। सात दिन लगातार इस प्रयोग से माँ पीताम्बरा शत्रु को मृत्यु तुल्य दंड देती है, जैसा मैंने देखा है।

इस मंत्र का प्रयोग आजमाने हेतु या निरपराधी व्यक्ति पर भूल कर न करें नहीं तो दुष्परिणाम भोगने ही पड़ जाता है।

मंत्र -‘‘जय जय बगला महारानी, अगम निगम की तुम्हीं बखानी, संकट में घिरा दास तुम्हारो, अमुक (अपना नाम दें) दास को तुरत उबारो, बैरी का बल छिन लो सारो, निर्दयी दुष्टों को तुम्हीं संघारो, जिव्हा खिंच लो शत्रु की सारी, बोल सके न बिच सभारी तुम मातु मैं दास तुम्हारा, आन हरो मम संकट सारा, दुहाई कामरूप कामाख्या माई की।‘‘



सदैव याद रखें, गलत कार्यों से अपना प्रारब्ध बिगड़ जाता है, जिसे भोगना पड़ता है।



[लखनऊ से, एक पुत्री उम्र 12 वर्ष,सर दर्द से कराह रही थी और ल्युकोरिया से पीड़ित थी। कपूर क्रिया में इतनी त्रीवता से नकारात्मक ऊर्जा को झाड़ू लगाकर दूर किया गया,इतनी त्रीवता से आप घर में झाड़ू नहीं लगा सकते हैं,लौ का तेजी से कट कट कर जलना नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होने का संकेत दे रहा है और क्रिया के अन्त में उस दुष्ट प्रेत आत्मा को नष्ट कर दिया गया है। सरदर्द तुरन्त ठीक हो गया दूसरे दिन ल्युकोरिया भी ठीक हो गया।
नित जाप करें जो पांच हजार विजय पावे बहु बारम्बार बगलामुखी की जय जय कार। आप भी निःशुल्क जानकारी ले कर, परिश्रम कर यह क्रिया कर सकते हैं। सबके कष्ट दूर हो, यही कामना है मेरी।]

डाॅ0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

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