Tuesday 30 January 2018

तांत्रिक विधान और माँ बगलामुखी


नेट के माध्यम से एक महिला ने हमें फोन किया, लगभग आधे घंटे बात हुई, उसके सारे कष्ट सुनने के बाद मैंने उसे प्रेरित किया कि वह माँ की शरण में आ जाए, सारे कष्टों का निदान हो जाएगा, परन्तु जटिल समस्याओं के चक्र व्यूह में वह बुरी तरह उलझ गई व कोई भी साधना करने का साहस उसमें शेष नहीं रह गया था। दो पुत्रियाँ भी कष्टों से घिरी रहती। तरह-तरह के स्वप्न आना, शरीर दुखना, कमर में दर्द, जाँघों में फटन, दिन भर आलस में पड़े रहना, किसी कार्य में मन न लगना। किसी जानकार को दिखलाया उसके मतानुसार किया धरा है। मैंने इनके परिवार के पृष्ठिभूमि के बारे में जानकारी ली तो ज्ञात हुआ, इन्हीं के परिवार के लोग ही इनके पीछे पड़े हैं कि लड़का न होने पाए। मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि कृत्या का प्रयोग किया गया है, अतः तांत्रिक विधान काटने व कृत्या विनाश हेतु बगला प्रत्यंगिरा से संम्पुटित बगला सूक्त के ग्यारह हजार पाठों का चयन किया। भगवती का स्वभाव है अपने साधकों को अचंम्भित कर देना, इनके भक्त परिणाम देख कर अंचम्भित होकर गद्गद् हो जाते हैं, वही मेरे साथ भी हुआ, हवन का धूंवा ध्रूम रंग का न होकर, काले रंग का उठता रहा मानो डीजल जल रहा हो और अन्त में ध्रूम रंग का धूंवा काफी मात्रा में उठा। इसके ऊपर की गई सारी कृत्या को भगवती ने एक ही झटके में समाप्त कर दिया। सारा दर्द समाप्त हो गया, स्वपनों का अन्त हो गया, परिवार में खुशहाली है, कोई रोग नहीं, कोई बाधा नहीं। एक वर्ष पश्चात् इनके घर एक बालक ने जन्म लिया अर्थात् घर का चिराग माँ ने बुझने नहीं दिया।





क्रिया इस प्रकार की गई -

संकल्प - पर कृत्या, पर मंत्र, पर यंत्र, पर तंत्र निवार्णनार्थे बगला प्रत्यंगिरा, सम्पुटे बगला सूक्त एको परी एका सहस्त्र (ग्यारह हजार) पाठे अंह कुर्वे।

नोट - बगला प्रत्यंगिरा व बगला-सुक्त हम लिख चुके हैं।

डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

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