Saturday 23 September 2017

माँ बगला की कृपा और दुष्टता का शमन

मेरे एक गुरुभाई हैं ओंकार जी | मैं उनसे कहता था की आप भी अपना कोई अनुभव शेयर करिए | बचपन से ही माँ की कृपा दया की गाथाएं तो बहुत हैं, पर हाल में हुई एक घटना, प्रसन्नता और भक्ति पूर्वक नवरात्री के पावन अवसर पर इस प्रकार भेजा है  -

उनकी पत्नी सुलेखा ( बदला हुआ नाम ) की पुणे के एक बैंक में पोस्टिंग हुई | पर उस ब्रांच का मेनेजर दुष्ट था और उन्हें अपने ब्रांच में नहीं रहने देना चाहता था | और वह तरह तरह से अकारण ही परेशानी खड़े करने लगा जैसे की उनके द्वारा किया गया काम उनके नाम पे नहीं जाने देता था और अपने किसी चाटुकार के नाम पे कर देता था ,आदि आदि | गलत तरीके से बात करना और सबके सामने उनकी बेइज्जती करने  में उसे बहुत तृप्ति मिलती थी | नयी एम्प्लोयी होने के कारण उन्हें सीखने की जरूरत थी, जिसके वो सख्त खिलाफ था, जिसके लिए वो उनके हर काम में अडंगा डालता था | सुलेखा जी का हर दिन ऑफिस से घर आते समय रास्ता रोते हुए कटता था | ओंकार जी, को शुरू में लगा की शायद स्थिति थोड़े दिन बाद सुधर जायेगी, परन्तु लगातार १ महीने तक ऐसा ही चलता रहा | और तो और उन्हें मेनेजर ने बैठने की जगह तक नहीं दी, और सिस्टम भी नहीं मिलने दिया जिससे की उनका सारा काम रुक गया | मेनेजर की सीनियर से सांठ गाँठ होने से वह उल्टा उनकी शिकायत करके उनके भविष्य को अंधकारमय बनाने का भरसक प्रयत्न करने लगा | पर माँ भगवती की भक्त होने के कारण, दुष्ट के आगे ना झुकने का उनका स्वभाव, मेनेजर की आखों में चुभता था, जिससे की उसका रवैया और आक्रामक होता गया| डिपुटी ब्रांच मेनेजर भी उस दुष्ट की सहयोगी थी, और उनसे चपरासी के लेवल का काम कराती थी|

सच्चे साधक का ये स्वभाव  होता है की वो निष्काम भाव से माँ की साधना करे | और वो भरसक प्रयास करता है की, अपनी साधना से  आत्मिक कल्याण के लिए तत्पर रहे | परन्तु जब उस साधक को दुष्ट प्रयोजन से, कोई अत्यंत नुक्सान करने पे उतर आये तो फिर ऐसे भगवती के साधक अंततः माँ से गुहार लगाते हैं| और ये सर्वविदित है माँ बगला फिर अपने भक्त के दुश्मन की लंका लगाने में देर नहीं करती|


खैर, अभी उसकी दुष्टता का अंत नहीं हुआ, मेनेजर अपने सीनियर से बात करके उन्हें अपने ब्रांच से निकलवाने की कोशिश में सफल हो गया | और उन्हें बाहर घुमने वाले सेल्स का काम लगवा कर स्थानान्तरन करवा दिया| परेशानी हद से पार जाते देख ओंकार जी ने मुझे फ़ोन करके बताया| मुझे ये समझते देर नहीं लगी की माँ परीक्षा पे उतर आई है, और वही पार लगाएगी| ओंकार जी का एक अनुष्ठान पहले से ही चल रहा था, लेकिन इस परेशानी के लिए बगला साबर मन्त्र उठाने को बोला| ये साबर मन्त्र अत्यंत अचूक है, और ये ऐसा रिवाल्वर है जिसकी गोली का वार कभी खाली नहीं जाता| हाँ शक्ति को मन्त्र जप की संख्या से जरूर बढाया जा सकता है, जिससे की शीघ्रतिशीघ्र परिणाम संभव हो जाता है | मेरे सलाह से सुलेखा जी ने भी 1000, शतनाम स्तोत्र का जप संकल्प लिया | शाबर के १०,००० के संकल्प का तीसरा ही दिन हुआ था, की मेनेजर की दुष्टता से परेशान एक दुसरे एम्प्लोयी ने उसे सरेआम थप्पर मार सफलता का शिलान्यास कर दिया | जिससे की साधना सही दिशा में जा रही है ऐसा प्रतीत होने लगा| माँ की कार्यशैली माँ ही जाने, संकल्प पूरा होते होते, 2 महीने ही बीते थे की उन्हें वापस अपने पोस्ट के अनुकूल काम दिया गया| नयी एम्प्लोयी होने के कारण इनके साथ कोई नहीं था, पर जब माँ साथ हो तो दुनिया को साथ चलना ही पड़ता है| यही रीत है| समय गुजरने के साथ,  मैनेजमेंट ने ब्रांच मेनेजर की दुष्टता को समझा और वो प्रश्न के घेरे में फसने लगा | इधर डेपुटी ब्रांच मेनेजर की शादी हुए १ साल ही हुए थे की उसके पति को लकवा का अटैक आ गया| सुलेखा जी को अच्छे काम के लिए इतने कम समय में ही अवार्ड भी मिला| माँ का न्याय अभी जारी ही है, और सुलेखा जी की परेशानी का सुखद अंत होने से गदगद ह्रदय से हम सब माँ की वंदना करते हैं| जय माँ बगलामुखी|

डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
मो0: 9839149434
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