Wednesday 27 June 2018

माँ बगलामुखी की जय-जयकार

जोधपुर राजस्थान से एक बालिका कु0 आयुषी का फोन मेने पास आता है, उसका स्वास्थ्य अत्यन्त चिन्ता जनक था, वह माँ के चरणों में आना चाहती थी, अपने स्वाभाववश मैने उसे माँ के बगला शतनाम का एक हजार पाठ करने का निर्देश दिया, बिना इस बात की चिन्ता किए कि बीमारी असाध्य है (उस बालिका ने माँ के भजन गा कर हमें भेजे, उन भजनों को सुन कर मेरा मन गद्गद् हो गया। मैं काफी दिनों से इसी उधेड़-बुन में रहा कि माँ के भजन कहाँ से लाऊँ, चूंकि हवन के समय ‘‘टी सीरीज’’ के भजनों की रिकार्डिंग में लगा देता था, परन्तु ‘‘टी सीरीज’’ वालोें ने हमें मना कर दिया, कि उनके भजनों का प्रयोग मत करें। इस बालिका कु0 आयुषी के माध्यम से माँ ने हमें भजनों का भंडार ही दे दिया, परन्तु समस्या का पूर्ण समाधान नहीं हुआ, यों कि इस बालिका की दोनों किडनियाँ खराब हो चुकी हैं। ऐसे बड़े हॉस्पिटल की रिर्पोट में आया, किडनी ट्रान्सप्लांट के अतिरिक्त कोई उपाए नहीं है, ऐसा वहाँ के डाक्टरों ने बतलाया, चूंकि इस बालिका ने माँ के भजन इतने अच्छे भाव से गाये कि सीधे मेरे हृदय में उतरते चले गये, यह रिपोर्ट पढ़कर एकाएक ही मेरे हृदय से प्रार्थना निकलती है माँ ऐसा नहीं हो सकता, इसको जीवन दान देने की कृपा करें, मेने तुम पर अटूट भरोसा किया उसे टूटने मत देना, तुम्हारे भरोसे ही मेने उसे दीक्षा दी, अब मेरी लाज तुम्हारे ही हाथों में है, इस बालिका को जीवन दान दे ही दो और तुरन्त ही माँ ने योग्य साधकों को निर्देश दिया कि आयुषी के स्वास्थ्य लाभ हेतु बीज  मन्त्र के 100 माले का जप कर हमारे ऊपर उपकार करें। प्रमुख साधक जिनकों माँ का सानिध्य प्राप्त है, उन सभी का सहयोग हमें प्राप्त हुआ- नई दिल्ली से सुनील कुमार व मीना, बाम्बे से पुरूषोत्तम व सुदर्शना, लखनऊ से रामचन्द्र यादव, मनमोहन चैधरी, चन्द्रशेखर यादव, रंजना सिंह, सुरेश चन्द्र श्रीवास्तव, मनीष कुमार त्रिपाठी व राजेन्द्र सोनी, झारखण्ड से देवेष सरकार व सर्वेश सरकार, बुलन्दशहर से सत्यवीर सिंह, बंगाल से उमा सरकार, जयपुर से गिरीराज सोनी, पीलीभीत से कुलभूषण मौर्या, रांची से अजय शुक्ला व सीमा उपाध्याय, सोनभद्र से कुमारी मोनिका, हरिद्वार से कपिल घीमान, संजय व अतुल कुमार कश्यप, देहरादून से प्रदीप कुमार शर्मा, चंडीगढ़ से गगन दीप शर्मा, कांगड़ा से सुजाता, पानीपत से रिंकी अग्रवाल व बागपत से मयंक चैधरी।

इस सामुहिक जप से हमें कार्य करने में अत्यन्त स्फूर्ति का अनुभव हुआ। जब में इस बालिका के लिए मूल मंत्र का जप कर रहा था कुछ पिक्चर सामने आयी, एक बड़ा सा हाॅल है जहाँ 10-12 सफेद वस्त्र धारी बैठकर आपस में कुछ वार्तालाप कर रहे हैं। तभी एक पक्षी आता है और उन सभी लोगों के ऊपर चक्कर लगाने लगता है, मुझे समझते देर नहीं लगी अर्थात् जिन्न या जिन्नात जो आपस में वार्तालाप कर रहे थे, पक्षी अर्थात् माँ की शक्ति ने उन सभी को अपने कब्जे में कर लिया, सभी भौच्चके होकर उस पक्षी को देखते ही रह गये।

दूसरे दिन साधना समय बालिका के घर के आगे एक कुरूप भुजंग काला व्यक्ति बैठा दिखा, हमें समझते देर नहीं लगी, यह काला जिन्न था, जो घर में प्रवेश नहीं कर पा रहा था, क्योंकि मैने माँ का सुरक्षा कवच उस मकान में लगा रखा था, क्योंकि मुझे काले जिन की उपस्थिति का ज्ञान हो गया था। अतः उसको निपटाना अनिवार्य हो गया, कोई था अवश्य जो लगातार इस बालिका के प्राण हरना चाहता था, तांत्रिक प्रयोग पर प्रयोग किये जा रहा था। अतः उस गुप्त शत्रु को निपटाना अनिवार्य हो गया। अतः संकल्प कर बगलाकल्प विधान का पाठ आरम्भ कर दिया। इधर उस बालिका को किडनी टेस्ट कराने का कह दिया, परीक्षण में यथा स्थिति रही, न घटा न बड़ा।

कल्प विधान समाप्त कर पाताल क्रिया की अर्थात् उसके पुराने सारे दोषों को पृथ्वी में समाहित कर दिया परिणाम भी सामने आया, उसकी दोनों किडनियाँ सामान्य दशा में पुनः कार्य करना प्रारम्भ कर दिया, चुकि पुरातन दोषों को पृथ्वी से समाहित कर दिया गया था, बालिका को जीवनदान मिलने के बाद अब इन दोषों के निस्तारण हेतु कुछ क्रियाएं और कर दी जाएगी। किडनी मिलने ट्रान्सप्लांट करने वाले डाक्टरों की कुछ समझ में नहीं आ रहा है, यह कैसे हो गया वे भौच्चके होकर किडनी की रिपोर्ट पढ़ रहे हैं। अपने साधकों पर माँ बहुत दयालु है, एक बार पुनः उन्होंने साधक को जीवन दान देकर सिद्ध कर दिया कि माँ अपने साधकों पर कृपा दृष्टि अवश्य करती है।

अतः पुनः-पुनः मैं अपने सच्चे हृदय से माँ बगलामुखि की जय जयकार करता हूँ।

नोट:- हवन में आयुषी ने भजन गाया है ‘‘माँ मेरे नौकरी अब पक्की करो। के तेरे चरणों में मेरी चाकरी अब पक्की करो।’’




डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

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