Monday 19 June 2017

मानव बलि और मैं

कुछ समय पहले की बात है, मैं बहुत परेशान व चिन्ताग्रस्त रहा, अपने परिवार के विषय में हरसमय चिन्तित रहता था, तभी मेरी मुलाकात डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह से हुई, मैने अपनी सारी परेशानियों से उन्हें अवगत कराया और उनसे अपने इस कष्ट से मुक्ति पाने हेतु प्रार्थना की आप हमारे पथ प्रदर्शक बनने की कृपा करें। डाक्टर साहब माँ पीताम्बरा के अच्छे साधक हैं, ये बसन्त बाबा, कामाख्या धाम आसम के शिष्य हैं, इन पर अपने गुरूदेव व माँ पीताम्बरा की असीम कृपा है। अतः इनसे ही मेरा कल्याण हो सकता है। मैं भली-भाँति जानता हूँ, अतः बार-बार अनुरोध करने पर इन्होंने भगवती पीताम्बरा का यंत्र लाने को कहा, दूसरे ही दिन मैं यंत्र लेकर इनके पास उपस्थित हुआ। यंत्र पर इन्होंने शक्ति संचार कर, यंत्र पुनः हमें देकर कहा, मैंने माँ बगलामुखी के मूल मंत्रों का एक लाख जप तुमको दान में दे दिया है, अब आप निर्भय होकर ‘‘बगला विपरीत प्रत्यंगिरा’’ का सवा लाख जप कर दो।
डाक्टर साहब के निर्देशानुसार सर्वप्रथम थाली में फूल रखकर, उसके ऊपर यंत्र रख कर उसका अभिषेक करने के पश्चात् उस पर हल्दी लेपर कर, पीले आसन पर विराजमान कर उसकी पंच्चोपचार पूजन के उपरान्त ‘‘बगला विपरीत प्रत्यंगिरा’’ का जप प्रारम्भ कर दिया, शैन-शैन मंत्र चलता हुआ अपने लक्ष सवा लाख तक पहुँच गया, हवन भी कर दिया, कोई परिणाम नहीं आया।
डाक्टर साहब ने पुनः सवा लाख जपने का निर्देश दिया और मुझे हिम्मत दिलायी कि परिणाम अवश्य आएगा, जप व्यर्थ नहीं जाएगा और वैसा ही हुआ, पुनः सवा लाख जप करने का तीसरा ही दिन हुआ कि अनुभव आना प्रारम्भ हो गया, जिन लोगों ने हमारे परिवार पर तांत्रिक अभिचार करवाया वह सब माँ पीताम्बरा की कृपा से सामने आने लगे, वह सब अभिचार उन्हीं लोगों पर वापस होने लगा, यहाँ तक जिन लोगों ने अभिचार कराया उनके चेहरे भी सामने आने लगे, जो कि एक माने हुए प्रतिष्ठित तांत्रिक थे, माँ पीताम्बरा ने उनकी सारी शक्ति क्षीण कर दी, जब कि उनके वहाँ हजारों लोगों की भीड़ होती थी। भगवती ने रात में हमे स्वप्न में बताने आयी कि उनकी सारी शक्ति क्षीण हो गई है। किसी को मालूम न होने पाए और बता कर चला गया। ज्यों-ज्यों जप संख्या बढ़ती गई त्यों-त्यों नए-नए चेहरे सामने आने लगे। बड़े-बड़े औघड़-अघोरी दिखाई पड़ने लगे। एक अघोरी तो ऐसा दिखाई पड़ा कि कुछ लिखने में डर लगता है। माता जी ने बताया यह अघोरी आंख नहीं खोलते अगर यह आँख खोल दें तो लोग भस्म हो जाए। हमने देखावह साइकिल परचल रहे हैं, सर में बड़ा सा अंगोछा लपेटे हैं, जब उनकी साइकिल रूकी, उन्होंने जटा को फटकारा तो बाल उनके पैरों के नीचे ज़मीन तक घसिटते थे, दर्शन देकर साइकिल पर चढ़ कर चले गए। इस प्रकार नित्य कुछ न कुछ स्वप्न आते रहे।
डाक्टर साहब ने बताया था, सवा लाख से कुछ नहीं होगा, उसका चार गुना जप करो अन्ततः चार गुना जप पूर्ण कर मैं डाक्टर साहब के पास गया और निवेदन किया, अभी मेरी समस्या का पूर्ण निदान नहीं हो पाया है, मेरा छोटा बेटा बीमार ही रहता है। कुछ क्षण सोचने के उपरान्त डाक्टर ने मुझे माँ पीताम्बरा के मूलमंत्र का एक लाख जप करने का निर्देश दिया।
एक लाख जप का संकल्प कर जप प्रारम्भ किया जो क्रमशः पूर्ण हो गया दशांश हवन के उपरान्त मैं डाक्टर साहब के पास गया और बताया अभी तक समस्या का निदान नहीं हो पाया है। अब मन में हताशा भी आने लगी है, डाक्टर साहब ने हमें हिम्मत दी एक बार पुनः मूल मंत्र का एक लाख जप करों, इस बार कुछ न कुछ अवश्य होगा, मैं भी अपनी माता श्री से प्रार्थना करूँगा, यह तय जानों कि परिश्रम व्यर्थ नहीं जाएगा न ही जप व्यर्थ जाएगा, आपकी समस्या का निश्चित निदान माँ पीताम्बरा अवश्य करेगी, हमारे हताश मन को बड़ा सहारा मिला। एक बार पुनः पूरी आस्था के साथ मैं माँ पीताम्बरा के मूल मंत्र का जप करने लगा, अभी जप के कुछ ही दिन बीते थे कि अनुभव आने लगे। हमारे छोटे लड़के की तबीयत खराब रहती थी, उसके ऊपर किया हुआ अभिचार था, पता नहीं कौन शक्ति थी, उसके मुँह से बोलने लगी, उस समय मैं जप पर बैठा था, अतः जप को विराम देकर मैं उसकी बाते सुनने लगा। वह शक्ति कहने लगी, जो जाप आप करते हो बहुत ही शक्तिशाली है, आप का कोई  तांत्रिक कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता। मुझकों आप एक बलि मनुष्य की दे दो मैं आप का सारा काम कर दिया करूँगी। हमने उस शक्ति से कहा कि आप नींबू या नारियल की बलि ले लीजिए, मनुष्य की बलि हम नहीं दे सकते, मैं बड़ी देर तक उसकी अनुनय-विनय करता रहा, लेकिन वह कुछ नहीं मानी, उसने बताया पन्द्रह दिन पहले तुम्हारे साले को मैं ही ले गई हूँ और अब तुम्हारे बड़े लड़के को ले जाऊँगी। तभी मेरे मझले बेटे ने इस पूरे घटना क्रम को मोबाइल द्वारा डाक्टर तपेश्वरी दयाल सिंह को तुरन्त अवगत कराया, उन्होंने कहा चाहे जो शक्ति हो, अब बचकर नहीं जा पाएगी, उसको नष्ट ही होना होगा, मैं जप पर बैठा हूँ, अपने पापा से कहो जप करते रहे, उसकी कोई भी बात न माने, आज्ञानुसार मैं जप करता रहा और रात्रि 12.30 बजे जप समाप्त कर मैं श्यान हेतु लेट गया।
दूसरे दिन नित्य की भांति मैं यंत्र का अभिषेक कर रहा था तो देखा यंत्र बीच से चटक गया था। यंत्र को अलग रख दिया व जप करने लगा, लेकिन यंत्र चटकने की चिंता बनी रही। शाम को टूटा यंत्र लेकर मैं डाक्टर साहब की क्लीनिक जा कर उन्हें टूआ यंत्र दिखाया। यंत्र देखते ही उन्होंने बताया तुम्हारे पास जो शक्ति आई थी यंत्र ने उसे नष्ट कर दिया है। प्रमाण के रूप में यंत्र चटक गया है। अब इस यंत्र पर थोड़े पीले पुष्प व मीठा रख कर गंगा जी में विसर्जित कर दो व पुनः दूसरा यंत्र लाकर प्राण प्रतिष्ठा कर पूजा घर में स्थापित कर दें। मैंने डाक्टर साहब के आदेशानुसार कार्यवाही कर, भगवति के मूलमंत्र का चार लाख जप निर्विघ्न पूर्ण किया।
यह अपनी आप बीती डाक्टर साहब को लिपिबद्ध कर दे रहा हूँ, बगैर इस बात की चिंता किए कि लोग इसे समझेंगे या नहीं, कभी न कभी कोई ऐसा भी इसे पढ़ेगा जो मेरी तरह पीड़ित होगा उसे इस लेख से प्रेरणा अवश्य मिलेगी और मेरे गुरूवर डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह के निर्देशानुसार चलेगा, तत्पश्चात् वह सफल भी होगा ऐसा मुझे दृढ़ विश्वास है, तभी इस लेख की सार्थकता सिद्धि होगी।



भगवती माँ पीताम्बरा अपने सभी साघकों पर अपनी कृपा बनाए रखे ऐसी कामना के साथ लेख समाप्त करता हूँ।

राजन मिश्रा

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