Friday 30 March 2018

माँ की कृपा विचित्र होती है

अभी तक सुना था, अब मैं प्रत्यक्ष इस बात का साक्षी हूँ कि माँ की कृपा वास्तव में बड़ी विचित्र होती है, हुआ यह कि मैं पिछले चार वर्षों से अपनी दिमागी परेशानी से रात में ठीक से सो भी नहीं पाता था, मैं अपनी इस उल्झन को किसी से कह भी नहीं सकता था। क्या कंरू, क्या न करूं, कुछ समझ में नहीं आ रहा था, समय व्यतीत करने के लिए मैं नेट चला रहा था, उसमें baglatd.com के एक पोस्ट में हवन देखने से मुझे कुछ शान्ती का अनुभव होने लगा और उसको पढ़ना शुरू किया और फिर मानो मेरा मन उसी में खो गया, लगातार एक घंटे तक मैं उसी को पढ़ता रहा दूसरे दिन मैंने डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह से सम्पर्क किया, उन्होंने रूद्रयामल के बगला अष्टोतर शतनाम का एक हजार पाठ संकल्प कर करने का मुझे दिशा-निर्देश दिया जिसे पूर्ण कर शीघ्र ही उनके सामने उपस्थित हुआ।

दूसरे दिन उन्होंने मेरे साथ इसका हवन सम्पन्न कराया व मुझे आस्वस्त किया कि माँ की कुपा तुम पर हो गई है। अब सब अच्छा ही होगा धैर्य रखे। मन में बड़ी शान्ती का मैं अनुभव कर रहा था, दूसरे दिन मैंने अपने मन की सारी पीड़ा से डाक्टर साहब को अवगत करा दिया। उन्होंने बहुत अच्छे तरीके से उसका समाधान कर दिया। आज मैं चिन्तामुक्त होकर माँ पीताम्बरा के चरणों मे पूरा जीवन समर्पित कर रहा हूँ।

यह उपरोक्त बाते एक साधक के कष्टमयी जीवन से मुक्तिकर माँ के द्वारा उसे उचित मार्ग प्रदान किया गया। इनकी आप बीती इस प्रकार है - साधक की पुत्री का अपने एक सहपाठी से दिल लग गया, जो दूसरी बिरादरी का था, पुत्री सर्विस में थी व प्रतिमाह साठ हजार वेतन पा रही थी, वह उसका सहपाठी स्टेट बैंक में उच्चपद पर कार्यरत था, जब मैं इनकी समस्या सुन रहा था, उसी समय मेरा एक शिष्य राम चन्द्र यादव मुझसे मिलने दवाखाने पर आ गए, इनकी सारी समस्या सुनने के बाद राम चन्द्र यादव पुत्री के तयागमयी जीवन के कष्टों की अनुभूति कर भाव विभोर होकर रो पड़े और कहने लगे, आप की पुत्री का त्याग महान है वह साठ हजार पा रही है व लड़का भी बैंक में उच्चपद पर है, यदि वे दोनों कोर्ट मैरिज कर लें तो आप कुछ नहीं कर सकते, परन्तु पुत्री ने अपने प्रेम का गला घोंट कर आपकी मर्यादा पर कोई आंच न आए इसलिए उसने कहीं विवाह न करने का फैसला लिया। आप को ज्ञात होगा पुराने जमाने में स्वयंवर द्वारा विवाह होते थे, वर की योग्यता देखी जाती थी, उसकी जाति नहीं, मैं तो आप की पुत्री के त्याग को सुन कर नतमस्तक हूँ, मैं आप को सुझाव देता हूँ, यदि दोनों के मस्तिष्क-विचारों का संतुलन व सामंजस्य बना हुआ है, तब आप झूठी शान हेतु अपनी पुत्री के अरमानों का गला न घोंटे वही उचित होगा, यह मैं आप के विवेक पर छोड़ता हूँ कि आप क्या निर्णय लें। यह बात साधक के मन में बैठ गई कि माँ की शरण में आने के बाद ही उचित मार्ग दिखा है एक लम्बे समय के बाद मन की बातें निकली और उसका समाधान माँ की ही कृपा से हुआ अतः मैं कौन होता हूँ अपनी पुत्री के अरमानों का गला घोंटने वाला इसका विवाह वही होगा जहाँ पुत्री चाहती है। पुत्री के विवाह में मैने भी वर-वधू को माँ की ओर से शुभ आशीर्वाद प्रदान किया। यह होता है माँ पर भरोसा करने का परिणाम।

क्रिया इस प्रकार की गई -


रूद्रयामल का बगला अष्टोत्तर शतनाम स्त्रोत

नोट- माँ की कृपा विचित्र होती है - स्त्रोत पाठ हृदय की कातर पुकार के रूप में अभिव्यक्त हो तो आध्यात्मिक शक्तियाँ अपनी कृपा प्रदान करती ही है और पराम्बा शीघ्रतिशीघ्र द्रवित होती है। दुःखी व्यक्ति के हृदय से कातर पुकार निकलती ही है। शीघ्रता से गा कर, पाठ न करें कहा गया है - रटंत विद्या फलन्त ना ही। यहा हमारा बारम्बार का अनुभव रहा है, बगला शतनाम स्त्रोत में आश्चर्यजनक शक्ति समाई हुई है।

1. ब्रम्ह्मास्त्र रूपिणी देवी 
2. माता बगलामुखी।
3. चिच्छक्तिर्ज्ञानरूपा 
4 ब्रम्ह्मानन्द प्रदायिनी।। 1 ।।
5. महाविद्या  
6. महालक्ष्मी 
7. श्री मत्त्रिपुर सुन्दरी।
8. भुवनेशी 
9. जगन्माता 
10. पार्वती
11. सर्वमंगला।। 2 ।।
12. ललिता 
13. भैरवी 
14. शान्ता 
15. अन्नपूर्णा 
16. कुलेश्वरी।
17. वाराही 
18. छिन्नमस्ता 
19. तारा 
20. काली 
21. सरस्वती।। 3 ।।
22. जगत्पूज्या 
23. महामाया 
24. कामेशी 
25. भगमालनी।
26. दक्षपुत्री 
27. शिवांकस्था 
28. शिवरूपा 
29. शिव प्रिया।। 4 ।।
30. सर्व सम्पत्करी देवी 
31. सर्वलेाक वंशकरी।
32. वेद विद्या 
33. महापूज्या 
34. भक्ताद्वेषी 
35. भयंकरी।। 5 ।।
36. स्तम्भरूपा 
37. स्तम्भिनी 
38. दुष्ट स्तम्भन कारिणी।
39. भक्त प्रिया 
40. महाभोगा 
41. श्री विद्या 
42. ललिताम्बिका।। 6 ।।
43. मैनापुत्री 
44. शिवानन्दा 
45. मातंगी
46. भुवनेश्वरी।
47. नारसिहीं 
48. नरेन्द्रा 
49. नृपाराध्या 
50.नरोत्तमा।। 7 ।।
51. नागनी 
52. नागपुत्री 
53. नगराज सुता 
54. उमा।
55. पीताम्बरा 
56. पीतपुष्पा 
57. पीत वस्त्र प्रिया 
58. शुभा।। 8 ।।
59. पीत गंध प्रिया 
60. रामा 
61. पीतरत्नार्चिता 
62. शिवा।
63. अर्द्धचन्द्रधरी देवी 
64. गुदा मुद्गर धारिणी।। 9।।
65. सावित्री 
66. त्रिपदा 
67. शुद्धा 
68. सद्यो राग विवर्धिनी।
69. विष्णुरूपा 
70. जगन्मोहा 
71. ब्रह्मरूपा 
72. हरिप्रिया।। 10 ।।
73. रूद्ररूपा 
74. रूद्रशक्तिश्चिन्मयी 
75. भक्ता वत्सला।
76. लोकमाता 
77. शिवा 
78. सन्ध्या 
79. शिव पूजन तत्परा।। 11 ।।
80. धनाध्यक्षा 
81. धनेशी 
82. धर्मदा 
83. धनदा 
84. धना।
85. चण्डदर्पहरी देवी 
86. शुम्भासुर निवर्हिणी ।। 12 ।।
87. राज राजेश्वरी देवी 
88. महिषा सुर मर्दिनी।
89. मधु कैटभ हन्त्री 
90. रक्त बीज विनाशिनी।। 13 ।।
91. धूम्राक्ष दैत्य हन्त्री 
92. भण्डासुर विनाशिनी।
93. रेणु पुत्री  
94. महामाया 
95. भ्रामरी 
96. भ्रमराम्बिका।। 14 ।।
97. ज्वालामुखी 
98. भद्रकाली 
99. बगला 
100. शत्रु नाशिनी।
101. इन्द्राणी 
102. इन्द्र पूज्या 
103. गुहमाता 
104. गुणेश्वरी।। 15।।
105. ब्रजपाशधरा देवी 
106. जिह्वा मुद्गर धारिणी।
107. भक्ता नन्द करी देवी 
108 बगला परमेश्वरी।। 16।।



24 March Havan


23 March Havan


डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

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