Tuesday 28 November 2017

माँ बगलामुखी की कृपा - साधकों पर कैसे होती है

नासिक से पुरूषोत्तम व सुदर्शना काफी परेशान थे, अलौकिक शक्तियों का काफी कोप था, आर्थिक संकट के कारण इन श्रीमान जी के मस्तिष्क में आत्महत्या करने का विचार बार-बार कौंध रहा था, नेट पर हमारे लेखों को इन्होंने पढ़ा, हिम्मत जुटा कर इन्होंने फोन पर अपनी सारी व्यथा से हमें परिचित कराया, मैंने इन्हें हिम्मत दी और बतलाया कि हमारी दो शर्तों का पालन कर सको तो तुमको इस ब्रम्हाण्ड की सर्वोच्च सत्ता के निकट लाने का प्रयास कर सकता हूँ, जिसमें तुम्हारी सम्पूर्ण समस्याओं का अन्त हो जाएगा और जीवन निष्कंटक हो जाएगा। पहली शर्त है, इस विद्या का दुरूपयोग नहीं करोगे और दूसरी है कि अनुष्ठान के समय पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करोगे। फोन के माध्यम से इनको अपनी मंत्र शक्ति का कुछ अंश देकर दीक्षित कर, भगवति के बीज मंत्र का एक लाख जप का अनुष्ठान कराया, जीवन में कुछ सुधार हुआ, पुरूषोत्तम की पत्नी सुलोचना ने भी स्वप्रेरित होकर हमसे मंत्र जाप की अनुमति ली, अतः उसे भी अपने मंत्र शक्ति का कुछ अंश देकर बीज मंत्र एक लाख जप का अनुष्ठान कराया, जो क्रमैव चल रहा है। तभी इनके सम्मुख घटनाएं घटने लगी व प्रत्यक्ष दिखने लगी वह घटनाक्रम इन्हीं के शब्दों में आप पढ़े-

गुरू जी आपने जब से मुझे माँ बगलामुखी का अनुष्ठान करवाया है तब से न जाने मेरे परिवार और मेरे साथ क्या अद्भुत और अनन्य अनुभव हो रहा है यह सविस्तार बता रहा हूँ। मेरे जीवन को सही में आकार प्राप्त हुआ तो सिर्फ मेरे गुरूवर डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह जी की कृपा से। गुरू जी ने मुझे बहुत बार माँ बगलामुखी के अलग-अलग अनुष्ठान कराए परन्तु जैसा श्री गुरू जी चाहते थे, वैसा रिजल्ट नहीं मिल रहा था मेरी धन सम्बन्धित समस्या बहुत दिनों से चली आ रही है, गुरू जी ने हमें बतलाया भगवती के मंदार मंत्र का अनुष्ठान करना अनिवार्य हो गया है। अतः गुरू निर्देशानुसार संकल्प कर जप प्रारम्भ कर दिया अभी सात हजार जप ही हुए थे कि रात्रि 2.30 बजे मेरी पत्नी को एक लगभग तीन फुट ऊँची फूलदार हरी साड़ी पहने एक औरत दिखी जो मेरी चार साल की बेटी को उठा रही थी, मेरी पत्नी सुदर्शना ने चिल्लाकर उस औरत से कहा, यह क्या कर रही हो तो वह वहाँ से हट कर मेरे पैरों के पास खड़ी हो गई, पत्नी बहुत डर गई थी। रात भर जागती रही यह प्रत्यक्ष घटना उसके आंखों के सामने हुई, कोई स्वप्न की बात नहीं है। रात को उसने हमें जगाने की बहुत कोशिश की, परन्तु हम बहुत गहरी नींद मे थे, सुबह उसने हमें बताया तो मुझे मजाक लगा और बाहर निकल गया, फिर उसी दिन दोपहर में मेरी पत्नी बेटी को साथ लेकर सुलाने लगी तो वही हरी साड़ी वाली औरत जिसका सिर (चेहरा) साड़ी से ढका हुआ था, अतः उसका चेहरा नजर नहीं आया, यह मेरी बेटी को दिखाई दी, मुझे पत्नी ने फोन द्वारा यह घटना बताई परन्तु मैं काम पर था, पैसे की फ्रिक में मैंने ध्यान नहीं दिया, शाम को इसी बात पर पत्नी से हमारा झगड़ा हुआ, मैं गुरू जी को बार-बार परेशान नहीं करना चाहता था, क्यों कि गुरू जी मेरा आखिरी सहारा है फिर उस दिन रात को हमें नींद नहीं आई, मैंने पत्नी व बेटी को आश्वस्त कर सुला दिया और मैं उस औरत के आने की प्रतीक्षा करने लगा कि वह आए तो मैं उसकी पिटाई कंरू, लगभग तीन बजे मैं सो गया मुझे कुछ दिखाई नहीं दिया, सुबह आठ बजे मेरी आँख खुली, मंदार मंत्र पूर्ण कर गुरू अनुमति से हवन किया।

एक प्राचीन शिव मंदिर में हवन का दृश्य 



घर से जाते समय मैंने पत्नी व बेटी को समझाया जो काफी डरी हुई थीं। मेरी पत्नी भी गुरू जी की कृपा से माँ बगलामुखी की साधक है। इसी बीच एक दिन दोपहर में उस औरत ने पत्नी को हाल से घसीट कर रसोई की ओर ले गई, मेरे घर में डर का माहौल बना हुआ है, पत्नी को वह औरत बार-बार दिखने लगी, एक दिन उसने मेरी बेटी का गला दबाया और पत्नी ने गुरू जी को फोन लगाकर बतलाया तभी श्री गुरू जी ने बताया आप लोगों पर माँ की कृपा हो गई है। यही गुप्त अलौकिक शक्ति तुम्हारे घन सम्बन्धी कार्य सम्पन्न नहीं होने दे रही है, इसको नष्ट करने के लिए भगवती बगलामुखी के प्रत्यंगिरा का दस हजार संकल्प लेकर पाठ प्रारम्भ करो अतः हमने गुरू निर्देशानुसार पाठ शुरू कर दिया और अभी पाठ चल रहा है, पाठ करते बहुत विघ्न आ रहे हैं, पाठों की संख्या सौ से ऊपर नहीं हो पा रही है, गुरू जी को बताया बहुत कम पाठ हो पा रहा है, गुरू जी ने हमें बतलाया बहुत अच्छा पाठ हो रहा है, इस बात का ध्यान रखना छोड़ना नहीं और सम्पूर्ण पाठ का जप करना। हमारा मन केवल मंत्र ही करने का हो रहा था, लेकिन जब हमने गुरू जी के आदेश से मां को कपूर देकर माँ से पूछा इतना बड़ा मंत्र और उसके नीचे जो पद्य है उसकी क्या जरूरत है, तब जाप बढ़ने के बाद एक दिन अंतर चेतना में माँ ने ज्ञात कराया, अपने आस-पास नजर डाल कर देख - मैंने अनुभव किया, मेरे शत्रु संतापय, मेरा मीठी जबान वाला दोस्त मुझे देख कर संताप करता है, मेरा विरोध करने वालों पर मोहय-मोहय कहा गया है, मेरे शत्रुओं पर स्तम्भय-स्तम्भ्य कहा गया है। अब हमें पता चल गया, यह मंत्र तो मेरे लिए ही है, मेरी सारी समस्याओं का सम्पूर्ण हल तो इसी मंत्र में लिखा है, मेरे अन्दर ऐसी भावना आते ही मैने अपने अन्दर एक अद्भुद ऊर्जा के संचार का अनुभव किया और मैं पूरे होशों-हवास के साथ पाठ करता रहा, परन्तु मेरे आंखों के ऊपर बहुत दर्द होता है, पत्नी के एक कान व दांत में असहनीय दर्द होता है, बच्ची बहुत चिड़चिड़ापन करती है, मेरी मम्मी के बाए पैर में असहनीय दर्द होता है। श्री गुरू जी को अपनी यह पीड़ा बतलाई उन्होंने निर्देश दिया जप के समय सामने एक लोटे या गिलास में जल रख दिया करो और इसी जल का प्रयोग करो, तब से हम लोग इस जल को पीने लगे, बच्ची को उस जल से नहलाया, उसका चिड़चिड़ापन लगभग उसी दिन से गायब हो गया, मुझे भी उस पानी के स्नान से उसी क्षण शरीर के भारीपन से राहत मिली, परन्तु मेरी पत्नी का दांत दुखता रहा, वापस श्री गुरू जी से पूछा तो उन्होंने बतलाया, अब ऐसा करो जब भी दर्द करें अपनी उंगलियों पर मूलमंत्र तीन बार पढ़ कर फूंक कर दर्द वाले स्थान पर फेर दिया करो, ऐसा ही मेरी पत्नी ने किया, उसका दाँत दर्द उसी क्षण बन्द हो गया, श्री गुरू जी ने तो हमंे वह बता दिया जैसे जादू हो। अब जब भी पत्नी के दांतों में दर्द उठता है, वह इसी जादू का प्रयोग करती है और उसे तुरन्त राहत मिल जाती है, उधर वह हरी साड़ी वाली मोटी ताजी औरत सूख कर एकदम पतली हो गई है, और तीन दिन बाद उसका घर में दिखना भी बन्द हो गया है। हम और सुदर्शना बातें कर रहे थे बहुत दिन हो गए हैं, श्री गुरू जी से बाते नहीं हुई है - तभी श्री गुरू जी का फोन आया, हम पति-पत्नी दोनों ने उनसे बातें की। धन्य हैं माँ बगलामुखी जिन्होंने मुझे श्री गुरू जी को दिया और धन्य हैं मेरे श्री गुरूमूर्ति जिन्होंने मुझे माँ बगलामुखी की दीक्षा देकर कृतकृत्य किया, मैं श्री गुरू जी का ऋणी हूं, क्यों कि आज तक हम सिर्फ और सिर्फ फोन पर मिलें हैं, इसमें मुझे किसी प्रकार का खर्चा नहीं आया, मेरे श्री गुरूजी सम्पूर्णतया निस्वार्थ ही हैं और मैं पति-पत्नी अपने को भाग्यशाली समझते हैं कि माँ बगलामुखी के चरणों में आने का सुनहरा अवसर मिला। अब मुझे जहाँ भी टाइम मिलता है श्री गुरू निर्देशानुसार माँ के मूलमंत्र का मानसिक जाप करता हूँ और माँ की शरण में रहता हूँ।

डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

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