Sunday 30 September 2018

एक प्रताड़ित महिला व माँ बगलामुखी

एक महिला जो अपने पति द्वारा पिछले सात वर्षों से प्रताड़ित थी व अपने मायके में रह रही थी, मायके में भी उसकी माँ उससे आये दिन बकझक कर प्रताड़ित करती रहती, उसकी माँ का नित्य का कार्य ही बन गया था, उसे बात-बात पर प्रताड़ित करना, उधर पति के द्वारा प्रताड़ना, इधर माँ द्वारा प्रताड़ना, उसे आत्म हत्या का विचार बार-बार बिजली की तरह कौंधने लगा। एक शाम अपनी माँ की बातों से तंग आ कर वह घर से आत्म हत्या करने के इरादे से रेलवे लाइन की ओर चल पड़ी तभी बारिस होने लगी, बारिश में भीगने से उसके मस्तिष्क का तनाव कुछ कम हुआ, साथ ही उसको अपनी छोसी सी बच्ची की याद आयी। अतः रेल की पटरियों की ओर न जाकर उसके कदम एक सहेली के घर की ओर मुड़ गए, व रात में वहीं रूक गई उसकी सहेली ने उसे समझा बुझा कर दूसरे दिन उसके घर ले आयी।

अन्तोगत्वा इस केस को मैने अपने हाथों में लिया, भगवती का ध्यान किया व इसकी पीड़ी कैसे दूर करूं प्रार्थना की, स्पष्ट निर्देश मिला बगला पंज्जर का संकल्प करों। बिना वक्त गवाए दूसरे ही दिन बगला पंज्जर के एक सहस्त्र पाठा का संकल्प लिया, साथ ही तलाक का मुकदमा लगवा दिया, अब हमें आर-पार की लड़ाई करनी थी, उसका पति एक वकील व एक अच्छे तांत्रिक की शरण में था, जिसके वहाँ हजारों भक्तों  की भीड़ लगती थी, उसका एक मित्र कहता दसों साल कचहरी के चक्कर लगाओं तलाक नहीं होगा, हम लोग वकील हैं, आदमी को कैसे रगड़ा जाता है हम लोग सब जानते हैं। संघर्ष तीव्र था वह तांत्रिक बाला जी का सिद्ध साधक है यह हमें ज्ञात था, फिर भी मैने सोचा देखते हैं  क्या बाला जी दुष्टों का साथ देते हैं। अतः मैने माँ पीताम्बरा की अदालत में इन दोनों के विरूद्ध कार्यवाही करने की प्रार्थना की। एक ही सप्ताह बाद उसके मित्र के हृदय के ऊपर जो झिल्ली होती है उसमें पानी आ गया। हार्ट सेन्टर में एक-एक लीटर पानी डाक्टरों द्वारा 1 हफ्ते तक निकाला गया, भगवती इसे इतना तीव्र दंड देगी मैं नहीं जानता था, मेरा उद्देश्य उसे मारने का नहीं था। अतः भगवती से उसे जीवन दान देने की प्रार्थना की वह बच गया और उसने इस केस को दूर से ही नमस्कार कर लिया। इधर हमारा बगला पंज्जर का नित्य पाठ चल रहा था, यजमान ने भगवती पर पूर्ण भरोसा किया। इसके अतिरिक्त उसे कहीं से कोई सहारे की उपेक्षा नहीं थी। मुकदमे की पेशियों पर पेशियाँ होती रही, इधर उसकी माँ का रूप और उग्र होता गया, उसकी रसोई अलग कर दी, अजब माँ की परीक्षा थी, मैंने माँ से पुनः प्रार्थना की हे माँ भगवती पिताम्बरा! आप तो दुःखों का विनाश करने वाली, दुष्टों को दण्ड देने वाली इस निरपराधीन को इतने कष्ट का क्या कारण है? इस पर अपनी दया दृष्टि करने की कृपा करें और शीघ्र ही ‘‘सर्वनार्थ - विनाशनम्, महादारिद्रय, शमनं, सर्वमांगल्य-वर्धनम्’’ जैसा कि आप के बारे में कहा गया है उसे पूर्ण करने की महान कृपा करें।
हमें ज्ञात है स्त्रोत पद्धति में व्यक्ति की भावनात्मक उत्कृटता सर्वोपरी होती है। स्त्रोत पाठ हृदय की कतार पुकार के रूप में अभिव्यक्त हो तो पराम्बा शीघ्रति द्रवित होती है। परिणाम सामने आया जज का ट्रांसफर हो गया, जो दूसरा जज आया, उसे उसने प्रत्येक तारीख पर केस को उठाया व कुछ टिपपड़ी अवश्य लिखी। अभी तक विपक्षी किसी पेशी पर नहीं आया था परन्तु एक वर्ष बाद वह कोर्ट में हाजिर हो गया, विपक्षी का स्तम्भन कर गया था, ज्ञात हुआ उस दुष्ट तांत्रिक ने मेरे मंत्रों पर बन्धन लगा दिया था, अतः बन्धन काटने हेतु प्रतिदिनि पर विद्या भक्षणी के एक सौ मंत्रों का विधान किया कुल 10 हजार करने थे, आज मंत्र का चैथा दिन था दीपक की लौ तेजी से थरथराने लगी साथ ही पटाखे की भांति तेजी से चटचटाने लगी, मैं समझ गया कुछ गड़बड़ है, अतः परविद्या भक्षणी मंत्र में पक्षीराज बीज मंत्र का सम्पुट लगा कर एक माला जप मात्र से दीपक की लौ एकदम स्थिर हो गई, आवाज व धूंवा निकलना बन्द हो गया। हमारे जजमान के ऊपर जानलेवा तांत्रिक कार्यवाही भी की गई वह अपने भाई के साथ गाड़ी पर पीछे बैठ कर बाजार जा रही थी, वह गाड़ी से सड़क पर गिर गई बेहोशी की हालत से राहगीरों द्वारा मदद मिली। बुखार जब तब आता वह भी काफी तेज, दवा काम ही नहीं करती टाइफाइड भी नहीं निकलता था, माहवारी महीने में दो-दो बार होने लगी वह भी बहुत अधिक मात्रा में। काली प्रयोग मारण हेतु कियाग या। अतः हमें काली मिश्रित बगला प्रयोग करना था - शाबर है -

‘‘ऊँ पीत पीतेश्वरी पीताम्बरा बगला परेमेश्वरी, ऐं जिव्हा स्तम्भनी हलीं शत्रु मर्दनी कहाविद्या श्री कनकेश्वरी सनातनी क्रीं’ घोरा महामाया काल विनाशनी पर विद्या भक्षणी क्लीं महा मोह दायनी जगत वशि करणी ऐं ऐं ह्लूं ह्लीं श्रीं श्रीं क्रां क्रीं क्लां क्लीं पीतेश्वरी भटनेर काली स्वाहा।

इस शाबर का दस हजार जप ने सारे केस का रूख ही बदल दिया। जज ने प्रत्येक तारीख पर बहुत ही सूक्ष्म परीक्षण करना आरम्भ कर दिया और दो वर्ष पश्चात् तलाक का आदेश पारित कर दिया। इस प्रकार हम देखते ही यदि आप श्री की शरण में हो तो विरोधी कितना ही ताकतवर हो उसे पराजित होना ही पड़ता हैं यह केस मात्र दो ही वर्षों से सुखद परिणाम दे गया। बाला जी के उस दुष्ट तांत्रिक को भी माँ के कोप का भागीदार बनना पड़ा वह अपने पेट दर्द से लगातार पीड़ित चल रहा है। इधर तीन माह पश्चात् यजमान का एक खाते-पीते परिवार में माँ ने पुनः विवाह सम्पन्न करा दिया जो अब अपने परिवार में सुखी है।

नोट:-
  1. बगला पंजर स्तोत्र ब्लॉग में है।
  2. पक्षी राज बीज मंत्र ब्लाग में है।

इस महीने के हवन का एक दृष्य 




डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

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