एक कन्या जो माँ की साधना करना चाहती थी, नेट के माध्यम से मेरे सम्पर्क में आई, उसे मैने बगला शतनाम के एक हजार पाठ करने का निर्देश दिया, इधर उस कन्या सोनम श्रीवास्तव का विवाह सीतापुर में स्थिति आकाश श्रीवास्तव के साथ मय हुआ वर इक्क्षा व सगाई के दो प्रोग्राम भी सम्पन्न हो गए। कन्या सोनम ने एक सौ पाठ प्रतिदिन करना प्रारम्भ कर दिया, अभी पाठ करते तीसरा ही दिन हुआ कि सोनम के जीजा को बड़ी उल्झन होने लगी कि इस उधेड़-बुन में दो दिन और व्यतीत हो गए अब उनके जीजा से न रहा गया उन्होंने अपने मन की बात लड़की से साझा किया, जिससे वह भी परेशान हो गई क्योंकि मेरी साली को यह भलीभांती पता है मैं जो भी बात करता हूँ अन्त में सत्य ही उतरती है, वह लज्जावश यह बात अपने पिता से नहीं कह पा रही थी, क्यों कि उसके पास भी कोई प्रमाण नहीं था, अतः उसने हमसे ही पूछा इस समस्या का क्या निदान हो सकता है, मैंने कहा जो शतनाम का पाठ कर रही हो उसमें ही माँ के सामने अपनी भावनाओं को सामने रख कर उनसे ही इस समस्या से निकालने हेतु प्रार्थना करें। प्रार्थना में बड़ी शक्ति होती है माँ ने उसकी प्रार्थना पर द्रुति गति से कार्यवाही प्रारम्भ कर दी, घटना चक्र तेजी से चलने लगा, हुआ यो कि मैं नेट पर बैठा था, कि एकाएक मेरे मन में विचार आया कि इस लड़के के बारे में देखू। अतः जिस बैंक में कथित तौर से नौकरी कर रहा था, उसे नेट पर टटोलना प्रारम्भ किया और हमें तब आश्चर्य हुआ कि लड़के के द्वारा बताए बैंक की कोई शाखा वहाँ थी ही नहीं, तब मैने साली से कहा कि वह लड़के से बैंक की लोकेशन मांगे, ऐसा कहने पर लड़के ने साली को गोल-मोल जवाब देने लगा, जिससे लड़की को भी शक हो गया, उसने यह बात अपने पापा व भाई को बतलाई अतः उन लोगों द्वारा छान-बीन करने पर सब झूठ ही निकला, लड़का कुछ नहीं करता था, केवल जाल साजी कार्य अच्छे रौबदार कपड़े पहन कर करता, साथ ही शराब नित्य पीना उसका शौक था, अतः यह शादी तोड़ दी गई। शतनाम के तीन दिनों के पाठ के पश्चात ही माता रानी ने उस निर्दोष बालिका के जीवन को अन्धकार में जाने से बचा लिया, माता रानी की सदा ही जयकार। यह सत्य घटना चक्र हमारे शिष्य के द्वारा हमे भेजी गई है। माँ बगलामुखी उनका भी कल्याण करें।
अनोखी है माँ तेरी महिमा कहाँ तक तेरा गुणगाऊँ, बेसहारों का सहारा, जिसने भी तुम्हे जान लिया पहचान लिया वह सदा ही तुम्हारे चरणों का दास बन गया। तेलंगाना से एक पंडित जी है, जिनकी सारी तन्त्र विद्या को किसी ने बाधँ दिया, वे जो भी कार्य करते वह पूरे होते ही नहं थे अतः धीरे-धीरे इनके सारे यजमान इनसे दूर हो गए, अब रोटी-रोजी की विशाल समस्या इनके आगे आ खड़ी हुई, अपने तंत्र पर लगे बंधन कटवाने के लिए बहुत तांत्रिकों के चक्कर लगाये, कहीं सफलता प्राप्त नहीं हुई, नेट के माध्यम से baglatd.com पर माँ बगलामुखी अनुभूति तंत्र पढ़ कर वे अपने को रोक न सके रात्रि एक बजे इन्होने हमसे फोन से सम्पर्क किया व अपनी दयनीय स्थिति से हमे अवगत कराया, तभी एकाएक मेरे मन में विचार आया कि इसको अभी दीक्षा दे दो, अतः फोन पर ही कुछ शक्ति उनको प्रेषित कर कहा तुरन्त बिना समय गवाए अभी इसी समय बैठ कर विपरीत शतनाम का एक हजार पाठ का संकल्प लेकन पाठ प्रारम्भ कर दो, सूर्य निकलने से पूर्व जितने पाठ कर सको कर ले, बाकी कल शाम बाते होगी। दूसरे दिन पंड़ित जी ने बताया एक सौ पाठ रात में कर लिए थे, मै समझ गया इसके सारे बन्धन माता रानी खोल देगी और एैसा ही हुआ तीसरे दिन पंड़ित जी का स्वर काफी प्रसन्न लग रहा था, उन्होने बताया दूसरे ही दिन चार यजमान आये, सबकी समस्या बड़ी तीव्र थी, मेरा मन घबड़ा रहा था, कार्य कैसे होगा शक्ति तो मेरे पास है नही, और लौटा भी नही सकता क्यो कि पैसो की हमे बहुत आवश्यकता थी, घर में खाने को कुछ था नही अतः मैने सोचा गुरूदेव का ही सहारा लिया जाय, मन ही मन गुरूदेव को प्रणाम कर कहा मेरी लाज आपके हाथो में है भूखे मरने की नौबत आ गई अतः बिना शक्ति रहते भी आपके सहारे यजमानो से पैसा ले रहा हूॅ गुरूदेव माँ से कह दे ये चारों यजमान ठीक हो जाए यही मेरा मंत्र था इसे गुनगुना कर पढ़ कर कुछ चावलों पर फूक कर उन्हे खिला दिया कुछ चावलो को ताबीज में भर कर दे दिया। अच्छा पैसा मिला घर का राशन पिसान आया, परन्तु मेरे मन में एक बात खटक रही थी, कोई मंत्र नहीं केवल गुरू पर और वह भी शीघ्र ही बने गुरू पर इतना भरोसा की कार्य हो जाएगा, कैसे होगा यह तो मै नही जानता परन्तु हमे लगता है गुरू के माध्यम से मेरी बात माँ तक पहुच जाएगी, इसी उधेड़ बुन में दूसरा दिन व्यतीत हो गया मैने मौन धारण कर लिया, किसी से बोलता ही नही था, माता रानी माँ बगलामुखी ने चमत्कार कर दिया वे चारो यजमान एकदम ठीक हो गए, उनकी सारी परेशानी दूर हो गई। इस प्रकार हम देखते है माँ का चक्र जब चलता है तो अत्याधिक तीव्रता से चलता है जिसमें ’’इफ बट नो‘‘ कुछ भी नही आता।
माँ बगलामुखी की सदा ही जय जयकार।
अरूण कुमार निषाद, फत्तेहगढ़ ने हमे बतलाया पिछले पाँच वर्षो से वे साधना कर रहे है, परन्तु कोई भी अनुष्ठान पूरे हो ही नही पाते, बीच में कोई न कोई एैसा तीव्र व्यवधान आ जाते है कि अनुष्ठान खंडित हो जाते है, अनुष्ठान बन्द करना पड़ जाता है, कोई तीव्र तान्त्रिक प्रयोग मेरे घर पर किया गया है कि वंश ही न चले, मेरे तीन भाई है तीनों भाई की पत्नियाँ विवाह के चार-पाँच माह बाद ही अपने मैके चली गई व अलग रहने का मुकदमा भी चला देती है अब बचा मै, डर के मारे मै विवाह ही नहीं कर रही हूँ क्यों कि कोइ तान्त्रिक मेरे परिवार के पीछे पड़ा है, मेरा विवाह होगा और मुझे भी मुकदमें में फसना पड़ेगा अतः मैने निश्चय किसा है पहले इस तान्त्रिक बन्धन से अपने परिवार को मुक्त करू, गुरू निर्देशानुसार शतनाम का बड़ी मुश्किल से एक हजार पाठ पूरे किए, कल ही हवन पूरा किया, हवन के बाद से हालातों में जबरदस्त सुधार महसूस हो रहा हैं घर में नित्य होने वाला कलह एकदम शान्त हो गया है, हमसे घर में कोई ठाक से बात नही करता था, हवन के बाद से मै अनुभव कर रहा हूॅ सभी का मुझ से बोलने का तरीका एकदम बदल गया है मानो मै कोई वी0आई0पी0 गेस्ट हॅू। खाने में भी अच्छे नए पकवान खाने को मिल रहे है पहले जो लो ऐठ कर बाते करते थे अब उनकी भाषा भी मिठास भरी होने लगी है पीले कपड़े में लिपटे नारियल को जब खोला, वह चार खडो में टूट गया था, गुरू देव बताया तुम्हारे ऊपर जो तन्त्र प्रयोग था वह समाप्त हो गया है प्रमाण स्वरूप माँ ने नारियन के कई खंड कर दिए। बगला शतनाम की तीव्रता का मैने अनुभव कर लिया है। मेरी सभी साधको से अनुरोध है बगला शतनाम को हल्के में न ले, भाव से पाठ करे, माता रानी अवश्य कुछ न कुछ अच्छा रास्ता दे देती है।
माँ बगलामुखी की सदा ही जय जय कार।
नोट : शतनाम व विपरीत शतनाम पूर्व में दे चुके है।
डा0 तपेश्वारी दयाल सिंह
9839149434
अनोखी है माँ तेरी महिमा कहाँ तक तेरा गुणगाऊँ, बेसहारों का सहारा, जिसने भी तुम्हे जान लिया पहचान लिया वह सदा ही तुम्हारे चरणों का दास बन गया। तेलंगाना से एक पंडित जी है, जिनकी सारी तन्त्र विद्या को किसी ने बाधँ दिया, वे जो भी कार्य करते वह पूरे होते ही नहं थे अतः धीरे-धीरे इनके सारे यजमान इनसे दूर हो गए, अब रोटी-रोजी की विशाल समस्या इनके आगे आ खड़ी हुई, अपने तंत्र पर लगे बंधन कटवाने के लिए बहुत तांत्रिकों के चक्कर लगाये, कहीं सफलता प्राप्त नहीं हुई, नेट के माध्यम से baglatd.com पर माँ बगलामुखी अनुभूति तंत्र पढ़ कर वे अपने को रोक न सके रात्रि एक बजे इन्होने हमसे फोन से सम्पर्क किया व अपनी दयनीय स्थिति से हमे अवगत कराया, तभी एकाएक मेरे मन में विचार आया कि इसको अभी दीक्षा दे दो, अतः फोन पर ही कुछ शक्ति उनको प्रेषित कर कहा तुरन्त बिना समय गवाए अभी इसी समय बैठ कर विपरीत शतनाम का एक हजार पाठ का संकल्प लेकन पाठ प्रारम्भ कर दो, सूर्य निकलने से पूर्व जितने पाठ कर सको कर ले, बाकी कल शाम बाते होगी। दूसरे दिन पंड़ित जी ने बताया एक सौ पाठ रात में कर लिए थे, मै समझ गया इसके सारे बन्धन माता रानी खोल देगी और एैसा ही हुआ तीसरे दिन पंड़ित जी का स्वर काफी प्रसन्न लग रहा था, उन्होने बताया दूसरे ही दिन चार यजमान आये, सबकी समस्या बड़ी तीव्र थी, मेरा मन घबड़ा रहा था, कार्य कैसे होगा शक्ति तो मेरे पास है नही, और लौटा भी नही सकता क्यो कि पैसो की हमे बहुत आवश्यकता थी, घर में खाने को कुछ था नही अतः मैने सोचा गुरूदेव का ही सहारा लिया जाय, मन ही मन गुरूदेव को प्रणाम कर कहा मेरी लाज आपके हाथो में है भूखे मरने की नौबत आ गई अतः बिना शक्ति रहते भी आपके सहारे यजमानो से पैसा ले रहा हूॅ गुरूदेव माँ से कह दे ये चारों यजमान ठीक हो जाए यही मेरा मंत्र था इसे गुनगुना कर पढ़ कर कुछ चावलों पर फूक कर उन्हे खिला दिया कुछ चावलो को ताबीज में भर कर दे दिया। अच्छा पैसा मिला घर का राशन पिसान आया, परन्तु मेरे मन में एक बात खटक रही थी, कोई मंत्र नहीं केवल गुरू पर और वह भी शीघ्र ही बने गुरू पर इतना भरोसा की कार्य हो जाएगा, कैसे होगा यह तो मै नही जानता परन्तु हमे लगता है गुरू के माध्यम से मेरी बात माँ तक पहुच जाएगी, इसी उधेड़ बुन में दूसरा दिन व्यतीत हो गया मैने मौन धारण कर लिया, किसी से बोलता ही नही था, माता रानी माँ बगलामुखी ने चमत्कार कर दिया वे चारो यजमान एकदम ठीक हो गए, उनकी सारी परेशानी दूर हो गई। इस प्रकार हम देखते है माँ का चक्र जब चलता है तो अत्याधिक तीव्रता से चलता है जिसमें ’’इफ बट नो‘‘ कुछ भी नही आता।
माँ बगलामुखी की सदा ही जय जयकार।
अरूण कुमार निषाद, फत्तेहगढ़ ने हमे बतलाया पिछले पाँच वर्षो से वे साधना कर रहे है, परन्तु कोई भी अनुष्ठान पूरे हो ही नही पाते, बीच में कोई न कोई एैसा तीव्र व्यवधान आ जाते है कि अनुष्ठान खंडित हो जाते है, अनुष्ठान बन्द करना पड़ जाता है, कोई तीव्र तान्त्रिक प्रयोग मेरे घर पर किया गया है कि वंश ही न चले, मेरे तीन भाई है तीनों भाई की पत्नियाँ विवाह के चार-पाँच माह बाद ही अपने मैके चली गई व अलग रहने का मुकदमा भी चला देती है अब बचा मै, डर के मारे मै विवाह ही नहीं कर रही हूँ क्यों कि कोइ तान्त्रिक मेरे परिवार के पीछे पड़ा है, मेरा विवाह होगा और मुझे भी मुकदमें में फसना पड़ेगा अतः मैने निश्चय किसा है पहले इस तान्त्रिक बन्धन से अपने परिवार को मुक्त करू, गुरू निर्देशानुसार शतनाम का बड़ी मुश्किल से एक हजार पाठ पूरे किए, कल ही हवन पूरा किया, हवन के बाद से हालातों में जबरदस्त सुधार महसूस हो रहा हैं घर में नित्य होने वाला कलह एकदम शान्त हो गया है, हमसे घर में कोई ठाक से बात नही करता था, हवन के बाद से मै अनुभव कर रहा हूॅ सभी का मुझ से बोलने का तरीका एकदम बदल गया है मानो मै कोई वी0आई0पी0 गेस्ट हॅू। खाने में भी अच्छे नए पकवान खाने को मिल रहे है पहले जो लो ऐठ कर बाते करते थे अब उनकी भाषा भी मिठास भरी होने लगी है पीले कपड़े में लिपटे नारियल को जब खोला, वह चार खडो में टूट गया था, गुरू देव बताया तुम्हारे ऊपर जो तन्त्र प्रयोग था वह समाप्त हो गया है प्रमाण स्वरूप माँ ने नारियन के कई खंड कर दिए। बगला शतनाम की तीव्रता का मैने अनुभव कर लिया है। मेरी सभी साधको से अनुरोध है बगला शतनाम को हल्के में न ले, भाव से पाठ करे, माता रानी अवश्य कुछ न कुछ अच्छा रास्ता दे देती है।
माँ बगलामुखी की सदा ही जय जय कार।
नोट : शतनाम व विपरीत शतनाम पूर्व में दे चुके है।
डा0 तपेश्वारी दयाल सिंह
9839149434