Sunday 1 September 2019

गुप्त शत्रुओं से बचाव कैसे करें

आज के परिवेश में हम देखतेहैं, गुप्त शत्रुओं द्वारा व्यक्ति भययुक्त हो कर परेशान हो रहा है, उसका लाभ पाखंडी तांत्रिकों द्वारा लगातार उठाया जा रहा है, शास्त्रोंमें इससे छुटकारे के लिए अनेकों उपाए भी दिए गए हैं, परन्तुउनकी क्रियाएं जटिलता से भरी होती हैं, जो साधारण व्यक्ति के लिए अत्यन्त कठिन होती हैं।हमारा सदैव प्रयास रहा है कि सुगमता पूर्वक जिसे आम व्यक्ति कर सके और विपदाओं से सुरक्षित रहे, माँ की बड़ी कृपा रहती है, वे ही हमें प्रेरणा देती है कि व्यक्ति को सुगम मार्ग पर चलना सिखलाएं।

हमारे एक शिष्य है उनके ऊपर नित्य कुछ न कुछ तांत्रिक प्रयोग विपक्षी गणों द्वारा किया ही जाता रहा है, अनेकों जपों का अनुष्ठान किया, कुछ दिन सब सामान्य रहता है, पुनः विपक्षी द्वारा तांत्रिक प्रयोग होता है और वे परेशानी के चक्रव्यूह में उलझ जाते हैं आखीर यह सब कब तक चलता रहेगा।वहीं हिमांचल से एक साधक ने बताया विलोम शतनाम के पहले दिन दस पाठ किए, दूसरे दिन तीस पाठ किए, चौथे दिन अभिचार करने वाले को इतनी घबराहट हुई कि उसने कहा देखो यदि कल जीवित रहता हूँ, तो मिलना होगा।वही सातारा महाराष्ट्र से विशाल ने बतलाया - पहले दिन सौ पाठ किए, दूसरे दिन सौ पाठ कर लेटा था कि ऐसा लगा मेरे हाथ-पैरों को किसी ने बाँध दिया हो, वे हिलडुल भी नहीं पार हे थे, साथ ही कान में तेज हंसी की आवाज आने लगी, तुरन्त मूलमंत्र का जप कर फूक मारी हाथ पैरों के बन्धन खुल ही नहीं गए अपितु हंसी की आवाज भी शान्त हो गई।
यह प्रयोग सभी साधक सुगमता पूर्वक कर सकते हैं।

सर्वप्रथम संकल्प लें-

संकल्प :-अज्ञात शत्रुओं द्वारा मेरे ऊपर जो अभिचारिक क्रियाएं की जा रही हैं हे माँ! पीताम्बरा उन सभी का स्तम्भन करने की कृपा करें और मेरे जीवन को मंगलमय बनाने की भी कृपा करें, इसके लिए मैं आप के बीजमंत्र से संयुक्त, विलोम शतनामका एक हजार पाठ करने का संकल्प ले रहा हूँ (जल गोले पर डाल दें)
 
ऊँ ह्लीं स्तम्भ रूपा देव्यैनमः।
ऊँ ह्लीं स्तम्भिनी देव्यैः नमः।
ऊँ ह्लीं दुष्टस्तम्भनकारिणी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भक्तप्रिया देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं महाभोग देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं श्रीविद्या देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं ललिताम्बिका देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं मैनापुत्री देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शिवानन्दा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं मातंग्ङी देव्यैन मः।
ऊँ ह्लीं भुगवेश्वरी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं नारसिंही देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं नरेन्द्रा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं नृपाराध्या देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं नरोत्तमा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं नागिनी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं नागपुत्री देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं नागराजसुता देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं उमा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं पीताम्बा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं पीतपुष्पा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं पीतवस्त्रप्रिया देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शुभा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं पीतगंधप्रिया देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं रामा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं पीतरत्नार्चिता देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शिवा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं अर्द्धचन्द्रधरीदेवी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं गदामुद्गरधारिणी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं सावित्री देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं त्रिपदा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शुद्धा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं सद्योरागविवर्धिनी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं विष्णुरूपा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं जगन्मोहा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं ब्रम्हरूपा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं हरिप्रिया देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं रूद्ररूपा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं रूद्रशक्तिश्चिन्मयी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भक्तवत्सला देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं लोकमाता देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शिवा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं सन्ध्या देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शिवपूजनतत्परा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं धनाध्यक्षा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं धनेशी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं धर्मदा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं धनदा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं धना देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं चण्डदर्पहरीदेवी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शुम्भासुर-निवर्हिणी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं ब्रम्हानन्दप्रदायिनी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं माताश्रीबगलामुखी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं चिच्छक्तिर्ज्ञानरूपा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं ब्रम्हानन्दप्रादायिनी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं महाविद्या देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं महालक्ष्मी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं श्रीमती त्रिपुरसुन्दरी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भुवनेशी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं जगन्माता देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं पार्वती देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं सर्वमंङगला देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं ललिता देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भैरवी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शान्ता देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं अन्नपूर्णा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं कुलेश्वरी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं वाराही देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं छिन्नमस्ता देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं तारा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं काली देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं सरस्वती देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं जगत्पूज्या देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं महामाया देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं कामेशी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भगमालिनी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं दक्षपुत्री देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शिवांकस्था देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शिवरूपा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शिवप्रिया देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं सर्वसम्पतकरीदेवी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं सर्वलोकवंशकरी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं वेदविद्या देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं महापूज्या देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भक्ताद्वेषीभयंकरी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं राजराजेश्वरीदेवी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं महिषासुर-मर्दिनीदेव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं मधुकैटभहन्त्री देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं रक्तबीज-विनाशिनी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं धूम्राक्षदैत्यहन्त्री देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भण्डासुरविनासीनी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं रेणुपुत्री देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं महामाया देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भ्रामरी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भ्रमराम्बिका देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं ज्वालामुखी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भद्रकाली देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं बगलाशत्रुनाशिनी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं इन्द्राणी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं इन्द्रपूज्या देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं गुह्य माता देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं गुणेश्वरी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं ब्रजपाशधरादेवी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं जिह्वामुद्गरधारिणी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भक्तानंदकरीदेवी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं बगला देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं परमेश्वरी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं देव्यै नमः।

यह एक पाठ हुआ, एक हजार पाठ के उपरान्त, दस पाठ से हवन कर दें, फिर देखें माँ का चमत्कार, विपक्षी लोगों पर माँ का चक्र तीव्र गति से चलता है कि उन्हें रोते नहीं बनता।

हवनसामग्री :- मूलमंत्र वाली होगी।




हवनमंत्र -नमः शब्द हटा कर, स्वाहा लगाकर आहुति दें, जैसे ऊँ ह्लीं स्तम्भरूपा देव्यै स्वाहा।

डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434
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