Friday 20 January 2017

धनाभाव और माँ बगलामुखी

बात पाँच वर्ष पुरानी है, मैं अपने एक मित्र के यहाँ गया, उसके सेवा भाव से मन प्रसन्न हो गया, परन्तु मैंने एक बात नोट की यह सब दिखावा मात्र था, मैंने उसे कुरेदा तो उसकी बाते सुनकर मैं हैरान रह गया, वह अत्यधिक धनाभाव से संघर्ष कर रहा था, घर में एक ही समय चूल्हा जलता था, कुल मिलाकर अत्यन्त दयनीय स्थिति से जेसे तैसे गुजारा चल रहा था। घर आकर मैं सोचने लगा, क्या करूँ कि इसके जीवन में कुछ सुधार हो जाये, मैंने इसका नमक  खाया है - वासी रोटी व टमाटर की चटनी, हमने बड़े चाव से खाई थी, भूख में बहुत स्वाद इस भोजन में मुझे मिला। समय आ गया अब इसके नमक को व्यर्थ नहीं जाने दूंगा, भगवती से अवश्य प्रार्थना करूँगा और ऐसा ही हमने किया। एक वर्ष पश्चात् मैं पुनः इनके वहाँ गया, मैं देख कर दंग रह गया, इनकी यजमानी चल निकली थी, घर पर यजमानों की भीड़ लगी थी, टोकन बट रहा था, जिस नम्बर का टोकन वही यजमान इनसे मिल सकता था। भगवती से मैने इनके लिए कुछ माँगा था, भगवती ने बहुत कुछ दे दिया एक बार पुनः भगवती ने सिद्ध कर दिया सच्चे मन से कुछ मांग कर तो देखों बहुत कुछ अपने भक्तों को दे देती है, मेरा मन अत्यन्त गदगद हो गया, अपने पर नियंत्रण समाप्त हो गया - आँखों से अश्रुधारा स्वतः ही प्रवाहित हो चली।
जिस प्रकार की गई आप के सम्मुख प्रस्तुत है:-

जप - रूद्राक्ष की माला पर।
भोग - खीर जिसमें केशर मिला हो।
ध्यान - भगवती बगलामुखी स्वर्ण सिंहासन पर बैठी है और अपने दोनों हाथों से स्वर्ण मुद्राए बरसा रही है।
हवन सामग्री - सफेद तिल, हल्दी, हरताल, बूरा, जव, शहद, पंचमेवा, कमल गट्टे, माल कांगनी, गुगल, काले तिल, लौंग, छोटी इलायची, देशी घी।

संकल्प - ऊँ तत्सद्य परमात्मा आज्ञया प्रवर्तमानस्य 2073 संवत्सरस्य श्री श्वेत वाराह कल्पे जम्बूदीपे भरत खण्डे उत्तर प्रदेश, लखनऊ नगरे पुराना हैदराबाद निवासे ...... मासे, .......... पक्षे, .............. तिथे, ........... गोत्रोत्पन्न (अपना नाम) अहं भगवत्या पीताम्बरा प्रसाद सिद्धि द्वारा मम यजमानस्य .................. नाम ................. व्यवसाय वृद्धर्थे च स्थिर लक्ष्मी प्राप्ताथे मन्दार मंत्रस्य सम्पुटित रमा स्वरूपा श्री बगलया सट्ली दस सहस् जपे अहं कुर्वे।

मन्त्र - ‘‘श्री ह्रीं ऐं भगवति बगले तत्श्च विर्भूत साक्षात श्री रमा भगवत् परा रंजियंति दिशह् कान्तया विद्युत् सोदामनी यथा में श्रीयम् देहि देहि स्वाहा।

जप से पूर्व व बाद में क्रमशः 1-1 माला निम्न मंत्र का जप अवश्य कर दें -

‘‘ॐ ऐं बगलामुखि विद्महे ॐ क्लीं कान्तेश्वरि धीमहि ॐ सौः तन्नो प्रह्ल्रीं प्रचोदयात्’’



हवन के उपरान्त निम्न मन्त्र द्वारा 108 बार तर्पण करना है - दूध से श्रीं ह्रीं ऐं भगवति बगले तत्श्च विर्भूत साक्षात् श्री रमा भगवत प्ररा रंजियति दिशह् कान्तया विद्युत सोदामनी यथा में श्रीयम् देहि देहि स्वाहा तर्पयामी।

परिणाम - अति उत्तम आया। हमने पाया है उपरोक्त विधि द्वारा 36 हजार जप के पश्चात् निश्चित ही 99 प्रतिशत लाभ मिलता है।

नोट - चलते समय पंडित जी ने 36 हजार गुरू दक्षिणा स्वरूप मुद्राएं हमें यह कहते हुए भेंट की कि यह सब आप का ही दिया है, मेरी तुच्छ भेंट स्वीकार करें, मन ही मन स्वतः प्रार्थना निकलती है ‘‘हे भगवती इन्हें कभी पराजय का मुुँह न देखना पड़े।

इस केस में पितर-दोष था अत पितरों की प्रसन्नता एवं तृप्ती हेतु इन्इें एक उपाय भी बताया कि सुबह पक्षियों को कुछ खिला दिया करें जैसे मीठा दें, पूड़ी या नमकीन दें, बिस्कुट आदि दे सकते हैं, साथ ही पक्षियों के पीने हेतु साफ पानी भी वहाँ रखना न भूलें, इस कार्य में अर्थाभाव आड़े नहीं आएगा।

डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह

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