एक महिला जो पिछले दो वर्षों से परेशान थी, साथ ही उसके घर वाले भी, परेशान रहते थे, हुआ यह कि उन लोगों ने एक सर्प को मार दिया, उसी के बाद से परेशानियों का सिलसिला प्रारम्भ हो गया। कई तांत्रिकों को दिखलाया परन्तु ज्यों-ज्यों क्रियाएं की गई, परेशानियाँ बढ़ती गई। रात भर महिला डरी-सहमी सी रहती व रह-रह कर बकती मेरे पास सांप चल रहा है उसे दूध पिलाओ कहते-कहते बेहोश हो जाती। रात में खाना खाकर सोती, एकाएक रात में उठ कर बैठ जाती जिद् करती मैंने खाना नहीं खाया मुझे भूख लग रही है, मुझे खाना दो, यदि खाना नहीं दिया जाता तो बच्चों की भाँति फूट-फूट कर रोने लगती उसकी इन हरकतों से घर वाले परेशान रहते। अभी दो वर्ष पूर्व ही उसका विवाह हुआ था। अक्सर बच्चों की भांति जिद करती उसके न मिलने पर फूट-फूट कर रोने लगती। नई दुल्हन थी हाथों में तमामों चूड़ियाँ पहन रखी थीं, फिर भी चूड़ियों की फरमाइश करती यदि चूड़ियाँ न दी गई तो बच्चों की भाँति उसका रोना प्रारम्भ हो जाता। एक बलशाली तांत्रिक (जिससे मेरा एक बार मनुमुटाव हो चुका था) ने 40 दिन अपने पास बुलाया, कुछ दिनों तक राहत मिली, परन्तु उसके बाद और तीव्र प्रकोप बढ़ने लगा। इस बीच उस नई नवेली दुल्हन ने अपने पति के साथ दाम्पत्य कर्तव्यों का निर्वाहन नहीं कर सकी। उसके पति की हालत देखने लायक थी। हमारे शिष्य सुरेश चन्द्र श्रीवासतव ने इस दाम्पत्य जोड़े को भगवती पीताम्बरा के हमारे हवन पर आमंत्रित किया।
साधारण तौर पर उन लोगों ने हवन का प्रारम्भ से अन्त तक दर्शन किया तथा प्रसाद व भभूत लेकर चले गए। आज एक वर्ष हो गए हैं, अभी तक पूर्व की भाँति कोई समस्या सामने नहीं आयी अपितु अब वह महिला एक बेटे की माँ भी बन गई है। यही नहीं नेट से एक श्रीमान जी ने अपना अनुभव हमें बतलाया। वह अस्पताल में बेड पर पड़े थे समय व्यतीत करने के लिए उन्होंने यू-ट्यूब पर हमारे भगवती के हवनों को बड़े चाव से देखते रहें। परिणाम स्वरूप उनकी जटिल बीमारी बहुत तीव्र गति से ठीक हो गई।
भगवती पीताम्बरा के हवनों में जो सामग्री प्रयोग की गई, वह इस प्रकार है -
पिसी हल्दी - 4 किलो0
मालकांगनी - 2 किलो0
सुनहरी हड़ताल - 250 ग्राम
साबुत लाल मिर्च - 1 किलो0
लाजा - 1 किलो0
सेंघा नमक - 200 ग्राम
सरसों का तेल - 1 लीटर
हवन में प्रयोग किए गए मंत्रों का उल्लेख -
1. माँ बगुलामुखी के मूलमंत्र
2. बगला विपरीत प्रत्यांगिरा
3. बगला गायत्री मंत्र
4. बगला कल्प विधान
नोट - इस विधान द्वारा क्रूर से क्रूरतम दुष्ट विधान को नष्ट किया जाता रहा है।
डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
साधारण तौर पर उन लोगों ने हवन का प्रारम्भ से अन्त तक दर्शन किया तथा प्रसाद व भभूत लेकर चले गए। आज एक वर्ष हो गए हैं, अभी तक पूर्व की भाँति कोई समस्या सामने नहीं आयी अपितु अब वह महिला एक बेटे की माँ भी बन गई है। यही नहीं नेट से एक श्रीमान जी ने अपना अनुभव हमें बतलाया। वह अस्पताल में बेड पर पड़े थे समय व्यतीत करने के लिए उन्होंने यू-ट्यूब पर हमारे भगवती के हवनों को बड़े चाव से देखते रहें। परिणाम स्वरूप उनकी जटिल बीमारी बहुत तीव्र गति से ठीक हो गई।
भगवती पीताम्बरा के हवनों में जो सामग्री प्रयोग की गई, वह इस प्रकार है -
पिसी हल्दी - 4 किलो0
मालकांगनी - 2 किलो0
सुनहरी हड़ताल - 250 ग्राम
साबुत लाल मिर्च - 1 किलो0
लाजा - 1 किलो0
सेंघा नमक - 200 ग्राम
सरसों का तेल - 1 लीटर
हवन में प्रयोग किए गए मंत्रों का उल्लेख -
1. माँ बगुलामुखी के मूलमंत्र
2. बगला विपरीत प्रत्यांगिरा
3. बगला गायत्री मंत्र
4. बगला कल्प विधान
नोट - इस विधान द्वारा क्रूर से क्रूरतम दुष्ट विधान को नष्ट किया जाता रहा है।
डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह