Sunday 25 December 2016

भगवती पीताम्बरा के मंत्रों का प्रयोग

यह तो तय है मंत्रों में बहुत ही गजब की शक्ति समाई रहती है। उसका उचित ढंग से व आवश्यक रीति से जप किया जाये तो सुखद परिणाम प्राप्त होते हैं। सर्व प्रथम भवगती बगलामुखी के मूल मंत्र के 36 लाख जप आप पूर्ण कर चुके हैं। (योग्य गुरू के निर्देशानुसार एक वर्ष में ही आप 36 लाख जप पूर्ण कर लेंगे, जो भी हो, यह बात तो अनुभवी गुरूओं के आधीन है) तो कोई कारण नहीं कि आपको सफलता न मिले। कुछ गुप्त तथ्य आप के सम्मुख प्रस्तुत हैं:-

1. किसी कार्य के संकल्प हेतु पीली चुनरी व नारियल चढ़ा कर कार्य प्रारम्भ करें
2. गंगा के किनारे या कोई भी प्राचीन शिवाला या देवी का प्राचीन मंदिर हो वहाँ जप से शीघ्र ही सफलता मिल जाती है।
3. साधक लगातार जप से निपुण होता है।
4. अच्छे कार्यों से मंत्रों की शक्ति बढ़ती है।
5. किसी का भी हवन कर रहे हो तो हवन सामग्री में कुछ अंश अपना भी लगा दें।
6. जब भी प्रयोग करते है, 20 दिन बाद हवन करते रहे, यदि हवन होता रहता है तो शीघ्र सुखद परिणाम प्राप्त होता है।
7. कभी भी साधना को अधर में न छोड़े, परिणाम प्राप्त होने पर भी संकल्प पूर्ण करें।
8. जब कोई काम न बने तब ब्रम्हास्त्र बगला कवच ही फल जाता है। जब कोई शक्तिशाली चीज प्रहार करती है, तब यही कवच रक्षा करता है। पहले कवच का ग्यारह सौ पाठ कर सिद्ध कर लें। मरीज का हाथ छूते ही झुनझुनी सी मालूम होती है, समझ ले इस पर ऊपरी कोई बाधा है, अतः बगला गायत्री मंत्र मात्र सात बार पढ़ कर जल अभिमंत्रित कर, मरीज पर छीटा मारे, मरीज में आग सी लगती है वह चीखता है, चिल्लाता है। अब आगे जैसा आप चाहेंगे वैसा ही होगा।






ब्रम्हास्त्र बगला कवच


नोट:- पाठ से पूर्व बगला मूल मंत्र का 11 माला व बगला गायत्री का एक माला जप कर लें।

बगला में शिरः पातु ललाटं ब्रह्म संस्तुता।
बगला में भ्रवो नित्यं कर्णयोः क्लेश हारिणी।।
त्रिनेत्रा चक्षुषी पातु स्तम्भनी गण्डयो स्तथा।
मोहिनी नासिंका पातु, श्री देवी बगलामुखी।
ओष्ठयो र्दुर्घरा पातु स्र्वदन्तेषु चच्चला।
सिद्धान्न पूर्णा जिह्वायां जिह्वागे्र शारदाम्बिका।।
अकल्मषा मुखे पातु चिबुके बगलामुखी।
घीरा में कण्ठदेशे तु कण्ठाग्रे काल कर्षिणी।
शुद्ध स्वर्ण निभा पातु कण्ठ मध्ये तथाऽम्बिका।
कण्ठ मूले महाभोगा स्कन्धौ शत्रु विनासिनी।
भुजौ में पातु सततं बगला सुस्मिता परा।
बगला में सदा पातु कूर्परे कमलोभ्दवा।।
बगलाऽम्बा प्रकोष्ठौ तु मणि बन्धे महाबला।
बगला श्री र्हस्तयोश्च कुरू कुल्ला कराङगुलिम।।
नखेषु वज्रहस्ता च हृदये ब्रह्म वादिनी।
स्तनौ मे मन्द गमना कुक्षयो र्योगिनी तथा।।
उदरं बगला माता नाभिं ब्रह्मास्त्र देवता।
पुष्टिं मुदगर् हस्ता च पातुनो देव वंन्दिता।।
पाश्र्वयो र्हनुमद् वन्द्या प्शु पाश विमोचिनी।
करौ राम प्रिया पातु उरू युग्मं महेश्वरी।।
भगमाला तु, गह्मं में लिङग कामेश्वरी तथा।
लिंग मूले महाक्लिन्ना वृषणो पातु दूतिका।।
बगला जानुनी पातु जानुयुग्मं च नित्यशः।
जङघे पातु, जगद्धात्री गुल्फौ रावण पूजिता।।
चरणौ दुर्जया पातु पीताम्बा चरणाङ्गुली।
पाद पृष्ठं पद्यहस्ता पादाघ चक्र धारिणी।।
सर्वाङग बगला देवी पातु, श्री बगलामुखी।
वाराही मे पूर्वतः पातु, माहेशी बहिन भागतः।।
कौमारी दक्षिणो पातु, वैष्णवी स्वर्ग मार्गतः।
ऊघ्र्व पाशघरा पातु, शत्रु जिह्वा घरा ह्यघः।।
रणे राजकुले वादे महायोगे महाभये।
बगला भैरवी पातु नित्यं क्लींकार रूपिणी।।
इत्येवं वज्र कवचं महा ब्रह्मास्त्र संज्ञकम्।
त्रिसन्हयं यः पठेत् घीमान् सर्वैश्वर्य वाष्रुयात्।।
(दक्षिणामूर्ति संहिता उद्घृत)

क्रमशः

1. दक्षिण काली और भैरव का विधान किस प्रकार समाप्त करे।
2. जिन्न को कैसे नष्ट किया जाए।
3. गडन्त को कैसे नष्ट किया जाए।
4. कृत्या को कैसे समाप्त करें।
5. दुष्ट ब्रह्मराक्षस पर भगवती पीताम्बरा के मंत्रों का चमत्कार।

डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह

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