कोई भी मन्त्र हो यदि वह भगवती बगलामुखी के मन्त्रों द्वारा संपुटित कर जप करते हैं, तो तीव्र गति से सुखद परिणाम आते हैं | एक दृष्टान्त देखें -हमारे एक मित्र सरकारी ड्राईवर हैं , पिछले 10 वर्षों से वह अपने विभाग के आई.ए.एस. की ही कार चलाते रहे , इधर विभाग के आई.ए.एस. से कुछ अनबन हो गयी , उसने कल से काम पर न आने का आदेश इनको दे दिया , चूँकि इनकी अस्थायी न्युक्ति थी अतः अब बच्चों के पालन-पोषण की विकराल समस्या इनके आगे कड़ी थी | हमसे संपर्क किया काफी सोचने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पंहुचा की कोई तीव्र प्रयोग किया जाए , अतः दुर्गा शप्तशती के एक मन्त्र को अपनी भगवती के शाबर मन्त्र से संपुटित कर 10 हजार का संकल्प किया |
मैंने इनसे किसी प्राचीन शिव मंदिर ले चलने को कहा , लखनऊ से 35 किमी. दूर भैरोसुर मंदिर जो शिव जी का प्राचीन मंदिर जहाँ स्वतः प्रकट शिव जी की लाट है , न की मानव स्थापित , सई नदी के किनारे एकांत-वीरान में बना है | समय रात्रि के दस बज रहे थे , चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था , वहां के पुजारी ने बड़ी मुश्किल से अंदर बैठने की आज्ञा दी, ये महाशय बाहर कार में लेट गये व मंदिर के प्रांगन में आसनी बिछा कर मन्त्र जप प्रारंभ किया | अभी जप करते एक ही घंटा व्यतीत हुआ था, तभी बंदरों का एक झुण्ड आया, पास की टीनों पर उछलने लगे, खड़बड़-खड़बड़ की तीव्र ध्वनि रात के सन्नाटे को भयावह बना रही थी तुरंत बंदरों पर स्तम्भन प्रयोग किया , बंदरों की उचक-फांद बंद हुई , मन्त्र अपनी तीव्र गति से लक्ष्य की ओर बढ़ रहा था , हमें अनुभव हो रहा था की मेरे बगल में बैठ कर कोई जाप कर रहा है , बीच-बीच में उसकी फुसफुसाहट स्पष्ट सुने पद रही थी , अंततः सुबह के 5 बज गये , फ़ोन कर कार से इनको उठाया व हवन की तैयारी करने लगा लगभग 6 बजे हवन समाप्त कर लौट आये |
दुसरे दिन पुनः रात्रि 10 बजे भैरोसुर मंदिर पहुच गये, आसनी बिछा कर अभी एक ही घंटा जप कर पाए थे की बूंदा-बांदी होने लगी अतः शिवाले के अंदर आक्सर आसनी लगे व उसके चारो दरवाजे अंदर से बंद कर जप करने लगा | वहां के बंदरों ने हमें चिड़ियाघर का सदस्य समझा अतः बंद दरवाजों पर चढ़-चढ़ कर हमें देखने लगे परन्तु मैं अपनी गति को बढ़ाते हुए लक्ष्य की ओर तीव्रता से बढ़ता रहा अंततः सुबह के पांच बज गये | अब हवन की तैयारी होनी है अतः फ़ोन कर बुलाया | हवन कुंड में मैं लकड़ियाँ रखने लगा इतने में एक मोटे से बन्दर ने हवन सामग्री वाला थैला उठा लिया , मैंने तुरंत उसका हाथ पकड़ कर तेजी से कहा तेरे बाप का सामान है , रख साले , बन्दर ने थैली तो छोड़ दी परन्तु कुछ दूर हट कर बैठा रहा | सुबह 6 बजे हवन समाप्त कर, वापस आ गये |
तीसरे दिन हमलोग मोटर साइकिल से भैरोसुर मंदिर के लिए चले, रास्ता ही भटक गये तभी वर्षा होने लगी, एक टीन शेड के निचे रुक गये, पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था, आखिर रात्रि 12:30 पर वर्षा रुकी हमने कहा वापस चलो , और वापस लौट आये चूँकि कुछ भींग गये थे अतः जप करने की हिम्मत नहीं हो रही थी , मन में दहशत थी की मन्त्र जप खंडित हो जाएगा , अतः लेटे ही लेटे मानसिक जप प्रारंभ किया , कब नींद आ गयी हमें पता ही नहीं चला |
चौथा दिन बुद्धेश्वर मंदिर यह भी भगवान् शिव जी का प्राचीन व जाग्रत मंदिर है, यहाँ की लाट भगवान् रामचंद्र जी के अनुज भाई श्री लक्ष्मण जी के द्वारा स्थापित की गयी थी | रात्रि 10 बजे मंदिर पहुच गये | मंदिर का प्रमुख द्वार बंद हो चूका था अतः पीछे के रास्ते से पुजारी के पास पहुच कर रात जप करने की आज्ञा लेने लगा , बड़ी बड़-बड़ के बाद उसने हमें मंदिर में रुकने की आज्ञा दी | रात्रि में एकदम बीरानगी छाई थी और मेरा मन्त्र तीव्र गति से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए सुबह के 5 पांच बज गये , हवन का समय हो गया था , हवन किया और लौट आये |
पांचवा दिन ठीक 10 बजे बुद्धेश्वर मंदिर पहुच कर जप प्रारंभ किया रात्रि एक बजे मंदिर के प्रमुख द्वार पर दो पुलिस वाले मुझे बुलाने लगे, उठ कर मैं प्रमुख द्वार पर गया | यहाँ रात में क्या कर रहे हो , जप कर रहे हैं | पुलिस वाला बोला रात में कहीं पूजा होती है | उसे तांत्रिक विद्या का ज्ञान नहीं था , मैं पुनः आसन पर आकर जप करने लगा , वह पुलिस वाला पीछे के रास्ते से मंदिर में आकर पुजारी को जगा कर कहने लगा , तुम्हारे मंदिर में दो बाहरी लोग आये हैं,
तुम्हे पता है , पुजारी ने कहा हाँ हमने उन्हें यहाँ बैठ कर जप करने की आज्ञा दी है | समय तीव्र गति से चलते हुए सुबह के 5 बज गये , हवन की तैयारी की , आहुति के उपर आहुतियाँ पड़ रही थी , पूरी तरह से मैं एकाग्र था तभी एक औरत रोते हुए आई और उसने अपना सर मेरे जाँघों पर रख दिया, मैंने उसे समीप बैठे यादव जी
की ओर कर दिया चूँकि हवन प्रचंड रूप से प्रज्वलित था और हवन मन्त्र भी उसी भाँती तीव्र चल रहा था , मैं कोई विघ्न आने से पूर्व ही अपने लक्ष्य तक पहुच जाना चाहता था और निर्विघ्न पूर्ण हुआ | अब हमें परिणाम आने की प्रतीक्षा थी | दस हज़ार संपुटित मन्त्र पूर्ण कर मन को बड़ी शांति मिली, मैं जानता हु मुझे सफलता अवश्य मिलेगी और - वही हुआ भी | संकल्प पूर्ण कर अभी साथी ही दिन हुए थे की घटना चक्र में बहुत तेजी से परिवर्तन होने लगे, उस आई.ए.एस. का स्थानांतरण अन्यत्र हो गया | इनके स्थान पर जो दुसरे आई.ए.एस. आये उसने इन्हें बुला कर अस्थाई न्युक्ति को पिछले 10 वर्षों से स्थायी न्युक्ति कर कार्यभार दिया साथ ही पिछले दस वर्षों का एरियर बनवा कर लाखों रूपये का चेक भी दे दिया और एक माह बाद उनका भी स्थानांतरण हो गया |
इस प्रकार हम देखते हैं की भगवती से जितना मांगो वे उससे भी अधिक देती है | इसमें हमने जो सम्पुट प्रयोग किया दे रहा हूँ -
जगद वसंकरी का सम्पुट लगाकर जप किया था |
ॐ ह्रीं बगलामुखी जगद वसंकरी ! माँ बगले पीताम्बरे
प्रसीद-प्रसीद मम सर्व मनोरथान पूरय-पूरय ह्रीं ॐ |
सर्व बाधा प्रशमनं त्रैलोकस्या खिलेश्वरी ,
एवमेव त्वया कार्य मस्य द्वैरी विनाशनं |
ॐ ह्रीं बगलामुखी जगद वसंकरी ! माँ बगले पीताम्बरे
प्रसीद-प्रसीद मम सर्व मनोरथान पूरय-पूरय ह्रीं ॐ |
यह एक मन्त्र हुआ | इसका दस हज़ार जप कार्य सिद्ध कर देता है | कामना वाले कार्यों में सम्पुट आवश्यक है , जिससे शीघ्र ही सुखद परिणाम मिलते हैं |
डॉक्टर तपेश्वरी दयाल सिंह द्वारा बगलामुखी हवन
डॉ तपेश्वरी दयाल सिंह
Very nice info and very effective mantra Gurudev ji...
ReplyDeleteSadar Pranam
www.edufacts.in
bhairosur mandir kahan hai google map pe mark kare
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