Wednesday 23 December 2015

परविद्या भक्षणी व काला जिन्न


शास्त्रो में लिखा है यदि आप को आर्थिक मानसिक, शारीरिक हानि पहुचाने के उद्धेश से किसी स्वार्थी व्यक्ति द्वारा कोई अभिचाारिक कर्म आप के विरूद्ध कराया हो तो भगवती बगला मुखी का यह प्रयोग अति उत्तम है।
इस मंत्र की यह विशेषता है कि विरोधी द्वारा प्रयोग की गई  विद्या का हरण कर, शमन कर देती है।
यह विद्या 1 लाख जप से सिद्व होती है। जिसे 14 से 21 दिनों में पूर्ण कर लेते हैं। यदि यह प्रोग्राम ठीक चला तो 5 किलो मीटर तक कोई भी विद्या कार्य नही करेगी। यदि इस मंत्र के बाद विपरीत प्रत्यगिरा मंत्र लगा कर जाप करे तो वह गड़ंत को नष्ट कर देता है।
हमने मूल मंत्र का सम्पुट लगा कर 1 लाख जप का संकल्प किया, 17 हजार जप के उपरान्त एक रात जप कर उठता हूँ बाहर एक काला जिन्न खडा था, मुझे देखते ही वह छुपने लगा, मैने उसे बुला कर पूछा, यहाँ कैसे ? गुर्रा कर उसने उत्तर दिया - भेजा गया हूँ, मैने उससे कहा माफ किया परन्तु जिसने भेजा है उसे एक किक लगाओ कि उ़सके मुँह से खून आए। उसने मुझे सलाम ठोकी और तुरन्त ही चला गया। एक बात मैने नोट की जिन्न चल नही रहा था हवो में तैरता हुआ मेरे पास आया था दूसरे वह मुँह से नही बोल रहा था वरन् उसके शरीर से आवाज निकल रही थी बड़ा ही लम्बा-चैड़ा हट्टा-कट्टा जिन्न था, यह कोई स्वप्न की बात नही है वरन् प्रत्यक्ष घटी घटना है। ठीक दूसरे दिन मोहल्ले की ही एक औरत को टेम्पों ने पीछे से टक्कर मारी वह मुंह के बल सड़क पर गिरी, उसके मुंह से काफी खून आया, साथ ही सीने की सारी हडिडयाँ टूट गई, वह एक दुष्ट तांत्रिक है।
एक लाख जप के उपरान्त दशांश जप कर हवन किया

हवन सामग्री : हल्दी, पीली सरसों साबुत लाल मिर्च हवन सामग्री जिसे कडुवे तेल में साना गया।





संकल्प : ऊँ तत्सद्य..........प्रसाद सिद्धी द्वारा पर कृत्या नष्टार्थे पर-मंत्र, पर-तन्त्र, पर-यंत्र भक्षार्थे च मम सर्वाभीष्ठ सिद्धियर्थे भगवती बगला मूलमंत्र सम्पुटे पर विद्या भक्षिणी मंत्र एक लक्ष जपे अहम् कुर्वे।

मंत्र - परविद्या भक्षणी मन्त्र (127 अक्षर)

ऊँ ह्लीं श्रीं ह्रीं ग्लौं ऐ क्लीं हुं क्षौं बगला मुखि पर प्रयोगम् ग्रस ग्रस, ऊँ 8 ब्रम्हास्त्र रूपिणि पर विद्या-ग्रासिनि! भक्षय भक्षय, ऊँ 8 पर-प्रज्ञा हारिणि! प्रज्ञां भ्रंशय भ्रंशय ऊँ 8 स्तम्भ नास्त्र रूपिणि! बुद्धिं नाशय नाशय, पच्चेन्द्रिय-ज्ञांन भक्ष भक्ष, ऊँ 8 बगला मुखि हुं फट् स्वाहा।
( जहाँ 8 है वहां ह्लीं से क्षौम तक पढ़ें )

विनियोग : ऊँ अस्य श्री पर विद्या-भेदिनी बगला मुखी मन्त्रस्य श्री ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छन्दः, पर विद्या भक्षिणी श्री बगलामुखी देवता, आं बीजं, ह्ल्रीं शक्ति, क्रो कीलंक, श्री बगला-देवी-प्रसाद सिद्धि द्वारा पर-विद्या भेदनार्थे जपे विनियोगः।

ऋष्यादि न्यास : श्री ब्रह्मर्षये नमः शिरसि, गायत्री छन्दसे नमः मुखे, पर विद्या भक्षिणी श्री बगलामुखी देवतायै नमः हृदि, आं बीजाय नमः गुहो, ह्ल्रीं शक्तिये नमः पदियोः, क्रों कीलकाये नमः सर्वाग्ङे, श्री बगलादेवी प्रसाद सिद्धि द्वारा पर विद्या भेदनार्थेजपे विनियोगाय नमः अज्जलौ।

कर-न्यास : आं हृीं क्रों अंगुष्ठाभ्यां नमः, वद वद तर्जनीभ्यां स्वाहा, वाग्वादिनि मध्यमाभ्यां वषट्, स्वाहा अनामिकाभ्यां हुं, ऐ क्लीं सौं कनिष्ठाभ्यां वौष्ट्, ह्ल्रीं करतल-कर-पुष्टाभ्यां फट्।

अग्ङ न्यास : आं ह्ल्रीं क्रों हृदयाय नमः, वद वद शिर से स्वाहा, वाग्वादिनि शिखायै वषट्, स्वाहा कवचाय हुं, ऐं क्लीं सौ नेत्र-त्रयाय वौष्ट्, ह्ल्रीं अस्त्राय फट्।

ध्यान - 

सर्व मंत्र मयीं देवीं, सर्वाकर्षण-कारिणीम्।
सर्व विद्या भक्षिणी च भजेऽहं विधि पूर्वकम्।

1 comment :

  1. ॐ अनुभवयुक्त साधन बताने के लिए धन्यवाद !

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