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Tuesday 7 July 2015

अकाल मृत्यु काटने हेतु संपुटित मन्त्र की तीव्रता

नवरात्री के अंतिम दिन व्रत समाप्त कर खाना खाने के ठीक बाद, किसी दुष्ट ने मेरे यजमान के उपर तीव्र मारण प्रयोग कर दिया, जिससे एकाएक उनका स्वास्थ्य चिंताजनक होने लगा | हार्ट के अस्पताल लारी ले गये, वहीँ ज्ञात हुआ की दिल का केस नहीं है , ब्रेन का केस है | अतः रात्रि 12 बजे एक अस्पताल में भरती किया गया | सी.टी. स्कैन द्वारा ज्ञात हुआ की दिमाग की नस फट गयी है , क्लाटिंग हो गयी है | इस घटना क्रम के बारे में मुझे सुबह ज्ञात हुआ ब्रेन हेमरेज का केस उपर वाले के भरोसे ही ठीक होते हैं | अतः बिना समय नष्ट किये मैंने अपनी भगवती पीताम्बरा के मूल मन्त्र से महामृत्युंजय मन्त्र को संपुटित कर मानसिक जप का दस हज़ार का संकल्प कर बैठ गया | जप अपनी गति से तीव्र से तीव्रतर होता जा रहा था , उधर मेरी बाई आख भी तेजी से लगातार फडकती रहीं, मन में भय व्याप्त हो रहा था , विचार उठने लगा की क्या मेरी साधना व्यर्थ हो जायेगी, मैंने छटपटाहट में भगवती को पुकारा -माँ मेरी मदद करो, मेरी मेहनत को सफल करो | मानसिक जप की तीव्रता को बढाता हुआ अंततः रात्रि के तीन बज गये , तभी मेरी दाहिनी आँख फड़कने लगी | मन में दृढ विश्वास हो गया, माँ ने मेरी सुन ली, जप को विराम देकर सोने के लिए चल दिया |
दुसरे सुबह जब मानसिक जप करकने लगी, केवल एक माला ही जप कर उसे विराम दे दिया | दोपहर मरीज को देखने अस्पताल गया, वह होश में थे,परन्तु अस्पष्ट बोल रहे थे, कुछ देर रुक कर वापस आकर पुनः जप पर बैठ गया व क्रमशः रात्रि को भी परिश्रम किया दाई आँख लगातार फड़कती रही |
तीसरे दिन मरीज का ऑपरेशन हुआ जो सफल रहा, मानसिक जप निरंतर चलते हुए अंतत अपने लक्ष्य दस हज़ार तक पहुच ही गया | छठे दिन मरीज की हालत पुनः बिगड़ने लगी अतः हवन की तैयारी कर दी व अपने शिष्य राम चन्द्र यादव को बुद्धेश्वर मंदिर जो भगवान् शिव जी का प्राचीन व जाग्रत स्थान है में रात्रि आठ बजे बुलाया | रात्रि 9 बजे से हवन की प्रक्रिया प्रारंभ किया | पहले संकल्प लिया ॐ तत्सत् परमात्मन आज्ञाया प्रवर्त्मनास्य 2072 संवत्सरस्य श्री श्वेत-वराह-कल्पे जम्बू-द्वीपे भरत-खण्डे उत्तर प्रदेशे लखनऊ नगरे बुद्धेश्वर मंदिर स्थिते वैशाखामासे, कृष्ण पक्षे, चतुर्थी तिथे , बुद्ध वासरे कश्यप गोत्रोत्पन्न तपेश्वरी दयाल सिंह कारित कृत्या प्रयोगम मन्त्र-यंत्र-तंत्र कृत प्रयोग विनाशार्थे आरोग्य प्राप्त अर्थे भगवती अमृतेश्वरी स्वरूप बगलामुखी प्रसाद सिद्धि द्वारा मम यजमानस्य दूध नाथ मिश्र आरोग्य प्राप्त अर्थे हवन अहम् कुर्वे |

हवन निम्न प्रकार किया गया -



1. महामृयुन्जय मन्त्र की 5 माला हवन किया |
2. अमृतेश्वरी एक माला हवन |

मन्त्र - ॐ श्रीं ह्रीं मृत्युन्ज्ये भगवती चैतन्य चन्द्रे हंस संजीवनी स्वाहा |

1. भावाष्टक - एक पाठ की , प्रत्येक श्लोक के बाद आहुति दी गयी |
2. माँ बगलामुखी मूल मन्त्र के 5 माला का हवन किया गया |

क्रमशः उलट कर हवन किया गया -

1. माँ बगलामुखी मूल मन्त्र - 5 माला हवन |
2. भावाष्टक - एक पाठ की , प्रत्येक श्लोक के बाद आहुति |
3. अमृतेश्वरी - एक माला प्रत्येक मन्त्र के बाद आहुति |
4. महामृयुन्जय - 5 माला हवन मन्त्र के बाद आहुति |

हवन समय घी का दीपक व गंगाजल रखा गया |


  • हवन सामग्री -
  • पीली सरसों - 500 ग्राम
  • राई - 500 ग्राम
  • लाजा - 500 ग्राम
  • वाल छड - 100 ग्राम
  • काली मिर्च - 100 ग्राम
  • बूरा - 500 ग्राम
  • शहद - 200 ग्राम
  • सफ़ेद तिल - 500 ग्राम
  • लौंग
  • इलाइची ( छोटी)
  • हल्दी - 500 ग्राम
  • टाइट खीर - 100 ग्राम
  • देसी घी


समिधा - गूलर की लकड़ी + आम की लकड़ी

लाजा व लौंग इधर उधर का बवाल काट देती है, पाठ के अंत में खीर की आहुति दी |

परिणाम - यजमान मुंह द्वारा खाना खाने लगा व सामान्य गति विधियों से कार्य करने लगा परन्तु अभी धाराप्रवाहित उच्चारण करने में थोडा प्रयत्न करना पड़ता है |

डॉ तपेश्वरी दयाल सिंह
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