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Friday 5 June 2015

लेखक कॆ विषय मॆ



डॉक्टर तपेश्वरी दयाल सिंह 
मान्यता प्राप्त होमियोपैथिक चिकित्सक के साथ ही इनका रुझान अध्यात्म की ओर प्रारंभ से रहा है | अतः अपनी ज्ञान पिपासा शांत करने हेतु अनेक महात्माओं और गुरुओं के संपर्क में आये , परन्तु फिर भी मन की छटपटाहट का अंत नहीं हुआ , लेखक तपेश्वरी दयाल सिंह को अक्सर एक स्वप्न आता रहा "एक बड़ा सा विशाल पत्थर जो दो फीट ऊँचे हैं आसन की भाँती विराजमान हैं | झरोखेदार खिड़कियाँ दोनों ओर हैं , तीन द्वार मेहराब दार हैं , इस विशाल हॉल में कुछ साधक बैठे हुए साधना कर रहे हैं , जिनके सर का आकर बड़े कद्दू के बराबर है व् सभी के सर पे बाल नहीं है | यह स्वप्न साधक को परेशान किये रहता , अतः इस स्थान की खोज में अक्सर इधर उधर यात्रा करता रहा , कामख्या मंदिर असम में जाकर इस खोज को विराम मिला , वही विशाल हॉल , वही दो बड़े बड़े पत्थर, वही झरोखेदार खिड़कियाँ, वैसे ही दरवाजे | अब हमें ज्ञात हो गया , हमारा सम्बन्ध यही से है , अब प्रारंभ हुई सद्गुरु की खोज | उस क्षेत्र के उच्चतम कोटि के बगला उपासक "बसंत बाबा" के बारे में ज्ञात हुआ, इनके पास लेखक पंहुचा, काफी देर तक तंत्र क्षेत्र की बात हुई , अपना मनोरथ बताया की "मैं आपसे दीक्षा लेना चाहता हु" बसंत बाबा ने कहा बगलामुखी इतनी सस्ती नहीं है जो हर किसी को बता दी जाए | इस प्रकार तीसरे वर्ष उन्होंने लेखक को माँ पीताम्बर की वामाचारी दीक्षा प्रदान की | लेखक के दुसरे सद्गुरु "श्री योगेश्वरानंद" बागपत ने दक्षिणाचार दीक्षा प्रदान की | आज भी लेखक चिकित्सक का कार्य करते हुए , भगवती पीताम्बर की साधना में निरंतर प्रगति कर रहे हैं | 
लेखक का पता है :-
मकान नंबर 509 / 113 ई , 
पुराना हैदराबाद , लखनऊ-07 , 
उत्तर प्रदेश , 
मोबाइल नंबर - 9839149434

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