Tuesday 7 January 2020

करते रहो-करते रहो-माँ सब कुछ देती है

    जब माँ बगलामुखी अपने साधक को कुछ विशेष देना चाहती है, तब परिश्रम अत्यधिक करा लेती है। हमारे सद्गुरू बसन्त बाबा कामाख्या धाम, असम हमसे यही कहते रहते थे, ‘‘ करते रहो-करते रहो-माँ सब कुछ देती है’’ सुन कर मैं म नही मन सोचा करता था, यह हमें कुछ बतलाना नहीं चाहते। अतः करते रहो करते रहो कह कर हमें टरका रहें हैं। परन्तु गुरू आज्ञा सर्वोपरी मान कर पुनः मैं जय के मार्ग पर आगे बढ़ने लगता, करते-करते दो वर्ष कब व्यतीत हो गए, हमें ज्ञात ही नहीं रहा, परन्तु माँ ने हमें देना प्रारम्भ किया तो देती ही रही, जिसका क्रम आज भी चल रहा है, मन अत्यधिक प्रफुल्लित रहता है। अब तो कुछ मांगने की इच्छा ही नहीं होती, क्यों कि माँ सब कुछ पहले ही कर देती है, हाँ कभी-कभी मैं परेशान हो जाता हूँ तो माँ से कहना ही पड़ जाता है, हे माँ! मेरे शिष्यों की समस्याओं का भी निदान करने की कृपा करें, चुंकि मेरे अधिकांश शिष्य किसी न किसी समस्या से घिरे हुए हैं अतः अब मैने अपनी दैनिक साधना के अन्त में नियमिति रूप से माँ से उपरोक्ता प्रार्थना कर देता हँ। अधिकांश साधकों की आर्थिक समस्या है अतः माँ ने स्पष्ट रुप से हवा में लिख कर हरिद्रा गणेश का मंत्र व उसके हवन का मंत्र दिखला दिया है, चुंकि हरिद्रा गणपति विघ्न हर्ता व व धन प्रदाता है अतः हमें विश्वास है जो भी साधक इस प्रयोग को ग्रहण काल में करेंगे उन्हें निश्चय ही लाभ मिलेगा। इस प्रयोग के अनुभवों को शीघ्र ही साधकों के समक्ष रखूंगा।

सुरेश चन्द्र माँ पीताम्बरा के उच्च कोटि के साधक व हमारे शिष्य हैं, एक दबंग व्यक्ति ने इन्हें चिन्ता ग्रस्त कर दिया, वह भी माँ की इच्छा से ही हुआ था, अतः इन्होंने हमसे दीक्षा ले कर निरन्तर दो वर्षों तक माँ पीताम्बरा के अनेक मंत्रों का विधिवत अनुष्ठान सम्पन्न किए, परन्तु सफलता नहीं मिली। घोर निराश ने इन्हें चारों ओर से आलिंग्न बघ्य कर लिया, तभी माँ का चमत्कार हुआ। माँ पीताम्बरा कभी भी अपने साधकों का अहित होने ही नहीं देती, यदि देर लगती है तो स्पष्ट है मन्त्रों के द्वारा हमारे प्रारब्ध को सुधारा जा रहा है, हुआ यह कि उस दबंग ने इनके प्लाट पर बल पूर्वक कब्जा कर लिया, यदि उससे मुकदमा लड़ते तो अत्यधिक समय तो लगता ही साथ ही जीवन भी संकट में आ सकता था, हमने इन्हें माँ की शरण में आने का सुझाव दिया परन्तु दो वर्षों तक साधना करने के उपरान्त भी कुछ नहीं हुआ, अब तो हद भी पार हो गई उस दबंग ने इनके प्लाट में नींव भी खुदवाना प्रारम्भ कर दिया और यह शिष्य मेरे पास भगता हुआ आया कि अब क्या होगा, और उसने प्लाट पर जाने का निश्चिय किया, वहाँ पहुचाने पर एक माध्यम के द्वारा हमारे प्लाट को खरीदने की एक पार्टी मिल गई, जिसने हमसे वह प्लाट खरीद कर हमें चिन्ता मुक्त कर दिया। इस कार्यक्रम में अन्त में माँ बगलामुखी के विलोम शतनाम के पाठ के पूर्व ऊँ नमः शिवाय की एक माला जप कर एक हजार पाठ किए गए, दोबारा पुनः एक हजार पाठ पूर्ण किए गए, तीसरी बार एक हजार पाठ पूरे नहीं हो पाए कि काम बन गया।

सत्यवीर सिंह मेरे शिष्य है जो पिछले दो वर्षों से निरन्तर माँ के अनेको मंत्रों का अनुष्ठान पूर्व कर लिया है फिर भी उनका पड़ोसी जो दुष्ट प्रकृति का व्यक्ति है इन्हें कुछ न कुछ कारणों से चिन्ता ग्रस्त किए रहता, चुंकि सत्यवीर का घर गली मे है, उस गली में उस दुष्ट ने अपना टेम्पां खड़ा कर दिया अतः इनके घर जोन का मार्ग ही बन्द हो गया, मोटर साइकिल घर तक कैसे जाए, पड़ोसी से टेम्पों हटाने की बात की तो काफी लड़ाई झगड़ा हुआ, पुलिस थाना तक हो गया, पड़ोसी की पत्नी ने इन्हें बहुत भद्दी-भद्दी गालियाँ भी दी। इन्होंने इस दुष्ट से परेशान होकर इस समस्या का निश्चित निदान का मार्ग बारम्बार पूछने लगे, कौन सा अनुष्ठान इसके लिए कर दूं, मैने इन्हें सुझाव दिया करते रहो - करते रहो माँ की सेवा इसी भाँति करते रहो। जब शत्रु, कुछ करेगा-तभी तो मरेगा। अब माँ से मात्र एक ही प्रार्थना करना ‘‘माँ मुझे इस शत्रु से बचाओ, बस और कोई विशेष अनुष्ठान कर अपने प्रारब्ध को नहीं बिगाड़े। मेरे निर्देशानुसार बीज मंत्र का एक हजार जप कर माँ से उपरोक्त प्रार्थना करना प्रारम्भ किया, एक सप्ताह बाद ही उस दुष्ट पड़ोसी पर माँ की तिरछी दृष्टि घूमने लगी, जिस पड़ोसिन ने मुझे भद्दी-भद्दी गालियाँ दी थी गम्भीर रूप से बीमार होकर अस्पताल में कुछ दिन भर्ती रही, जहाँ डाक्टरों ने जबाव दे दिया, इसे किसी बड़े अस्पताल में ले जाए, उसके लड़के को आंख से दिखना बन्द हो गया है, अभी तक काफी रूपया खर्च कर चुके हैं, कोई लाभ नहीं हो रहा है आँख से कुछ दिखता ही नहीं डाक्टर जोक की भाँति इनकी दौलत का नशा नित्य चूस रहे हैं और झगड़े का प्रमुख कारण जो टेम्पो था, उसका भयानक एक्सीडेन्ट हो गया, जिसमें वह एकदम चकनाचूर हो गया है। अब मैं यह सोचने पर विवश हूँ कि गुरूजी जो कहते हैं ‘‘करते रहो-करते रहो’’ यही महामन्त्र है।

जय विन्द यादव ने बतलाया उनके शत्रु काफी तीव्र है अतः मुझे घर छोड़ कर इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। गुरू आदेशानुसार माँ पीताम्बरा के बीज मंत्र का अनुष्ठान पूर्ण क्रिया, गुरूदेव से सम्पर्क किया अब कौन सा अनुष्ठान करू इन्होंने इसे ही ‘‘करते रहो ’’ का निर्देश दिया व हवन में विशेष सामग्री का प्राविधान बतालाया-हल्दी, मालकांगनी, सुनहरी हरताल से हवन के बाद, काली मिच्र का पाउडर$सरसों का तेल$शराब आपस में मिला कर एक सो आठ आहुतियाँ दी गई, हवन में प्रत्येक एक सौ आहुतियों के बाद एक मछली दी गई (मछली छील कर, पेट साफ कर शराब में डुबो कर आहुति दी गई) इस क्रिया के बाद उस तीव्र शत्रु को माँ का दंड भोगना ही पड़ गया जा बहुत ही भयानक था तथा अन्य चारों को दर-दस वर्ष की सजा हो गई व जेल जाना पड़ गया। यह था ‘‘करते रहो-करते रहो’’ महामन्त्र का परिणाम (नोट : अपने गुरू की अनुमति से ही विशेष हवन करें, वर्ना परिणाम दुखद भी हो सकते हैं।)

हमारे द्वितीय सद्गुरू महाराज योगेश्वरा नन्द जी भी हमसे निरन्तर एक के बाद एक अनुष्ठान पूर्ण करवाते रहे। एक अनुष्ठान पूर्ण होने पर पुनः दूसरे अनुष्ठान के लिए प्रेरित करते रहे जो उनकी ही कृपा से पूर्ण होते रहे, हमें स्वयं ही आश्चय होता है, मैं यह सब कैसे निर्विघ्न पूर्ण करता रहा। मेरा अब यह मानना है यदि सद्गुरू स्वयं सक्षम है तो उसकी शक्तियों का सम्भल लेकर शिष्य निर्विघ्न आगे का मार्ग स्वयं प्रसस्त्र कर लेता है, मेरे गुरूदेव महाराज योगेश्वरा नन्द जी का कहना है - पुएचरण होने तथा माँ की कृपा प्राप्त होने पर भी साधक को अपनी साधना की साघ्य से जोड़ने वाली डोर (परम्परा) को कभी शिथिल नहीं होने देना चाहिए-यही उच्च कोटि की साधना का गूढ़ रहस्य है।    




डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434
लखनऊ यू0पी0

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Friday 29 November 2019

माँ बगुलामुखी अनुभूति तन्त्र की सुखद अनुभूतियाँ

    यह तो महाभारत के समय सिद्ध हो गया कि विश्व की सारी शक्तियाँ मिल कर भी माँ बगलामुखी की बराबरी नहीं कर सकती। कई जन्मों के पुण्य प्रभाव से ही माँ की साधना करने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

जयपुर, राजस्थान से हमारे शिष्य गिरराज सोनी ने बतलाया कि एक प्रेतनी जो पिछले तीन वर्षों से घर में छुपी रही, कपूर क्रिया में भी वह पकड़ में नहीं आई, मूल मंत्र के अनुष्ठान में भी नही आई मेरा कारोबार भी न के बराबर कर दिया, अपने गुरू आदेशानुसार पुनः माँ बगला के बीज मंत्र का अनुष्ठान किया वह मेरे पुत्र वधु के सर पर आ गई, पहले तो काफी अकड़ दिखाई परन्तु माँ ने उसका हृदय परिवर्तन कर दिया और उसने सविस्तार पिछले तीन वर्षों का पूरा घटना चक्र बतलाया, अन्त में माँ ने उसे प्रेत योनि से मुक्त कर दिया।

बाम्बे से हमारे शिष्य पुरूषोत्तम ने बतलाया उनकी माँ पिछले दस वर्षों से एकादशी से आमवस्या तक पागलों की स्थिति में रहती थी काफी इलाज कराया, कई तांत्रिकों के भी चक्कर लगाए परन्तु ठीक नहीं हुई। गुरूद्वारा प्रदत्त पलटवार मंत्र को अपने मूलमंत्र से सम्पुटित कर 108 बार, राई$सरसों$खड़ा नमक$कपूर को अभिमंत्रित कर दिया और बता दिया जब भी पागलों जैसी स्थिति आए उपरोक्त अभिमंत्रित सामग्री सर से तीन बार उतार कर जला दें। तीन दिन ही यह क्रिया करने से मेरी माँ एकदम स्वस्थय हो गई, अब उन्हें कोई पागलपन के दौरे नहीं पड़ रहे हैं। मैं अपने गुरूदेव को धन्यवाद दे रहा हूँ, जिन्होंने इतनी सस्ती व लाभदायक क्रिया बता दी।

बुलन्दशहर से मेरे शिष्य सत्यवरी सिंह ने अपने अनुभव में पाया वास्तव में माँ की कृपा अद्भुत होती है एक मरीज जो काफी समय से बीामर था व अच्छे हास्पिटल में इलाज चल रहा था परन्तु कोई लाभ नहीं हो रहा था। फोन पर मुझसे बात हुई, मैने उसे किसी अच्छे तान्त्रिक को दिखाने को कहा, दूसरे ही दिन उसने पास के ही किसी तांत्रिक को दिखलाया, तांन्त्रिक ने उस पर काली का घराव भेट देकर भेजा हुआ बतलाया, साथ ही टोने भी निकाले परन्तु मरीज को आराम नहीं मिला, कुछ दिन बाद पुनः फोन से उन्होंने हमसे सम्पर्क किया, मरीज की माता जी ने बतलाया कोई आराम नहीं है, मैने उन्हेें पुनः कसी अच्छे तान्त्रिक को दिखाने की सलाह दी। दूसरे तान्त्रिक ने भी काली का घराव बतलाया व एक हजार रूपये भी ले लिए कुछ कार्यवाही भी की परन्तु परिणाम शून्य ही रहा स्थिति पहले की ही तरह बनी रही थोड़ी सी मात्रा में राई$सरसों$नमक की डली$कपूर, एक मुट्ठी में बन्द कर मरीज के ऊपर इक्कीस बार एन्टी क्लोक वाईज उतारने को कहा और मैं माता के मूल मंत्र से सम्पुटित गुरू प्रदत्त पलटवार मंत्र पढ़ता रहा फिर मैंने उस मुट्ठी वाले सामान को जलती आग में डालने को कहा तथा पुनः उस मरीज की कपूर क्रिया कर दी, यह क्रिया करने के बाद उस मरीज से बात हुई तो उसने बताया अब स्वास्थ्य महसूस कर रहा हूँ, मुझे भूख लग रही है, मैं कुछ खाना चाहता हूँ तब मैने उसकी माता जी से उसे कुछ दलिया खिलाने को कहा, उसने भर पेट खाया।
लगभग दो माह से कुछ भी खाने के बाद उल्टी हो जाती थी, सारा शरीर सूख गया था, अब खाने के बाद उल्टी नहीं हो रही है मात्र दो ही दिन में 80 प्रतिशत आराम मिल गया।

दिल्ली से अभिमन्यु सिंह ने बतलाया मेरा व मेरे परिवार के ऊपर घर के ही लोगों द्वारा अभिचारिक कर्म करवा दिया गया है, मेरी पढ़ाई बर्बाद हो गयी, मैंने आप के ब्लाग से बगलामुखी कवच पढ़ना शुरू किया, लेकिन बुरी शक्तियों रात में मेरा गला दबाने लगती है, साथ ही मेरे परिवार को भी परेशान करेन लगती है, अतः पाठ छोड़ना पड़ता है। बगलामुखी कवच के चालीस पाठ करने के बाद मुझे अद्भुत लाभ दिखने लगा था। जब मैंने आके आदेशानुसार शतनाम के पाठ करना प्रारम्भ  उसी रात मेेरी तबियत बहुत खराब हो गई, मुझे रात में शक्तियों ने बहुत दबाया लेकिन दूसरा कोई रास्ता नहीं था। अतः दूसरे दिन भी मैने सो पाठ के बाद भी कोई लाभ न हुआ, दो सौ पाठ पर भी कुछ नहीं हुआ, मेरी तबियत खराब होने लगी, पेशाब में जलन होने लगी, चार सौ पाठ के बाद बुरी शक्तियों ने पापा के ऊपर अटैक कर दिया, डर लगने लगा, बुरी शक्तियों के कारण मैं डिप्रेशन में जाने लगा, अब कुछ नहीं हो सकता परन्तु फिर भी मैंने सौ पाठ पुनः कर दिए तबियत खराब हेाते ही पचास पाठ कर देता, हम लोगों के शरीर पर कोई कीड़ा ऐसा रेंगता अनुभव होता, आठ सौ पाठों के बाद शान्ती आ गई, एक हजार पाठ के बाद 80 प्रतिशत तंत्र समाप्त हो गया, पहले हमें विश्वास नहीं था, लेकिन अब हो गया है, शतनाम हवन के बाद और राहत हो गई है। हवन के दौरान एक बुरी शक्ति जो मेरा पेट दर्द बनाती थी, वह नष्ट हो गई, जिससे मेरा पेट दर्द समाप्त हो गया है। शतनाम के एक हजार छह सौ पाठ कर लिए हैं। सुबह 3 से 5 बजे सौ पाठ करेन के बाद एक बुरी शक्ति नष्ट हो जाती है।

नई दिल्ली से मेरे शिष्य चन्दन पांडे ने अपनी अनुभूति में पाया मेरी पत्नी एक लम्बे अन्तराल से कष्टों से घिरी थी, अतः वह अत्यधिक चिड़-चिड़े स्वभाव को धारण कर चुकी थी, जिससे मेरा जीवन हताशा के पलों से भरपूर हो चुका था, कभी-कभी मैं सोचता क्या मेरे जीवन में सुख नहीं है, बच्चे भी बीमार रहते तभी हमें सद्गुरू की कृपा क्या मिली मेरा जीवन ही बदल गया, मेरी पत्नी की कपूर क्रिया की गई, कई प्रेतों को नष्ट किया गया तभी से वह रोग मुक्त हो गई, मातारानी ने उसका स्वभाव ही बदल दिया अब वह घर के प्रत्येक कार्य को बड़ी कुशलता के साथ सम्पन्न करती है, बीमारी तो ऐसे भाग गई मानो कभी बीमार ही न थी, बच्चे भी अब स्वस्थ हैं।

माँ बगलामुखी अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं, यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाय तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परमपद् की प्राप्ति हो सकती है।





माँ बगलामुखी की सदैव ही जय-जय कार।

डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434
लखनऊ यू0पी0

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Thursday 31 October 2019

माँ बगलामुखी की महिमा बड़ी अनोखी होती है

एक कन्या जो माँ की साधना करना चाहती थी, नेट के माध्यम से मेरे सम्पर्क में आई, उसे मैने बगला शतनाम के एक हजार पाठ करने का निर्देश दिया, इधर उस कन्या सोनम श्रीवास्तव का विवाह सीतापुर में स्थिति आकाश श्रीवास्तव के साथ मय हुआ वर इक्क्षा व सगाई के दो प्रोग्राम भी सम्पन्न हो गए। कन्या सोनम ने एक सौ पाठ प्रतिदिन करना प्रारम्भ कर दिया, अभी पाठ करते तीसरा ही दिन हुआ कि सोनम के जीजा को बड़ी उल्झन होने लगी कि इस उधेड़-बुन में दो दिन और व्यतीत हो गए अब उनके जीजा से न रहा गया उन्होंने अपने मन की बात लड़की से साझा किया, जिससे वह भी परेशान हो गई क्योंकि मेरी साली को यह भलीभांती पता है मैं जो भी बात करता हूँ अन्त में सत्य ही उतरती है, वह लज्जावश यह बात अपने पिता से नहीं कह पा रही थी, क्यों कि उसके पास भी कोई प्रमाण नहीं था, अतः उसने हमसे ही पूछा इस समस्या का क्या निदान हो सकता है, मैंने कहा जो शतनाम का पाठ कर रही हो उसमें ही माँ के सामने अपनी भावनाओं को सामने रख कर उनसे ही इस समस्या से निकालने हेतु प्रार्थना करें। प्रार्थना में बड़ी शक्ति होती है माँ ने उसकी प्रार्थना पर द्रुति गति से कार्यवाही प्रारम्भ कर दी, घटना चक्र तेजी से चलने लगा, हुआ यो कि मैं नेट पर बैठा था, कि एकाएक मेरे मन में विचार आया कि इस लड़के के बारे में देखू। अतः जिस बैंक में कथित तौर से नौकरी कर रहा था, उसे नेट पर टटोलना प्रारम्भ किया और हमें तब आश्चर्य हुआ कि लड़के के द्वारा बताए बैंक की कोई शाखा वहाँ थी ही नहीं, तब मैने साली से कहा कि वह लड़के से बैंक की लोकेशन मांगे, ऐसा कहने पर लड़के ने साली को गोल-मोल जवाब देने लगा, जिससे लड़की को भी शक हो गया, उसने यह बात अपने पापा व भाई को बतलाई अतः उन लोगों द्वारा छान-बीन करने पर सब झूठ ही निकला, लड़का कुछ नहीं करता था, केवल जाल साजी कार्य अच्छे रौबदार कपड़े पहन कर करता, साथ ही शराब नित्य पीना उसका शौक था, अतः यह शादी तोड़ दी गई। शतनाम के तीन दिनों के पाठ के पश्चात ही माता रानी ने उस निर्दोष बालिका के जीवन को अन्धकार में जाने से बचा लिया, माता रानी की सदा ही जयकार। यह सत्य घटना चक्र हमारे शिष्य के द्वारा हमे भेजी गई है। माँ बगलामुखी उनका भी कल्याण करें।

अनोखी है माँ तेरी महिमा कहाँ तक तेरा गुणगाऊँ, बेसहारों का सहारा, जिसने भी तुम्हे जान लिया पहचान लिया वह सदा ही तुम्हारे चरणों का दास बन गया। तेलंगाना से एक पंडित जी है, जिनकी सारी तन्त्र विद्या को किसी ने बाधँ दिया, वे जो भी कार्य करते वह पूरे होते ही नहं थे अतः धीरे-धीरे इनके सारे यजमान इनसे दूर हो गए, अब रोटी-रोजी की विशाल समस्या इनके आगे आ खड़ी हुई, अपने तंत्र पर लगे बंधन कटवाने के लिए बहुत तांत्रिकों के चक्कर लगाये, कहीं सफलता प्राप्त नहीं हुई, नेट के माध्यम से baglatd.com पर माँ बगलामुखी अनुभूति तंत्र पढ़ कर वे अपने को रोक न सके रात्रि एक बजे इन्होने हमसे फोन से सम्पर्क किया व अपनी दयनीय स्थिति से हमे अवगत कराया, तभी एकाएक मेरे मन में विचार आया कि इसको अभी दीक्षा दे दो, अतः फोन पर ही कुछ शक्ति उनको प्रेषित कर कहा तुरन्त बिना समय गवाए अभी इसी समय बैठ कर विपरीत शतनाम का एक हजार पाठ का संकल्प लेकन पाठ प्रारम्भ कर दो, सूर्य निकलने से पूर्व जितने पाठ कर सको कर ले, बाकी कल शाम बाते होगी। दूसरे दिन पंड़ित जी ने बताया एक सौ पाठ रात में कर लिए थे, मै समझ गया इसके सारे बन्धन माता रानी खोल देगी और एैसा ही हुआ तीसरे दिन पंड़ित जी का स्वर काफी प्रसन्न लग रहा था, उन्होने बताया दूसरे ही दिन चार यजमान आये, सबकी समस्या बड़ी तीव्र थी, मेरा मन घबड़ा रहा था, कार्य कैसे होगा शक्ति तो मेरे पास है नही, और लौटा भी नही सकता क्यो कि पैसो की हमे बहुत आवश्यकता थी, घर में खाने को कुछ था नही अतः मैने सोचा गुरूदेव का ही सहारा लिया जाय, मन ही मन गुरूदेव को प्रणाम कर कहा मेरी लाज आपके हाथो में है भूखे मरने की नौबत आ गई अतः बिना शक्ति रहते भी आपके सहारे यजमानो से पैसा ले रहा हूॅ गुरूदेव माँ से कह दे ये चारों यजमान ठीक हो जाए यही मेरा मंत्र था इसे गुनगुना कर पढ़ कर कुछ चावलों पर फूक कर उन्हे खिला दिया कुछ चावलो को ताबीज में भर कर दे दिया। अच्छा पैसा मिला घर का राशन पिसान आया, परन्तु मेरे मन में एक बात खटक रही थी, कोई मंत्र नहीं केवल गुरू पर और वह भी शीघ्र ही बने गुरू पर इतना भरोसा की कार्य हो जाएगा, कैसे होगा यह तो मै नही जानता परन्तु हमे लगता है गुरू के माध्यम से मेरी बात माँ तक पहुच जाएगी, इसी उधेड़ बुन में दूसरा दिन व्यतीत हो गया मैने मौन धारण कर लिया, किसी से बोलता ही नही था, माता रानी माँ बगलामुखी ने चमत्कार कर दिया वे चारो यजमान एकदम ठीक हो गए, उनकी सारी परेशानी दूर हो गई। इस प्रकार हम देखते है माँ का चक्र जब चलता है तो अत्याधिक तीव्रता से चलता है जिसमें ’’इफ बट नो‘‘ कुछ भी नही आता।
माँ बगलामुखी की सदा ही जय जयकार।

    अरूण कुमार निषाद, फत्तेहगढ़ ने हमे बतलाया पिछले पाँच वर्षो से वे साधना कर रहे है, परन्तु कोई भी अनुष्ठान पूरे हो ही नही पाते, बीच में कोई न कोई एैसा तीव्र व्यवधान आ जाते है कि अनुष्ठान खंडित हो जाते है, अनुष्ठान बन्द करना पड़ जाता है, कोई तीव्र तान्त्रिक प्रयोग मेरे घर पर किया गया है कि वंश ही न चले, मेरे तीन भाई है तीनों भाई की पत्नियाँ विवाह के चार-पाँच माह बाद ही अपने मैके चली गई व अलग रहने का मुकदमा भी चला देती है अब बचा मै, डर के मारे मै विवाह ही नहीं कर रही हूँ क्यों कि कोइ तान्त्रिक मेरे परिवार के पीछे पड़ा है, मेरा विवाह होगा और मुझे भी मुकदमें में फसना पड़ेगा अतः मैने निश्चय किसा है पहले इस तान्त्रिक बन्धन से अपने परिवार को मुक्त करू, गुरू निर्देशानुसार शतनाम का बड़ी मुश्किल से एक हजार पाठ पूरे किए, कल ही हवन पूरा किया, हवन के बाद से हालातों में जबरदस्त सुधार महसूस हो रहा हैं घर में नित्य होने वाला कलह एकदम शान्त हो गया है, हमसे घर में कोई ठाक से बात नही करता था, हवन के बाद से मै अनुभव कर रहा हूॅ सभी का मुझ से बोलने का तरीका एकदम बदल गया है मानो मै कोई वी0आई0पी0 गेस्ट हॅू। खाने में भी अच्छे नए पकवान खाने को मिल रहे है पहले जो लो ऐठ कर बाते करते थे अब उनकी भाषा भी मिठास भरी होने लगी है पीले कपड़े में लिपटे नारियल को जब खोला, वह चार खडो में टूट गया था, गुरू देव बताया तुम्हारे ऊपर जो तन्त्र प्रयोग था वह समाप्त हो गया है प्रमाण स्वरूप माँ ने नारियन के कई खंड कर दिए। बगला शतनाम की तीव्रता का मैने अनुभव कर लिया है। मेरी सभी साधको से अनुरोध है बगला शतनाम को हल्के में न ले, भाव से पाठ करे, माता रानी अवश्य कुछ न कुछ अच्छा रास्ता दे देती है।
माँ बगलामुखी की सदा ही जय जय कार।




नोट : शतनाम व विपरीत शतनाम पूर्व में दे चुके है।

डा0 तपेश्वारी दयाल सिंह
9839149434


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Sunday 1 September 2019

गुप्त शत्रुओं से बचाव कैसे करें

आज के परिवेश में हम देखतेहैं, गुप्त शत्रुओं द्वारा व्यक्ति भययुक्त हो कर परेशान हो रहा है, उसका लाभ पाखंडी तांत्रिकों द्वारा लगातार उठाया जा रहा है, शास्त्रोंमें इससे छुटकारे के लिए अनेकों उपाए भी दिए गए हैं, परन्तुउनकी क्रियाएं जटिलता से भरी होती हैं, जो साधारण व्यक्ति के लिए अत्यन्त कठिन होती हैं।हमारा सदैव प्रयास रहा है कि सुगमता पूर्वक जिसे आम व्यक्ति कर सके और विपदाओं से सुरक्षित रहे, माँ की बड़ी कृपा रहती है, वे ही हमें प्रेरणा देती है कि व्यक्ति को सुगम मार्ग पर चलना सिखलाएं।

हमारे एक शिष्य है उनके ऊपर नित्य कुछ न कुछ तांत्रिक प्रयोग विपक्षी गणों द्वारा किया ही जाता रहा है, अनेकों जपों का अनुष्ठान किया, कुछ दिन सब सामान्य रहता है, पुनः विपक्षी द्वारा तांत्रिक प्रयोग होता है और वे परेशानी के चक्रव्यूह में उलझ जाते हैं आखीर यह सब कब तक चलता रहेगा।वहीं हिमांचल से एक साधक ने बताया विलोम शतनाम के पहले दिन दस पाठ किए, दूसरे दिन तीस पाठ किए, चौथे दिन अभिचार करने वाले को इतनी घबराहट हुई कि उसने कहा देखो यदि कल जीवित रहता हूँ, तो मिलना होगा।वही सातारा महाराष्ट्र से विशाल ने बतलाया - पहले दिन सौ पाठ किए, दूसरे दिन सौ पाठ कर लेटा था कि ऐसा लगा मेरे हाथ-पैरों को किसी ने बाँध दिया हो, वे हिलडुल भी नहीं पार हे थे, साथ ही कान में तेज हंसी की आवाज आने लगी, तुरन्त मूलमंत्र का जप कर फूक मारी हाथ पैरों के बन्धन खुल ही नहीं गए अपितु हंसी की आवाज भी शान्त हो गई।
यह प्रयोग सभी साधक सुगमता पूर्वक कर सकते हैं।

सर्वप्रथम संकल्प लें-

संकल्प :-अज्ञात शत्रुओं द्वारा मेरे ऊपर जो अभिचारिक क्रियाएं की जा रही हैं हे माँ! पीताम्बरा उन सभी का स्तम्भन करने की कृपा करें और मेरे जीवन को मंगलमय बनाने की भी कृपा करें, इसके लिए मैं आप के बीजमंत्र से संयुक्त, विलोम शतनामका एक हजार पाठ करने का संकल्प ले रहा हूँ (जल गोले पर डाल दें)
 
ऊँ ह्लीं स्तम्भ रूपा देव्यैनमः।
ऊँ ह्लीं स्तम्भिनी देव्यैः नमः।
ऊँ ह्लीं दुष्टस्तम्भनकारिणी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भक्तप्रिया देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं महाभोग देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं श्रीविद्या देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं ललिताम्बिका देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं मैनापुत्री देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शिवानन्दा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं मातंग्ङी देव्यैन मः।
ऊँ ह्लीं भुगवेश्वरी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं नारसिंही देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं नरेन्द्रा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं नृपाराध्या देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं नरोत्तमा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं नागिनी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं नागपुत्री देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं नागराजसुता देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं उमा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं पीताम्बा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं पीतपुष्पा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं पीतवस्त्रप्रिया देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शुभा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं पीतगंधप्रिया देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं रामा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं पीतरत्नार्चिता देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शिवा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं अर्द्धचन्द्रधरीदेवी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं गदामुद्गरधारिणी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं सावित्री देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं त्रिपदा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शुद्धा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं सद्योरागविवर्धिनी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं विष्णुरूपा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं जगन्मोहा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं ब्रम्हरूपा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं हरिप्रिया देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं रूद्ररूपा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं रूद्रशक्तिश्चिन्मयी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भक्तवत्सला देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं लोकमाता देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शिवा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं सन्ध्या देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शिवपूजनतत्परा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं धनाध्यक्षा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं धनेशी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं धर्मदा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं धनदा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं धना देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं चण्डदर्पहरीदेवी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शुम्भासुर-निवर्हिणी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं ब्रम्हानन्दप्रदायिनी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं माताश्रीबगलामुखी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं चिच्छक्तिर्ज्ञानरूपा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं ब्रम्हानन्दप्रादायिनी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं महाविद्या देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं महालक्ष्मी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं श्रीमती त्रिपुरसुन्दरी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भुवनेशी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं जगन्माता देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं पार्वती देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं सर्वमंङगला देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं ललिता देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भैरवी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शान्ता देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं अन्नपूर्णा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं कुलेश्वरी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं वाराही देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं छिन्नमस्ता देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं तारा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं काली देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं सरस्वती देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं जगत्पूज्या देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं महामाया देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं कामेशी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भगमालिनी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं दक्षपुत्री देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शिवांकस्था देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शिवरूपा देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं शिवप्रिया देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं सर्वसम्पतकरीदेवी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं सर्वलोकवंशकरी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं वेदविद्या देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं महापूज्या देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भक्ताद्वेषीभयंकरी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं राजराजेश्वरीदेवी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं महिषासुर-मर्दिनीदेव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं मधुकैटभहन्त्री देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं रक्तबीज-विनाशिनी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं धूम्राक्षदैत्यहन्त्री देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भण्डासुरविनासीनी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं रेणुपुत्री देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं महामाया देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भ्रामरी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भ्रमराम्बिका देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं ज्वालामुखी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भद्रकाली देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं बगलाशत्रुनाशिनी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं इन्द्राणी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं इन्द्रपूज्या देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं गुह्य माता देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं गुणेश्वरी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं ब्रजपाशधरादेवी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं जिह्वामुद्गरधारिणी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं भक्तानंदकरीदेवी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं बगला देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं परमेश्वरी देव्यै नमः।
ऊँ ह्लीं देव्यै नमः।

यह एक पाठ हुआ, एक हजार पाठ के उपरान्त, दस पाठ से हवन कर दें, फिर देखें माँ का चमत्कार, विपक्षी लोगों पर माँ का चक्र तीव्र गति से चलता है कि उन्हें रोते नहीं बनता।

हवनसामग्री :- मूलमंत्र वाली होगी।




हवनमंत्र -नमः शब्द हटा कर, स्वाहा लगाकर आहुति दें, जैसे ऊँ ह्लीं स्तम्भरूपा देव्यै स्वाहा।

डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434
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Friday 5 July 2019

शत्रु को दण्ड देना

यदि आप निरपराधी हैं और शत्रु आप पर लगातार तंत्र का दुरूपयोग कर आप को परेशान कर रहा है, तब माँ के दंड विधान प्रयोग करने में विलम्ब न करें, जब तक दुष्ट  को उसकी दुष्टता का दंड नहीं मिल जाता, वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करता ही रहता है। अपने गुरु से आज्ञा लेकर दंड विधान को प्रारम्भ कर दें, शीघ्र ही दुष्ट के किए हुए कर्मों की सजा माँ स्वयं दे देती है। मै एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूँ, जिसका पूरा जीवन ही संघर्ष में निकल गया फिर भी वह परेशान था जब किसी भी मंत्र के प्रयोग से सफलता न मिल पा रही हो, तब ग्रामीण आंचल में प्रचलित माँ पीताम्बरा के शाबर मंत्र का प्रयोग करें- सुखद परिणाम मिलता है। प्रयोग से पूर्व शावर पद्यति से इसे जाग्रत कर लेते हैं अर्थात होली, दीपावली व ग्रहण काल में एक हजार जप कर इसे जाग्रत कर लेते हैं।

प्रयोग विधि- मंत्र प्रयोग से पूर्व कन्या पूजन करते हैं किसी जमादार, भंगी की कन्या(जिसका मासिक न प्रारम्भ हुआ हो) का पूजन करते हैं, एक दिन पूर्व जाकर कन्या की माँ से उसे नहला कर लाने को कहे फिर नए वस्त्र (चड्ढी व फराक) पीले हो तो अति उत्तम, पहना कर, चुनरी ओढ़ा कर ऊँचे स्थान (पीढ़ा या कुर्सी) पर बैठा कर, खुद उसके नीचे बैठे व हृदय में भावना करे कि मैं माँ का श्रिंगार व पूजन कर रहा हूँ, इस क्रिया में भाव ही प्रधान होता है, अब उसके पैरों पर जल धीरे-धीरे डालते हुए मन में भावना करे मैं माँ के पैरों को अच्छे से साफ कर रहा हूँ फिर उसे तौलिए से पोछ कर, नई चप्पल पहनाए तथा पीला भोग (छेने की रसमलाई या बर्फी पीली) अपने हाथ से खिलाए व उसे ध्यान से देखे कभी-कभी कन्या का पैर या चेहरा पीले रंग में दिखने लगता है। भोग लगाने के बाद उसे कुछ देर बैठा रहने दें व स्वयं मन ही मन प्रार्थना करें

‘‘हे माँ हमें शत्रुओं ने बहुत पीड़ित कर रखा है, हम पर कृपाा करें उन शत्रुओं से हमारी रक्षा करे व उन्हें दंड दे‘‘

फिर कन्या के हाथ में यथा शक्ति दक्षिणा रख कर उससे आशीर्वाद लेकर रात्रि में इस मंत्र का एक सौ आठ बार जप कर पुनः शत्रु को दंड देने हेतु प्रार्थना कर दे। सात दिन लगातार इस प्रयोग से माँ पीताम्बरा शत्रु को मृत्यु तुल्य दंड देती है, जैसा मैंने देखा है।

इस मंत्र का प्रयोग आजमाने हेतु या निरपराधी व्यक्ति पर भूल कर न करें नहीं तो दुष्परिणाम भोगने ही पड़ जाता है।

मंत्र -‘‘जय जय बगला महारानी, अगम निगम की तुम्हीं बखानी, संकट में घिरा दास तुम्हारो, अमुक (अपना नाम दें) दास को तुरत उबारो, बैरी का बल छिन लो सारो, निर्दयी दुष्टों को तुम्हीं संघारो, जिव्हा खिंच लो शत्रु की सारी, बोल सके न बिच सभारी तुम मातु मैं दास तुम्हारा, आन हरो मम संकट सारा, दुहाई कामरूप कामाख्या माई की।‘‘



सदैव याद रखें, गलत कार्यों से अपना प्रारब्ध बिगड़ जाता है, जिसे भोगना पड़ता है।



[लखनऊ से, एक पुत्री उम्र 12 वर्ष,सर दर्द से कराह रही थी और ल्युकोरिया से पीड़ित थी। कपूर क्रिया में इतनी त्रीवता से नकारात्मक ऊर्जा को झाड़ू लगाकर दूर किया गया,इतनी त्रीवता से आप घर में झाड़ू नहीं लगा सकते हैं,लौ का तेजी से कट कट कर जलना नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होने का संकेत दे रहा है और क्रिया के अन्त में उस दुष्ट प्रेत आत्मा को नष्ट कर दिया गया है। सरदर्द तुरन्त ठीक हो गया दूसरे दिन ल्युकोरिया भी ठीक हो गया।
नित जाप करें जो पांच हजार विजय पावे बहु बारम्बार बगलामुखी की जय जय कार। आप भी निःशुल्क जानकारी ले कर, परिश्रम कर यह क्रिया कर सकते हैं। सबके कष्ट दूर हो, यही कामना है मेरी।]

डाॅ0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

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Wednesday 29 May 2019

दुष्ट तांत्रिक बन्धन से कैसे छुटकारा मिले

    हम अपने चारो ओर लगातार देख रहे हैं, दुष्ट तांत्रिकों द्वारा व्यक्ति के ऊपर तांत्रिक कार्यवाही कर उसके जीवन की प्रगति ही रोक दी जाती है, जिसका जीवन्त प्रमाण मैं स्वयं भी हूँ, और मैं एक बालक को जानता हूँ जो बचपन से ही काफी होनहार था, पढ़ने में भी उसका मस्तिष्क काफी तेज था, उसके सगे रिस्तेदार ने जलन वश उस पर तांत्रिक कार्यवाही कर उसका जीवन ही चौपट कर दिया, पढ़ाई में मन नही नहीं लगता। हमारे अधिकांश शिष्यों के जीवन में कोई न कोई दुष्ट शक्तियों द्वारा ही पीड़ित है। अब माँ बगलामुखी ने अनुपम कृपा कर कपूर क्रिया जैसा अस्त्र उपलब्ध करा दिया है, जिससे मेरा कार्य अत्यन्त सुगम हो गया है, अधिकांश लोगों में की गई तांत्रिक कारवाइयों को कपूर क्रिया में रंगों के माध्यम से सांकेतिक उत्तर मिल जाता है, बहुत से प्रेतों से भी छुटकारा मिल जाता है। तांत्रिक बंधन से मुक्ति हेतु सुगम उपाय कपूर क्रिया ही है।

एक दृष्टांत देखें - बात 2010 की है तब से आज तक एक परिवार लगातार इन क्रियाओं के कारण काफी परेशान चल रहा था, उनके वहाँ आर्थिक, शारीरिक व आपसी कलह का वातावरण बना हुआ था, भाई-भाई में विवाद हुआ, बड़ा भाई घर छोड़ कर कहीं भाग गया, उनके पिता की भी अकाल मौत हो गई वे जिस भी तांत्रिक को दिखाते सब यही कहते यह सब तुम्हारे नसीब का खेल है, कुछ कहते तुम्हारा प्रारब्ध ही गड़बड़ है। इस केस में मैं सूक्ष्मता से विचार करने लगा, परन्तु कुछ समझ में नहीं आया, उनकी कपूर क्रिया में माँ बगलामुखी की कृपा का द्योतक पीले रंग का रिंग आ रहा था साथ ही उसमें नीला गोला जो गुलाबी गोले के पीछे लगातार सारी कपूर क्रियाओं में आ रहा था, स्पष्ट था कुछ तो गड़बड़ है वह कोई शक्तिशाली शक्ति है, जो नष्ट नहीं हो रही है अतः साधक की शक्ति को और तीव्र करने हेतु उसे निर्देश दिया 10+1 फार्मूले के साथ में पीताम्बरा को मछली का भोग व शराब भी नित्य दो, ऐसा करते अभी सात ही दिन हुए थे कि जप करते हुए उनकी एकाएक आंखे बन्द हो गई और स्पष्ट आवाज आ रही थी, गुलाबी गोले में ब्रह्मराक्षस है और इसके पीछे नीले रंग में जिनन है जो बहुत शक्तिशाली है जिसे धूमावती का संरक्षण देकर एक धूमावती के साधक ने तुम्हारे वहाँ भेजा है, तभी स्वर में कठोरता आ गई लगता था माँ गुस्से में है कहने लगी-धूमावती को रविवार को पकौड़े देर उनसे कहो अब आप अपने लोक में जाए वर्ना मैं उनका सम्मान करना छोड़कर इन्हें मार दूंगी, ऐसा धूमावती से बोल देना, मैंने कहा है। मैंने ऐसा ही किया फिर कपूर क्रिया की जिसमें वे दोनों गुलाबी व नीले गोले के रंग में परिवर्तन होने लगा, जो क्रमशः धूमिल होने लगे, तभी एक बिल्डर से मेरी जमीन का सौदा हेने लगा, उसने कोर्ट में रजिस्टर्ड सौदा कर दिया वह हमें फ्लैट बना कर देगा इस प्रकार हम देखते हैं तांत्रिक बन्धन से मुक्ति हेतु कपूर क्रिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

केवल मेरे सारे शिष्य व अन्य वामाचारी पद्धति से दीक्षित साधकों के लिए जो माँ बगलामुखी को अति तीव्र प्रसन्न करना चाहते हैं को एक गुप्त विधान देता हूँ - कृष्ण पक्ष की अष्टमी, चैदस व अमावस्या की रात्रि 10 से 2 बजे के बीच, माँ बगलामुखी को तली या भुनी मछली के भोग के साथ ही शराब देकर माँ से निवेदन करें, माँ आप की प्रसन्नता हेतु मैं आप को मछली का भोग व शराब भी दे रहा हूँ, जिसे ग्रहण करने की कृपा करें और हम पर प्रसन्न होने की कृपा करें। यह विशेष भोग देकर माँ से और कुछ न मांगे चाहे कितने ही कष्ट में हों, मात्र उनकी प्रसन्नता हेतु ही निवेदन करें दो या तीन माह तक ऐसा ही करते रहें। परिणाम निश्चित ही सुखद प्राप्त होता है यह मेरा स्व अनुभूति है। यदि इन्हीं तिथियों में उन्हीं के उपरोक्त समय पर हवन भी कर दे तो अतिउत्तम रहेगा। हवन में पिसी हल्दी, मालकांगनी, सुनहरी हरताल, गुगल, सेंधा नमक, सरसों के तेल में सान कर, साबुत लाल मिचै मिला कर मूलमंत्र से हवन कर, शराब से उसी हवन कुंड में तर्पण एक माले का कर अपने ऊपर दस बार शराब से मार्जन कर, कुछ देर आँख बन्द कर वहीं बैंठे रहें, हो सकता है। माँ स्वयं ही कुछ दिशा-निर्देश दें, ऐसा लगातार अभ्यास से दिशा-निर्देश मिलने लगता है





एक दृष्टांत देखें मेरी एक शिष्य ब्राह्मण है, उसे मैंने मछली का भोग बताया, उसे हमसे कहा मैं ब्राह्मण हूँ शराब मांस वगैरह हम कैसे दे सकते हैं, मैंने कहा बताने का कार्य मेरा था मैंने बता दिया, अब तुम दो या न दो यह तुम्हारे ऊपर है, दूसरे दिन उसने हवन कर तर्पण व मार्जन शराब से कर आँख बन्द कर बैठी थी, उसने स्पष्ट देखा, एक सफेद कागज जिस पर बड़ी सी मछली बनी है उसके नीचे लिखा है मछली भोग में दे, साथ ही शराब दें। इस प्रकार उसे दिशा-निर्देश मिला यह कार्यक्रम करने के बाद, माँ की अंग विद्या ‘‘पक्षी राज के मूल मंत्र’’ को माँ के मूल मंत्र से सम्पुटित कर एक माला जप कर माँ से कहे जो भी मेरे ऊपर नकारात्मक शक्ति है उसे कपूर में खींच कर जलाने की कृपा करें कह कर कपूर जला कर उसका वीडियो बना लें, उसमें स्पष्ट संकेत दिखेगा, उपरोक्त सारी क्रियाओं को करने से पूर्व अपने गुरू से अनुमति अवश्य ले लें, क्यों कि यह तीव्र प्रयोग है, थोड़ी सी त्रुटि भी भयानक दुष्परिणाम दे सकती है।

पक्षीराज मूलमंत्र :-
ऊँ खें खाँ एवं फट् प्राण ग्रहासि प्राण ग्रहासि हुं फट् 
सर्व शत्रु, संहरणाय शरभ शालुवाय पक्षि राजाय हुं फट् स्वाहा 

नोट :-
1. रौद्री का ही एक रूप पक्षीराज है।
2. कृत्या निवारण का यह सर्वोत्कृष्ट साधन है।
3. यह प्रयोग नृसिंह मन्दिर में न करें।
4. ब्रह्म गायत्री के साधक इसका अभ्यास न करें।


डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

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Saturday 20 April 2019

कपूर क्रिया का महत्व

कूपर क्रिया माँ बगलामुखी का वह अद्भुत अस्त्र है, जिसके प्रयोग से भूत-प्रेत तो शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं, साथ ही देवी प्रकोपों का भी स्पष्ट संकेत मिल जाता है, इस क्रिया में संकेतों के रूप में बहुत कुछ ज्ञान उपलब्ध हो जाता है, चुंकि कपूर में नकारात्मकता को तुरन्त अपने अन्दर समाहित करने की क्षमता होती है, अतः कपूर पर जब हम अपनी मंत्र शक्ति से नकारात्मक चीजों का आवाहन करते हैं, तो वह नकारात्मक चीजों का आवाहन करते है तो नकारात्मक जैसे भूत-प्रेत , नजर लगना, मंत्रों पर बन्धन लगना, टोना-टोटका सभी चीजों को खींच कर साधक के अनुरोध पर सभी को माँ नष्ट कर देती है।

दृष्टांत देखे - 
  • हमारी शिष्या रश्मि पांडे जिन को कई वर्षों से गुदा मार्ग में अजीत सी कुलबुलाहट व खुजली होती थी, काफी चिकित्सा भी कराई कोई लाभ नहीं मिला, परन्तु कपूर क्रिया करने पर एक प्रेत नष्ट हुआ व तुरन्त ही सारी परेशानियों से छुटकारा मिल गया,
  • वही हमारे शिष्य दिव्यांश ने बतलाया उनके कारखाने की कई मशीने बन्द पड़ी थी, रोजगार लगभग ठप्प हो गया था, लगातार कपूर क्रिया करते रहने से पूरा कांड समझ में आने लगा, कपूर क्रिया में रंगों के रुप में संकेत आते हैं इनकी प्रत्येक कपूर क्रिया में भैरव से सम्बन्धित रंग दिख रहा था, पूछने पर ज्ञात हुआ इनकी फैक्ट्री के अन्दर एक प्राचीन भैरव मंदिर है, परनतु वह वीरान ही रहता है, वहाँ कोई नहीं जाता केवल रविवार को ही दीपक व भोग रखा जाता था, कपूर क्रिया कर भैरव जी से प्रार्थना की कुछ स्पष्ट दिखाए, उसी रात उन्हें स्वप्न आया जैसे हमें कोई कह रहा था एक दिन खाना देते हो बाकी छह दिन हमें भूखा रखते हो, हमारे गण ही तुम्हारी सारी प्रगति खा लेते हैं यह निर्देश मिलते ही रोज उस मंदिर में भोग लगाए जाने के उपरान्त खड़ी मशीनों का काम मिलने से वे चालू कर दी गई, इस प्रकार हम देखते हैं कपूर क्रिया किसी भी समस्या के सामाधान हेतु अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है
  • हमारी शिष्या सुजाता जी को तो बहुत विचित्र अनुभव हुआ, उसे जान से मारने हेतु बहुत सारे तांत्रिक प्रयोग किए गए जो सारे इस कपूर क्रिया में आकर नष्ट होते गए यहाँ तक कि उसकी योनि मार्ग से अत्यधिक तीव्र कलबलाहट व खून का प्रवाह होने लगा, अस्पताल में दिखाया सब नार्मल निकला जो कपूर क्रिया के बाद बन्द हुआ, लगातार प्रतिदिन कपूर क्रिया की गई नितय एक या दो प्रेत आ आकर नष्ट होते गए।
  • लुधियाना से अजय सिंह का व्यापार ही चौपट हो गया था, कपूर क्रिया नित्य करते रहने से व्यापार पुनः पुरानी अवस्था की तरह चलने लगा, इनकी भी क्रिया में प्रेतों का भरामार देखने को मिला।
  • श्रद्धा शुक्ला की कपूर क्रिया में तो एक गंजा मोटा जिन्न आकर नष्ट हुआ जब जा कर इनका पैर ठीक हुआ।
  • मीनाक्षी बाम्बे से बताती हैं, जप से पूर्व कपूर क्रिया करती हूँ तभी जप कर पाती हूँ, नही तो जप में बहुत कठिनाई आती है।
  • लखनऊ से प्रेम शंकर शुक्ला पर कठोर तांत्रिक प्रयोग हुए विचार परेशान हो गए, जप समय वीर्य स्वतः निकलने लगता, कपूर क्रिया में नित्य एक-दो प्रेत नष्ट होने लगे अब वे निर्विघ्न जप पूरा कर रहे हैं।
  • रामपुर से मेरे शिष्य ने बतालाया वह काफी परेशान था, पत्नी से तलाक का मुकदमा चल रहा है, उसकी छोटी पुत्री को लेकर मायके चली गई व तलाक का मुकदमा मेरे ऊपर डाल दिया है साथ ही अनेकों तांत्रिको के सम्पर्क में आकर मेरे ऊपर अभिचारिक क्रियाए करवाती रहती है, जिससे मैं बहुत ही गम्भीर रुप से अद्ध विक्षिप्त अवस्था में हो गया था नेट पर मैं कुछ सर्च कर रहा था तभी baglatd.com मेरे सामने अचानक आ गया, मै बड़ा बैचेन रहता था अतः रात्रि में गुगल में अपनी समस्या के सामाधान हेतु कुछ न कुछ देखता रहता था, और अपने अराध्य से प्रार्थना भी किया करता था कि प्रभु हमें कोई गुरू उपलब्ध करा दें जो मुझे इस मुसीबत से निकाल दे, प्रभु ने मेरे मन की बात लगता है सुन ली और एक दिन मैं गुगल में बैठा था कि अचानक baglatd.com आ गया, जिज्ञासावश मैं उसे पढ़ता ही चला गया, ज्यों-ज्यों मैं एक के बाद एक पोस्ट पढ़ता रहा कि मेरे मन से आवाज आती रही यहाँ से मुझे मदद मिल सकती है अन्ततः सुबह चार बजे दिए हुए मोबाइल नम्बर पर फोन लगा दिया, कुछ देर बाद फोन उठा डरते-डरते मैंने अपनी सारी व्यथा उन्हें बता दी मुझे तब बड़ा अच्छा लगा कि गुरूजी ने कहा आ जाओ, माँ बड़ी दयालु है और आज मैं गुरू जी के वचनों में छुपी हुई सच्चाई का अनुभव व दश्रन कर रहा हूँ ऐसे सरल, निष्कपट स्वभाव वाले गुरू पिछले जन्म के अच्छे कर्म से ही मिलते हैं वर्ना आज चारों तरफ छद्मधारी गुरूओं की भरमार है। कपूर क्रिया में गुरूदेव ने अपने सारे शिष्यों को महारत सिद्धि करा दी है। मैं कभी स्वप्न में भी नहीं सोच सकता था कि दुष्ट तांत्रिक क्रियाओं को इतनी सरलता से नष्ट किया जा सकता है, जलते हुए कपूर में एक प्रेतात्मा जो काफी ताकतवर व चालक थी अपने चारों ओर सुरक्षा घेरा बना रखा था, किसी भी तांत्रिक को वह दिख ही नहीं सकती थी, यही मेरे साथ भी हु। जहाँ भी मैंने अपने को तांत्रिकों को दिखलाया वह उसे पकड़ ही न पाए परन्तु माँ बगलामुखी के सामने उस धूर्त दुष्ट प्रेत की एक न चली और घेरे के बाहर फेक कर नष्ट कर दिया जो वीडियों में स्पष्ट दिख रहा है।

    कपूर क्रिया: कपूर क्रिया में तान्त्रिक युद्ध



    कपूर क्रिया: ज्योति में माँ की प्रसन्नता 



    नवरात्रकालीन यज्ञ- सुल्तानपुर रोड स्थित मां मरी माता, मन्दिर में मां बगलामुखी का तान्त्रिक हवन शक्ति प्राप्त हेतु, नवरात्र 10-4-2019को सम्पन्न हुआ।



डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
मो0 : 9839149434

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