Friday 29 November 2019

माँ बगुलामुखी अनुभूति तन्त्र की सुखद अनुभूतियाँ

    यह तो महाभारत के समय सिद्ध हो गया कि विश्व की सारी शक्तियाँ मिल कर भी माँ बगलामुखी की बराबरी नहीं कर सकती। कई जन्मों के पुण्य प्रभाव से ही माँ की साधना करने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

जयपुर, राजस्थान से हमारे शिष्य गिरराज सोनी ने बतलाया कि एक प्रेतनी जो पिछले तीन वर्षों से घर में छुपी रही, कपूर क्रिया में भी वह पकड़ में नहीं आई, मूल मंत्र के अनुष्ठान में भी नही आई मेरा कारोबार भी न के बराबर कर दिया, अपने गुरू आदेशानुसार पुनः माँ बगला के बीज मंत्र का अनुष्ठान किया वह मेरे पुत्र वधु के सर पर आ गई, पहले तो काफी अकड़ दिखाई परन्तु माँ ने उसका हृदय परिवर्तन कर दिया और उसने सविस्तार पिछले तीन वर्षों का पूरा घटना चक्र बतलाया, अन्त में माँ ने उसे प्रेत योनि से मुक्त कर दिया।

बाम्बे से हमारे शिष्य पुरूषोत्तम ने बतलाया उनकी माँ पिछले दस वर्षों से एकादशी से आमवस्या तक पागलों की स्थिति में रहती थी काफी इलाज कराया, कई तांत्रिकों के भी चक्कर लगाए परन्तु ठीक नहीं हुई। गुरूद्वारा प्रदत्त पलटवार मंत्र को अपने मूलमंत्र से सम्पुटित कर 108 बार, राई$सरसों$खड़ा नमक$कपूर को अभिमंत्रित कर दिया और बता दिया जब भी पागलों जैसी स्थिति आए उपरोक्त अभिमंत्रित सामग्री सर से तीन बार उतार कर जला दें। तीन दिन ही यह क्रिया करने से मेरी माँ एकदम स्वस्थय हो गई, अब उन्हें कोई पागलपन के दौरे नहीं पड़ रहे हैं। मैं अपने गुरूदेव को धन्यवाद दे रहा हूँ, जिन्होंने इतनी सस्ती व लाभदायक क्रिया बता दी।

बुलन्दशहर से मेरे शिष्य सत्यवरी सिंह ने अपने अनुभव में पाया वास्तव में माँ की कृपा अद्भुत होती है एक मरीज जो काफी समय से बीामर था व अच्छे हास्पिटल में इलाज चल रहा था परन्तु कोई लाभ नहीं हो रहा था। फोन पर मुझसे बात हुई, मैने उसे किसी अच्छे तान्त्रिक को दिखाने को कहा, दूसरे ही दिन उसने पास के ही किसी तांत्रिक को दिखलाया, तांन्त्रिक ने उस पर काली का घराव भेट देकर भेजा हुआ बतलाया, साथ ही टोने भी निकाले परन्तु मरीज को आराम नहीं मिला, कुछ दिन बाद पुनः फोन से उन्होंने हमसे सम्पर्क किया, मरीज की माता जी ने बतलाया कोई आराम नहीं है, मैने उन्हेें पुनः कसी अच्छे तान्त्रिक को दिखाने की सलाह दी। दूसरे तान्त्रिक ने भी काली का घराव बतलाया व एक हजार रूपये भी ले लिए कुछ कार्यवाही भी की परन्तु परिणाम शून्य ही रहा स्थिति पहले की ही तरह बनी रही थोड़ी सी मात्रा में राई$सरसों$नमक की डली$कपूर, एक मुट्ठी में बन्द कर मरीज के ऊपर इक्कीस बार एन्टी क्लोक वाईज उतारने को कहा और मैं माता के मूल मंत्र से सम्पुटित गुरू प्रदत्त पलटवार मंत्र पढ़ता रहा फिर मैंने उस मुट्ठी वाले सामान को जलती आग में डालने को कहा तथा पुनः उस मरीज की कपूर क्रिया कर दी, यह क्रिया करने के बाद उस मरीज से बात हुई तो उसने बताया अब स्वास्थ्य महसूस कर रहा हूँ, मुझे भूख लग रही है, मैं कुछ खाना चाहता हूँ तब मैने उसकी माता जी से उसे कुछ दलिया खिलाने को कहा, उसने भर पेट खाया।
लगभग दो माह से कुछ भी खाने के बाद उल्टी हो जाती थी, सारा शरीर सूख गया था, अब खाने के बाद उल्टी नहीं हो रही है मात्र दो ही दिन में 80 प्रतिशत आराम मिल गया।

दिल्ली से अभिमन्यु सिंह ने बतलाया मेरा व मेरे परिवार के ऊपर घर के ही लोगों द्वारा अभिचारिक कर्म करवा दिया गया है, मेरी पढ़ाई बर्बाद हो गयी, मैंने आप के ब्लाग से बगलामुखी कवच पढ़ना शुरू किया, लेकिन बुरी शक्तियों रात में मेरा गला दबाने लगती है, साथ ही मेरे परिवार को भी परेशान करेन लगती है, अतः पाठ छोड़ना पड़ता है। बगलामुखी कवच के चालीस पाठ करने के बाद मुझे अद्भुत लाभ दिखने लगा था। जब मैंने आके आदेशानुसार शतनाम के पाठ करना प्रारम्भ  उसी रात मेेरी तबियत बहुत खराब हो गई, मुझे रात में शक्तियों ने बहुत दबाया लेकिन दूसरा कोई रास्ता नहीं था। अतः दूसरे दिन भी मैने सो पाठ के बाद भी कोई लाभ न हुआ, दो सौ पाठ पर भी कुछ नहीं हुआ, मेरी तबियत खराब होने लगी, पेशाब में जलन होने लगी, चार सौ पाठ के बाद बुरी शक्तियों ने पापा के ऊपर अटैक कर दिया, डर लगने लगा, बुरी शक्तियों के कारण मैं डिप्रेशन में जाने लगा, अब कुछ नहीं हो सकता परन्तु फिर भी मैंने सौ पाठ पुनः कर दिए तबियत खराब हेाते ही पचास पाठ कर देता, हम लोगों के शरीर पर कोई कीड़ा ऐसा रेंगता अनुभव होता, आठ सौ पाठों के बाद शान्ती आ गई, एक हजार पाठ के बाद 80 प्रतिशत तंत्र समाप्त हो गया, पहले हमें विश्वास नहीं था, लेकिन अब हो गया है, शतनाम हवन के बाद और राहत हो गई है। हवन के दौरान एक बुरी शक्ति जो मेरा पेट दर्द बनाती थी, वह नष्ट हो गई, जिससे मेरा पेट दर्द समाप्त हो गया है। शतनाम के एक हजार छह सौ पाठ कर लिए हैं। सुबह 3 से 5 बजे सौ पाठ करेन के बाद एक बुरी शक्ति नष्ट हो जाती है।

नई दिल्ली से मेरे शिष्य चन्दन पांडे ने अपनी अनुभूति में पाया मेरी पत्नी एक लम्बे अन्तराल से कष्टों से घिरी थी, अतः वह अत्यधिक चिड़-चिड़े स्वभाव को धारण कर चुकी थी, जिससे मेरा जीवन हताशा के पलों से भरपूर हो चुका था, कभी-कभी मैं सोचता क्या मेरे जीवन में सुख नहीं है, बच्चे भी बीमार रहते तभी हमें सद्गुरू की कृपा क्या मिली मेरा जीवन ही बदल गया, मेरी पत्नी की कपूर क्रिया की गई, कई प्रेतों को नष्ट किया गया तभी से वह रोग मुक्त हो गई, मातारानी ने उसका स्वभाव ही बदल दिया अब वह घर के प्रत्येक कार्य को बड़ी कुशलता के साथ सम्पन्न करती है, बीमारी तो ऐसे भाग गई मानो कभी बीमार ही न थी, बच्चे भी अब स्वस्थ हैं।

माँ बगलामुखी अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं, यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाय तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परमपद् की प्राप्ति हो सकती है।





माँ बगलामुखी की सदैव ही जय-जय कार।

डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434
लखनऊ यू0पी0

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