Wednesday 29 May 2019

दुष्ट तांत्रिक बन्धन से कैसे छुटकारा मिले

    हम अपने चारो ओर लगातार देख रहे हैं, दुष्ट तांत्रिकों द्वारा व्यक्ति के ऊपर तांत्रिक कार्यवाही कर उसके जीवन की प्रगति ही रोक दी जाती है, जिसका जीवन्त प्रमाण मैं स्वयं भी हूँ, और मैं एक बालक को जानता हूँ जो बचपन से ही काफी होनहार था, पढ़ने में भी उसका मस्तिष्क काफी तेज था, उसके सगे रिस्तेदार ने जलन वश उस पर तांत्रिक कार्यवाही कर उसका जीवन ही चौपट कर दिया, पढ़ाई में मन नही नहीं लगता। हमारे अधिकांश शिष्यों के जीवन में कोई न कोई दुष्ट शक्तियों द्वारा ही पीड़ित है। अब माँ बगलामुखी ने अनुपम कृपा कर कपूर क्रिया जैसा अस्त्र उपलब्ध करा दिया है, जिससे मेरा कार्य अत्यन्त सुगम हो गया है, अधिकांश लोगों में की गई तांत्रिक कारवाइयों को कपूर क्रिया में रंगों के माध्यम से सांकेतिक उत्तर मिल जाता है, बहुत से प्रेतों से भी छुटकारा मिल जाता है। तांत्रिक बंधन से मुक्ति हेतु सुगम उपाय कपूर क्रिया ही है।

एक दृष्टांत देखें - बात 2010 की है तब से आज तक एक परिवार लगातार इन क्रियाओं के कारण काफी परेशान चल रहा था, उनके वहाँ आर्थिक, शारीरिक व आपसी कलह का वातावरण बना हुआ था, भाई-भाई में विवाद हुआ, बड़ा भाई घर छोड़ कर कहीं भाग गया, उनके पिता की भी अकाल मौत हो गई वे जिस भी तांत्रिक को दिखाते सब यही कहते यह सब तुम्हारे नसीब का खेल है, कुछ कहते तुम्हारा प्रारब्ध ही गड़बड़ है। इस केस में मैं सूक्ष्मता से विचार करने लगा, परन्तु कुछ समझ में नहीं आया, उनकी कपूर क्रिया में माँ बगलामुखी की कृपा का द्योतक पीले रंग का रिंग आ रहा था साथ ही उसमें नीला गोला जो गुलाबी गोले के पीछे लगातार सारी कपूर क्रियाओं में आ रहा था, स्पष्ट था कुछ तो गड़बड़ है वह कोई शक्तिशाली शक्ति है, जो नष्ट नहीं हो रही है अतः साधक की शक्ति को और तीव्र करने हेतु उसे निर्देश दिया 10+1 फार्मूले के साथ में पीताम्बरा को मछली का भोग व शराब भी नित्य दो, ऐसा करते अभी सात ही दिन हुए थे कि जप करते हुए उनकी एकाएक आंखे बन्द हो गई और स्पष्ट आवाज आ रही थी, गुलाबी गोले में ब्रह्मराक्षस है और इसके पीछे नीले रंग में जिनन है जो बहुत शक्तिशाली है जिसे धूमावती का संरक्षण देकर एक धूमावती के साधक ने तुम्हारे वहाँ भेजा है, तभी स्वर में कठोरता आ गई लगता था माँ गुस्से में है कहने लगी-धूमावती को रविवार को पकौड़े देर उनसे कहो अब आप अपने लोक में जाए वर्ना मैं उनका सम्मान करना छोड़कर इन्हें मार दूंगी, ऐसा धूमावती से बोल देना, मैंने कहा है। मैंने ऐसा ही किया फिर कपूर क्रिया की जिसमें वे दोनों गुलाबी व नीले गोले के रंग में परिवर्तन होने लगा, जो क्रमशः धूमिल होने लगे, तभी एक बिल्डर से मेरी जमीन का सौदा हेने लगा, उसने कोर्ट में रजिस्टर्ड सौदा कर दिया वह हमें फ्लैट बना कर देगा इस प्रकार हम देखते हैं तांत्रिक बन्धन से मुक्ति हेतु कपूर क्रिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

केवल मेरे सारे शिष्य व अन्य वामाचारी पद्धति से दीक्षित साधकों के लिए जो माँ बगलामुखी को अति तीव्र प्रसन्न करना चाहते हैं को एक गुप्त विधान देता हूँ - कृष्ण पक्ष की अष्टमी, चैदस व अमावस्या की रात्रि 10 से 2 बजे के बीच, माँ बगलामुखी को तली या भुनी मछली के भोग के साथ ही शराब देकर माँ से निवेदन करें, माँ आप की प्रसन्नता हेतु मैं आप को मछली का भोग व शराब भी दे रहा हूँ, जिसे ग्रहण करने की कृपा करें और हम पर प्रसन्न होने की कृपा करें। यह विशेष भोग देकर माँ से और कुछ न मांगे चाहे कितने ही कष्ट में हों, मात्र उनकी प्रसन्नता हेतु ही निवेदन करें दो या तीन माह तक ऐसा ही करते रहें। परिणाम निश्चित ही सुखद प्राप्त होता है यह मेरा स्व अनुभूति है। यदि इन्हीं तिथियों में उन्हीं के उपरोक्त समय पर हवन भी कर दे तो अतिउत्तम रहेगा। हवन में पिसी हल्दी, मालकांगनी, सुनहरी हरताल, गुगल, सेंधा नमक, सरसों के तेल में सान कर, साबुत लाल मिचै मिला कर मूलमंत्र से हवन कर, शराब से उसी हवन कुंड में तर्पण एक माले का कर अपने ऊपर दस बार शराब से मार्जन कर, कुछ देर आँख बन्द कर वहीं बैंठे रहें, हो सकता है। माँ स्वयं ही कुछ दिशा-निर्देश दें, ऐसा लगातार अभ्यास से दिशा-निर्देश मिलने लगता है





एक दृष्टांत देखें मेरी एक शिष्य ब्राह्मण है, उसे मैंने मछली का भोग बताया, उसे हमसे कहा मैं ब्राह्मण हूँ शराब मांस वगैरह हम कैसे दे सकते हैं, मैंने कहा बताने का कार्य मेरा था मैंने बता दिया, अब तुम दो या न दो यह तुम्हारे ऊपर है, दूसरे दिन उसने हवन कर तर्पण व मार्जन शराब से कर आँख बन्द कर बैठी थी, उसने स्पष्ट देखा, एक सफेद कागज जिस पर बड़ी सी मछली बनी है उसके नीचे लिखा है मछली भोग में दे, साथ ही शराब दें। इस प्रकार उसे दिशा-निर्देश मिला यह कार्यक्रम करने के बाद, माँ की अंग विद्या ‘‘पक्षी राज के मूल मंत्र’’ को माँ के मूल मंत्र से सम्पुटित कर एक माला जप कर माँ से कहे जो भी मेरे ऊपर नकारात्मक शक्ति है उसे कपूर में खींच कर जलाने की कृपा करें कह कर कपूर जला कर उसका वीडियो बना लें, उसमें स्पष्ट संकेत दिखेगा, उपरोक्त सारी क्रियाओं को करने से पूर्व अपने गुरू से अनुमति अवश्य ले लें, क्यों कि यह तीव्र प्रयोग है, थोड़ी सी त्रुटि भी भयानक दुष्परिणाम दे सकती है।

पक्षीराज मूलमंत्र :-
ऊँ खें खाँ एवं फट् प्राण ग्रहासि प्राण ग्रहासि हुं फट् 
सर्व शत्रु, संहरणाय शरभ शालुवाय पक्षि राजाय हुं फट् स्वाहा 

नोट :-
1. रौद्री का ही एक रूप पक्षीराज है।
2. कृत्या निवारण का यह सर्वोत्कृष्ट साधन है।
3. यह प्रयोग नृसिंह मन्दिर में न करें।
4. ब्रह्म गायत्री के साधक इसका अभ्यास न करें।


डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

read more " दुष्ट तांत्रिक बन्धन से कैसे छुटकारा मिले "

Saturday 20 April 2019

कपूर क्रिया का महत्व

कूपर क्रिया माँ बगलामुखी का वह अद्भुत अस्त्र है, जिसके प्रयोग से भूत-प्रेत तो शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं, साथ ही देवी प्रकोपों का भी स्पष्ट संकेत मिल जाता है, इस क्रिया में संकेतों के रूप में बहुत कुछ ज्ञान उपलब्ध हो जाता है, चुंकि कपूर में नकारात्मकता को तुरन्त अपने अन्दर समाहित करने की क्षमता होती है, अतः कपूर पर जब हम अपनी मंत्र शक्ति से नकारात्मक चीजों का आवाहन करते हैं, तो वह नकारात्मक चीजों का आवाहन करते है तो नकारात्मक जैसे भूत-प्रेत , नजर लगना, मंत्रों पर बन्धन लगना, टोना-टोटका सभी चीजों को खींच कर साधक के अनुरोध पर सभी को माँ नष्ट कर देती है।

दृष्टांत देखे - 
  • हमारी शिष्या रश्मि पांडे जिन को कई वर्षों से गुदा मार्ग में अजीत सी कुलबुलाहट व खुजली होती थी, काफी चिकित्सा भी कराई कोई लाभ नहीं मिला, परन्तु कपूर क्रिया करने पर एक प्रेत नष्ट हुआ व तुरन्त ही सारी परेशानियों से छुटकारा मिल गया,
  • वही हमारे शिष्य दिव्यांश ने बतलाया उनके कारखाने की कई मशीने बन्द पड़ी थी, रोजगार लगभग ठप्प हो गया था, लगातार कपूर क्रिया करते रहने से पूरा कांड समझ में आने लगा, कपूर क्रिया में रंगों के रुप में संकेत आते हैं इनकी प्रत्येक कपूर क्रिया में भैरव से सम्बन्धित रंग दिख रहा था, पूछने पर ज्ञात हुआ इनकी फैक्ट्री के अन्दर एक प्राचीन भैरव मंदिर है, परनतु वह वीरान ही रहता है, वहाँ कोई नहीं जाता केवल रविवार को ही दीपक व भोग रखा जाता था, कपूर क्रिया कर भैरव जी से प्रार्थना की कुछ स्पष्ट दिखाए, उसी रात उन्हें स्वप्न आया जैसे हमें कोई कह रहा था एक दिन खाना देते हो बाकी छह दिन हमें भूखा रखते हो, हमारे गण ही तुम्हारी सारी प्रगति खा लेते हैं यह निर्देश मिलते ही रोज उस मंदिर में भोग लगाए जाने के उपरान्त खड़ी मशीनों का काम मिलने से वे चालू कर दी गई, इस प्रकार हम देखते हैं कपूर क्रिया किसी भी समस्या के सामाधान हेतु अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है
  • हमारी शिष्या सुजाता जी को तो बहुत विचित्र अनुभव हुआ, उसे जान से मारने हेतु बहुत सारे तांत्रिक प्रयोग किए गए जो सारे इस कपूर क्रिया में आकर नष्ट होते गए यहाँ तक कि उसकी योनि मार्ग से अत्यधिक तीव्र कलबलाहट व खून का प्रवाह होने लगा, अस्पताल में दिखाया सब नार्मल निकला जो कपूर क्रिया के बाद बन्द हुआ, लगातार प्रतिदिन कपूर क्रिया की गई नितय एक या दो प्रेत आ आकर नष्ट होते गए।
  • लुधियाना से अजय सिंह का व्यापार ही चौपट हो गया था, कपूर क्रिया नित्य करते रहने से व्यापार पुनः पुरानी अवस्था की तरह चलने लगा, इनकी भी क्रिया में प्रेतों का भरामार देखने को मिला।
  • श्रद्धा शुक्ला की कपूर क्रिया में तो एक गंजा मोटा जिन्न आकर नष्ट हुआ जब जा कर इनका पैर ठीक हुआ।
  • मीनाक्षी बाम्बे से बताती हैं, जप से पूर्व कपूर क्रिया करती हूँ तभी जप कर पाती हूँ, नही तो जप में बहुत कठिनाई आती है।
  • लखनऊ से प्रेम शंकर शुक्ला पर कठोर तांत्रिक प्रयोग हुए विचार परेशान हो गए, जप समय वीर्य स्वतः निकलने लगता, कपूर क्रिया में नित्य एक-दो प्रेत नष्ट होने लगे अब वे निर्विघ्न जप पूरा कर रहे हैं।
  • रामपुर से मेरे शिष्य ने बतालाया वह काफी परेशान था, पत्नी से तलाक का मुकदमा चल रहा है, उसकी छोटी पुत्री को लेकर मायके चली गई व तलाक का मुकदमा मेरे ऊपर डाल दिया है साथ ही अनेकों तांत्रिको के सम्पर्क में आकर मेरे ऊपर अभिचारिक क्रियाए करवाती रहती है, जिससे मैं बहुत ही गम्भीर रुप से अद्ध विक्षिप्त अवस्था में हो गया था नेट पर मैं कुछ सर्च कर रहा था तभी baglatd.com मेरे सामने अचानक आ गया, मै बड़ा बैचेन रहता था अतः रात्रि में गुगल में अपनी समस्या के सामाधान हेतु कुछ न कुछ देखता रहता था, और अपने अराध्य से प्रार्थना भी किया करता था कि प्रभु हमें कोई गुरू उपलब्ध करा दें जो मुझे इस मुसीबत से निकाल दे, प्रभु ने मेरे मन की बात लगता है सुन ली और एक दिन मैं गुगल में बैठा था कि अचानक baglatd.com आ गया, जिज्ञासावश मैं उसे पढ़ता ही चला गया, ज्यों-ज्यों मैं एक के बाद एक पोस्ट पढ़ता रहा कि मेरे मन से आवाज आती रही यहाँ से मुझे मदद मिल सकती है अन्ततः सुबह चार बजे दिए हुए मोबाइल नम्बर पर फोन लगा दिया, कुछ देर बाद फोन उठा डरते-डरते मैंने अपनी सारी व्यथा उन्हें बता दी मुझे तब बड़ा अच्छा लगा कि गुरूजी ने कहा आ जाओ, माँ बड़ी दयालु है और आज मैं गुरू जी के वचनों में छुपी हुई सच्चाई का अनुभव व दश्रन कर रहा हूँ ऐसे सरल, निष्कपट स्वभाव वाले गुरू पिछले जन्म के अच्छे कर्म से ही मिलते हैं वर्ना आज चारों तरफ छद्मधारी गुरूओं की भरमार है। कपूर क्रिया में गुरूदेव ने अपने सारे शिष्यों को महारत सिद्धि करा दी है। मैं कभी स्वप्न में भी नहीं सोच सकता था कि दुष्ट तांत्रिक क्रियाओं को इतनी सरलता से नष्ट किया जा सकता है, जलते हुए कपूर में एक प्रेतात्मा जो काफी ताकतवर व चालक थी अपने चारों ओर सुरक्षा घेरा बना रखा था, किसी भी तांत्रिक को वह दिख ही नहीं सकती थी, यही मेरे साथ भी हु। जहाँ भी मैंने अपने को तांत्रिकों को दिखलाया वह उसे पकड़ ही न पाए परन्तु माँ बगलामुखी के सामने उस धूर्त दुष्ट प्रेत की एक न चली और घेरे के बाहर फेक कर नष्ट कर दिया जो वीडियों में स्पष्ट दिख रहा है।

    कपूर क्रिया: कपूर क्रिया में तान्त्रिक युद्ध



    कपूर क्रिया: ज्योति में माँ की प्रसन्नता 



    नवरात्रकालीन यज्ञ- सुल्तानपुर रोड स्थित मां मरी माता, मन्दिर में मां बगलामुखी का तान्त्रिक हवन शक्ति प्राप्त हेतु, नवरात्र 10-4-2019को सम्पन्न हुआ।



डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
मो0 : 9839149434

read more " कपूर क्रिया का महत्व "

Thursday 28 February 2019

कपूर क्रिया पर अनुभव भाग-2

    बुलन्द शहर से मेरे शिष्य सत्यवीर सिंह ने हमें अपने अनुभव में बतलाया जो उन्हीं के शब्दों को आप के सम्मुख रख रहा हूँ।

प्रणाम गुरूदेव सादर चरण स्पर्श जय माँ बगलामुखी। गुरू देव में आप को एक घटना से अवगत करा रहा हूँ, जो मेरे अंकल जी के यहाँ की है, वह किसी अज्ञात भूत-प्रेत या भेजी हुई कोई शक्ति से लगभग एक वर्ष से पीड़ित थे। एक दिन उस अज्ञात शक्ति ने उनकी पत्नी को सीढ़ी से नीचे गिरा दिया, जिससे उन्हें काफी चोट भी आई उसने अंकल जी को भी चोट पहुँचाई परन्तु अधिक नुकसान नहीं कर पायी, इसका एक कारण यह था कि वो भी कुछ तंत्र-मंत्र के जानकार है। उन्हें अक्सर एक महिला स्वप्न में दिखाई देती थी, जिसका यह अर्थ निकलता था कि  यह इस महिला द्वारा किया कराया है, उन्होंने भी उससे छुटकारा पाने का भरपूर प्रयास किया, परन्तु असफल रहें, वह शक्ति इनके हाथ नहीं आई, लेकिन यह तो तय था कि वह कोई मामूली शक्ति नहीं है कोई शक्तिशाली शक्ति है, कुछ समय बाद उसने पुनः अंटी जी पर प्रहार किया, अंटी जी किचन में खाना बना रही थी, जहाँ ऊपर काफी बड़ी टाड़ बनी है जिस पर कुछ बर्तन और किचन का सामान रखा था, उस दुष्टि शक्ति ने वह सामान उनके सर के ऊपर गिरा दिया, जिससे उनके सर पर काफी चोट आई और खून बहने लगा, जब कि टाड़ पर कोई चूहा या बिल्ली ऐसी कोई चीज नहीं थी यदि होती भी तो बर्तन गिरने के बाद भी नीचे नहीं आते क्यों कि टांड़ की स्लेप काफी चौड़ाई में थी और बर्तन काफी अन्दर दीवाल से सटा कर रखे हुए थे, फिर उसने उनकी लड़की को परेशान किया कभी स्वप्न में तो कभी प्रत्यक्ष दिखाई पड़ने लगी जिससे वह काफी डरी और सहमी सी रहती थी, साथ ही उनका व्यवसाय भी लगभग चौपट हो गया, उनकी सिलाई की दूकान पर सिलने के लिए कपड़े आना लगभग बन्द हो गए, उस दुष्ट ने आर्थिक तंगी भी काफी पैदा कर दी। आए दिन कुछ न कुछ उत्पात करती रहती थी। उन्होंने उपरोक्त सारी घटनाक्रम से हमें अवगत कराया, समय के अभाव में मैं उन्हें समय न दे सका, एक दिन वह मुझसे सुबह के समय अपना दुख मुझे बताने लगे तभी उनके लिए मैने मां से म नही मन प्रार्थना की और मैंने उनसे कुछ सामग्री लाने को कहा और बोला आप सामग्री तैय्यार रखना मैं शाम को माता का हवन करूंगा तथा मैं अपने दैनिक कामकाज के लिए चला गया। संयोगवश उसी दिन मेरे एक मित्र भी मेरे घर आ गए वह भी इस तंत्र-मंत्र में जानकारी रखते हैं शाम को मैं उन्हें साथ लेकर अपने अंकल जी के वहाँ हवन करने के लिए निकल गया लगभग रात्रि 8 बजे थे जैसे ही मने उनके घर में प्रवेश किया मेरा सर काफी भारी सा हो गया, जो निरंतर भारी होता जा रहा था, मैं समझ गया कुछ गड़बड़ है ऐसा ही कुछ संकेत मेरे मित्र को भी मिले साथ ही उन्हेंन स्पष्ट अनुभव किया और मुझे बताया कि वह अज्ञात शक्त घर के एक कोने में बैठी है। हमने सामग्री तैय्यार कर अपने गुरूदेवी व माता श्री से म नही मन उनके कष्ट हरने की प्रार्थना की तथा हवन प्रारम्भ कर दिया, माँ के मूल मंत्र का हवन चल रहा था अचानक मेरे मित्र को हंसी आने लगी मेरा ध्यान हवन में ही लगा रहा मूल मंत्र का हवन पूर्णकर, बगला कल्प के मंत्रों से आहुति डालना प्रारम्भ कर हवन निर्विघ्न पूर्ण किया अन्त में गरी के गोलों से पूर्ण आहुति दी व तिल की खीर मैं शहद व केसर भी मिला अन्तिम आहुति दी व लड्डू का भोग लगा कर हवन पूर्ण कर माँ से इनके कष्ट दूर करने की पुनः प्रार्थना भी की। यह सब करने के बाद मैं अपने मित्र से हसी का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि हवन के दौरान वह दुष्ट शक्ति हस रहीं थी, जिसकी स्पष्ट आवाज मेरे मित्र को सुनाई पड़ रही थी, जिसके कारण वह भी हंसे थे और बताया कि जैसे ही मैंने बगला कल्प के मंत्रों से आहुति दी तो उसने एक शक्ति को और बुला लिया कुछ दे बाद उसकी हंसी बन्दहो गई और वह दोनों शक्ति का अन्त माँ बगलामुखी ने कर दिया। अब उनके घर में पूर्ण शान्ती है सारी दुष्ट नकारात्मक शक्तियों का अन्त हो गया।

सामूहिक हवन का एक दृश्य



नोट :- हवन की पूर्ण आहुति के पूर्व मैंने कपूर क्रिया भी की जिसमें प्रेत स्पष्ट दिखाई पड़ा साथ ही उसका अन्त हो गया। कपूर क्रिया दुष्ट आत्मा का अन्त देखा।
बुलन्द शहर से

कर्पूर क्रिया का एक दृश्य - बुलन्द शहर



कर्पूर क्रिया का एक दृश्य



डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

read more " कपूर क्रिया पर अनुभव भाग-2 "

Tuesday 1 January 2019

समस्या का निश्चित समाधान कैसे प्राप्त करें

आप सबको नव वर्ष की शुभकामनाएं।

लोगों की समस्या कैसे दूर कर संकू इसके लिए मैं एक लम्बे समय से परेशान था, कहीं दूर तक कुछ समझ नहीं आता था, क्या कंरू, मैं निरन्तर प्रयासरत रहा अन्तोगत्वा परिणाम भी क्रमशः शैने-शैने सामने आने लगे स्वपनों में कभी-कभी प्रत्यक्ष सांकेतिक भाषा में उत्तर भी मिलने लगे, चूँकि अधिकाँश व्यक्ति नकारात्मक शक्तियों, भूत प्रेतों द्वारा पीड़ित रहते थे अतः कपूर क्रिया द्वारा इन सभी को नष्ट करने का एक सुगम उपाय आ गया, यह कहीं पुस्तकों मेें नहीं है। नित्य कपूर क्रिया करने से अधिकांश नकारात्मक शक्तियाँ समाप्त हो जाती है। अब आते हैं माँ द्वारा संकेत कैसे प्राप्त हों, इसके लिए निरंतर मूल मंत्र के दस माले का जप करते रहें और निम्न मंत्र को पहले एक लाख जप कर जाग्रत कर लें, फिर जब भी कोई समस्या के बारे में जानकारी लेनी हो तो इस मंत्र के पांच माले जप कर सो जाएं

समस्या का निश्चित समाधान स्वप्न में या ध्यान समय मिल जाता है या प्रत्यक्ष सांकेतिक भाषा के रूप में जिसका अर्थ निकालना साधक की योग्यता पर निर्भर करता है, हमें जो कुछ भी मिला है सब प्रत्यक्ष सांकेतिक भाषा के रूप में जैसे माता श्री के बारे में जो कुछ हमोर द्वारा लिखवाया जा रहा है वह सांकेतिक भाषा में निर्देश मिला है। सामने में प्रत्यक्ष इन नंगी आंखो से हवा में कुछ लिखा हुआ देखता था मानो कोई पुस्तक में काले अक्षरों ममें सब कुछ लिखा हुआ है परन्तु मैं देख सकता था, पढ़ नहीं पाता था, कई जानकारों से इस घटना चक्र के बारे में पूछा किसी की कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

यह तो मेरी समझ में आ रहा था, यह अक्षर साधारण नहीं है, हो न हो माँ का कोई निर्देश आ रहा है काफी चिन्तन के बाद मन में आया कुछ लिखने का निर्देश आ रहा है। अब प्रश्न यह था, क्या लिखूं मैं कोई लेखक तो हूं नहीं कि कहानी लिख दूं फिर मन में आया आप बीती लिखूं और हमें तब बहुत आश्चर्य हुआ, जब मैं आप बीती लिखने लगा हवा में लिखे वे अक्षर दिखना बन्द हो गए। जब लिखना बन्द कर देता पुनः वे काले अक्षर हवा में लिखे दिखने लगते और मैं पुनः लिखना आरम्भ कर देता इस प्रकार सब नेट पर आ रहा है। जब तक माँ चाहेगी मैं लिखता रहूंगा।

इस मंत्र के अन्य प्रभाव हैं कि यह आर्थिक स्थिति ठीक कर देता है व शत्रु मित्र वत् हो जाते हैं।

मंत्र: ‘‘¬ ऐं वदवद वाग्वादिनी मम जिह्वाग्रे स्थिरा भव सर्व सत्व वंशकारी स्वाहा’’।


गोमती  के किनारे तांत्रिक अनुष्ठान 


नोट:- यह लेख उन सभी साधकों को समर्पित है जो जन कल्याण की भावना रखते हैं। माँ सांकेतिक भाषा के रूप में अपने साधकों को दिशा-निर्देश देती है यह मैंने अनुभव कर लिया आप भी अनुभव करें।

डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
मो0: 98391493434

read more " समस्या का निश्चित समाधान कैसे प्राप्त करें "

Thursday 1 November 2018

कपूर क्रिया पर अनुभव

जयपुर से हमारे शिष्य गिरराज सोनी ने हमें अवगत कराया, उनके दुकान के नौकर पर प्रेत बाधा थी। कपूर क्रिया की अत्यधिक लाभ हुआ। उसके हाथ पैर में दर्द, परछाई दिखती थी, गन्दे व डरावने सपने आते थे। पन्द्रह दिन कपूर क्रिया करने के बाद वह लगभग ठीक हो गया, एक दिन मंत्र पढ़ते ही उसके ऊपर आवेश आ गया, आँखें एकदम लाल हो गई आवेश ने बोला मेरी सारी शक्ति क्षीण हो गई है अब हमें मुक्त कर दो, हमने उसे वचनों में लेकर कहा शरीर से निकलो और वह झटके से निकल गया व लड़का पीछे की ओर गिर गया बीस दिन हो गये हैं, लड़का एकदम ठीक है, इसके कान व आंख में खुजली होती थी, आंख में पानी आता था, कान में सरसराहट होती थी, मैने उस प्रेगत से पूछा था कैसे आते हो, प्रेत बोला था मैं आंख से घुसता हूँ और कान से निकलता हूँ। यह सब कपूर क्रिया के पश्चात् एकदम ठीक हो गया।

झारखंड से हमारे शिष्य कुणाल सरकार ने हमें अवगत कराया जब भी वह आंख बन्द कर जप करते हैं एक काली परछाई मेरे पीछे बैठी है ऐसा महसूस होता है। इन्हें कपूर क्रिया का निर्देश दिया गया, इस क्रिया के बाद अब वह परछाई नहीं दिखती, कपूर क्रिया नकारात्मक शक्ति को पूर्णतः हटा देता है।

बुलन्दशहर से सत्यवीर सिंह ने बतलाया उनके एक मित्र के पेट में दर्द काफी समय से होता था, कई बड़े-बडे़ असपतालों के चक्कर लगा कर थक गए थे, परीक्षणों में ही नहीं चल सका, पेट दर्द की परेशानी से मुक्ति कैसे मिले तांत्रिकों के भी चक्कर लगाए कोई लाभ न हुआ अन्ततः उनको अपने पास बुलाया व कपूर क्रिया की एक जबरर्दस्त चमत्कार उस दिन के बाद से आज दो माह हो गए हैं कोई दर्द नाम की चीज उनके शरीर में नहीं हुई।

बाम्बे से मेरी शिष्या मीनाक्षी मेरे घर पर आई जहाँ उनकी कपूर क्रिया की आंख के सामने धूंवा ही धूंवा दिख रहा था व सर भारी हो रहा था पुनः दोबारा कपूर क्रिया की उनके आंखो के सामने एक बड़ी दाढ़ी व लम्बे बालों वाला लम्बा सा व्यक्ति दिख रहा था तथा कंधे में भारीपन दर्द आ रहा था जो कपूर जलने के बाद सब सामान्य हो गया।

हमारा एक शिष्य है देवेश वह माँ का चमत्कार देखने को व्याकुल रहता, माँ ने एक दिन उसकी अभिलाषा को पूर्ण कर दिया। हुआ यो कि भयंकर दर्द से छटपटाने लगी थी, मैने कपूर क्रिया करने का निर्देश दिया, जिससे उसे दर्द में थोड़ा आराम आ गया पुनः क्रिया करने पर वह दर्द से मुक्ति पा कर सो गई। दूसरे दिन वह पूर्ण स्वस्थ थी।

छत्तीसगढ़ से मेरी शिष्या जुमा सरकार ने हमें अवगत कराया उनके बड़े भाई को एक महिला ने तंत्र क्रिया कर अपने वश में कर लिया, उसके भाई का चाल-चलन एकदम बदल गया, नित्य घर में लड़ाई झगड़ा करता, स्वयं भी हरदम बैचेन रहता, खाना बहुत कम खाता, रात की नींद उससे दूर हो गई, हम सब घर के लोग उससे परेशान रहते, वह महिला मेरे घर भी आती व पपीता अवश्य लाती, जिसमें एक छेंद रहता था, पूछने पर कहती फल है किसी कीड़े ने छेद कर दिया होगा, परन्तु क्या प्रत्येक बार पपीते में छेद होना अनिवार्य था? मेरा माथा ठनका मैने सोचा हो सकता है पपीते के माध्यम से कोई तंत्र कार्यवाही अवश्य की गई है। दूसरे ही दिन अपने गुरू के निर्देशानुसार बगला कल्प के एक पाठ से उसकी कपूर क्रिया की जिसमें प्रत्येक मंत्र की फूक अपने भाई पर संप्रेषित की साथ ही बगला कल्प के एक पाठ से अभिमंत्रित जल से उसे स्नान कराया। बड़ा चमत्कार सामने आया, मेरे बड़े भाई का चिड़चिड़ापन तुरन्त ही समाप्त हो गया, उसने भर पेट भोजन खाया, नींद भी अच्छी आई। मैं अपने गुरूदेव को बारम्बार प्रणाम करती हूँ, जिन्होंने इतनी बड़ी मुसीबत को कुछ ही क्षणों में दूर करवा दिया।

नवरात्रि में हवन की झलक


डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

read more " कपूर क्रिया पर अनुभव "

Sunday 30 September 2018

एक प्रताड़ित महिला व माँ बगलामुखी

एक महिला जो अपने पति द्वारा पिछले सात वर्षों से प्रताड़ित थी व अपने मायके में रह रही थी, मायके में भी उसकी माँ उससे आये दिन बकझक कर प्रताड़ित करती रहती, उसकी माँ का नित्य का कार्य ही बन गया था, उसे बात-बात पर प्रताड़ित करना, उधर पति के द्वारा प्रताड़ना, इधर माँ द्वारा प्रताड़ना, उसे आत्म हत्या का विचार बार-बार बिजली की तरह कौंधने लगा। एक शाम अपनी माँ की बातों से तंग आ कर वह घर से आत्म हत्या करने के इरादे से रेलवे लाइन की ओर चल पड़ी तभी बारिस होने लगी, बारिश में भीगने से उसके मस्तिष्क का तनाव कुछ कम हुआ, साथ ही उसको अपनी छोसी सी बच्ची की याद आयी। अतः रेल की पटरियों की ओर न जाकर उसके कदम एक सहेली के घर की ओर मुड़ गए, व रात में वहीं रूक गई उसकी सहेली ने उसे समझा बुझा कर दूसरे दिन उसके घर ले आयी।

अन्तोगत्वा इस केस को मैने अपने हाथों में लिया, भगवती का ध्यान किया व इसकी पीड़ी कैसे दूर करूं प्रार्थना की, स्पष्ट निर्देश मिला बगला पंज्जर का संकल्प करों। बिना वक्त गवाए दूसरे ही दिन बगला पंज्जर के एक सहस्त्र पाठा का संकल्प लिया, साथ ही तलाक का मुकदमा लगवा दिया, अब हमें आर-पार की लड़ाई करनी थी, उसका पति एक वकील व एक अच्छे तांत्रिक की शरण में था, जिसके वहाँ हजारों भक्तों  की भीड़ लगती थी, उसका एक मित्र कहता दसों साल कचहरी के चक्कर लगाओं तलाक नहीं होगा, हम लोग वकील हैं, आदमी को कैसे रगड़ा जाता है हम लोग सब जानते हैं। संघर्ष तीव्र था वह तांत्रिक बाला जी का सिद्ध साधक है यह हमें ज्ञात था, फिर भी मैने सोचा देखते हैं  क्या बाला जी दुष्टों का साथ देते हैं। अतः मैने माँ पीताम्बरा की अदालत में इन दोनों के विरूद्ध कार्यवाही करने की प्रार्थना की। एक ही सप्ताह बाद उसके मित्र के हृदय के ऊपर जो झिल्ली होती है उसमें पानी आ गया। हार्ट सेन्टर में एक-एक लीटर पानी डाक्टरों द्वारा 1 हफ्ते तक निकाला गया, भगवती इसे इतना तीव्र दंड देगी मैं नहीं जानता था, मेरा उद्देश्य उसे मारने का नहीं था। अतः भगवती से उसे जीवन दान देने की प्रार्थना की वह बच गया और उसने इस केस को दूर से ही नमस्कार कर लिया। इधर हमारा बगला पंज्जर का नित्य पाठ चल रहा था, यजमान ने भगवती पर पूर्ण भरोसा किया। इसके अतिरिक्त उसे कहीं से कोई सहारे की उपेक्षा नहीं थी। मुकदमे की पेशियों पर पेशियाँ होती रही, इधर उसकी माँ का रूप और उग्र होता गया, उसकी रसोई अलग कर दी, अजब माँ की परीक्षा थी, मैंने माँ से पुनः प्रार्थना की हे माँ भगवती पिताम्बरा! आप तो दुःखों का विनाश करने वाली, दुष्टों को दण्ड देने वाली इस निरपराधीन को इतने कष्ट का क्या कारण है? इस पर अपनी दया दृष्टि करने की कृपा करें और शीघ्र ही ‘‘सर्वनार्थ - विनाशनम्, महादारिद्रय, शमनं, सर्वमांगल्य-वर्धनम्’’ जैसा कि आप के बारे में कहा गया है उसे पूर्ण करने की महान कृपा करें।
हमें ज्ञात है स्त्रोत पद्धति में व्यक्ति की भावनात्मक उत्कृटता सर्वोपरी होती है। स्त्रोत पाठ हृदय की कतार पुकार के रूप में अभिव्यक्त हो तो पराम्बा शीघ्रति द्रवित होती है। परिणाम सामने आया जज का ट्रांसफर हो गया, जो दूसरा जज आया, उसे उसने प्रत्येक तारीख पर केस को उठाया व कुछ टिपपड़ी अवश्य लिखी। अभी तक विपक्षी किसी पेशी पर नहीं आया था परन्तु एक वर्ष बाद वह कोर्ट में हाजिर हो गया, विपक्षी का स्तम्भन कर गया था, ज्ञात हुआ उस दुष्ट तांत्रिक ने मेरे मंत्रों पर बन्धन लगा दिया था, अतः बन्धन काटने हेतु प्रतिदिनि पर विद्या भक्षणी के एक सौ मंत्रों का विधान किया कुल 10 हजार करने थे, आज मंत्र का चैथा दिन था दीपक की लौ तेजी से थरथराने लगी साथ ही पटाखे की भांति तेजी से चटचटाने लगी, मैं समझ गया कुछ गड़बड़ है, अतः परविद्या भक्षणी मंत्र में पक्षीराज बीज मंत्र का सम्पुट लगा कर एक माला जप मात्र से दीपक की लौ एकदम स्थिर हो गई, आवाज व धूंवा निकलना बन्द हो गया। हमारे जजमान के ऊपर जानलेवा तांत्रिक कार्यवाही भी की गई वह अपने भाई के साथ गाड़ी पर पीछे बैठ कर बाजार जा रही थी, वह गाड़ी से सड़क पर गिर गई बेहोशी की हालत से राहगीरों द्वारा मदद मिली। बुखार जब तब आता वह भी काफी तेज, दवा काम ही नहीं करती टाइफाइड भी नहीं निकलता था, माहवारी महीने में दो-दो बार होने लगी वह भी बहुत अधिक मात्रा में। काली प्रयोग मारण हेतु कियाग या। अतः हमें काली मिश्रित बगला प्रयोग करना था - शाबर है -

‘‘ऊँ पीत पीतेश्वरी पीताम्बरा बगला परेमेश्वरी, ऐं जिव्हा स्तम्भनी हलीं शत्रु मर्दनी कहाविद्या श्री कनकेश्वरी सनातनी क्रीं’ घोरा महामाया काल विनाशनी पर विद्या भक्षणी क्लीं महा मोह दायनी जगत वशि करणी ऐं ऐं ह्लूं ह्लीं श्रीं श्रीं क्रां क्रीं क्लां क्लीं पीतेश्वरी भटनेर काली स्वाहा।

इस शाबर का दस हजार जप ने सारे केस का रूख ही बदल दिया। जज ने प्रत्येक तारीख पर बहुत ही सूक्ष्म परीक्षण करना आरम्भ कर दिया और दो वर्ष पश्चात् तलाक का आदेश पारित कर दिया। इस प्रकार हम देखते ही यदि आप श्री की शरण में हो तो विरोधी कितना ही ताकतवर हो उसे पराजित होना ही पड़ता हैं यह केस मात्र दो ही वर्षों से सुखद परिणाम दे गया। बाला जी के उस दुष्ट तांत्रिक को भी माँ के कोप का भागीदार बनना पड़ा वह अपने पेट दर्द से लगातार पीड़ित चल रहा है। इधर तीन माह पश्चात् यजमान का एक खाते-पीते परिवार में माँ ने पुनः विवाह सम्पन्न करा दिया जो अब अपने परिवार में सुखी है।

नोट:-
  1. बगला पंजर स्तोत्र ब्लॉग में है।
  2. पक्षी राज बीज मंत्र ब्लाग में है।

इस महीने के हवन का एक दृष्य 




डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

read more " एक प्रताड़ित महिला व माँ बगलामुखी "

Friday 31 August 2018

माँ बगलामुखी न दी दो छडी

अलौकिक शक्तियाँ जब भी कुछ कहना चाहती है तो उनकी भाषा सांकेतिक होती है। हवा में दो छड़ियाँ दिख रही है, यह माँ का कोई संकेत आ रहा है, अब हमें इस संकेत का अर्थ निकालना है। हली छड़ी भूत-प्रेत व अन्य दुष्ट आत्माओं का संहार करने के लिए व दूसरी छड़ी का अर्थ है भौतिक सुख प्राप्त करने हेेतु। इन छड़ियों का निर्माण कैसे करें। पहली छड़ी-नीम की एक फिट लम्बी छड़ी लेकर उसे छील कर उस पर सरसों का तेल लगा कर पीले धागे से लपेट कर पूजा स्थान पर रख दे, अब जब भी कोई दुष्ट आत्मा का प्रवेश घर में अनुभव हो तब इस छड़ी प्रयोग करें। बच्चों की नजर छड़ी छुआते ही उतर जाती है। कपूर क्रिया करते ही यदि हाथ स्वतः हिलने लगे या अन्य उपद्रव प्रगट होते ही इस छड़ी को छुआते ही वह आवेश बोलने लगेगा अब आप उस प्रेतात्मा का काम तमाम इस छड़ी से कर दें।

इस छड़ी का प्रयोग हमारे शिष्य गिरराज सोनी जी बहुत सफलता पूर्वक कर रहे है। इस क्रिया में मूल मंत्र का खजाना ही कार्य करता है अतः मूल-मंत्र का खजाना अधिक से अधिक बढ़ाते रहे।

अब आते ही दूसरी छड़ी का निमार्ण कैसे करें। उत्तर स्वंय आता है माता श्री को चम्पा के पुष्प बहुत प्यारे लगते है, वह चम्पा के पुष्पो की माला पहने चित्रों में दिखाती है अतः चम्पा की छड़ी बनाई जाए, और मैने चम्पा की छड़ी को सुनहरे पीले गोटे से लपेट कर उसका निमार्ण कर अपने पास रखा है तब से न तो पैसे की कमी आज तक हुई साथ ही कुछ एसे कार्य जो असम्भव से लगते थे वे बहुत ही सुगमता पूर्वक सम्पन्न हो गए। गुरू निर्देश से इस छड़ी का निमार्ण करें और जीवन में लाभ उठाए।

२५ अगस्त को हुए एक हवन का दृश्य



डा0 तपेश्वरी दयाल सिंह
9839149434

read more " माँ बगलामुखी न दी दो छडी "

baglatd.com